कश्मीर हमले के लिए तटस्थ जांच पेशकश पर गरमाया विवाद

कश्मीर जांच पर पाकिस्तान का दावा
कश्मीर हमले की जांच पर पाकिस्तान का दावा अब नया विवाद बन चुका है। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के बैसरन, पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत हुई। यह हमला उस समय हुआ जब पर्यटकों से भरी एक बस पर हथियारबंद आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी की। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने हमले का ज़िम्मेदार आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और TRF को ठहराया। पाकिस्तान स्थित इन संगठनों की भूमिका को लेकर भारत ने सीधे इस्लामाबाद पर सवाल उठाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे “आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई” बताया।
दूसरी ओर, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र से अपील करते हुए कहा कि भारत को इस हमले की निष्पक्ष जांच में सहयोग करना चाहिए। शरीफ ने अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों की निगरानी में संयुक्त जांच की पेशकश की। लेकिन भारत सरकार ने इस मांग को “कूटनीतिक भटकाव” बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि “भारत की न्याय व्यवस्था इतनी सक्षम है कि वह किसी बाहरी निगरानी की आवश्यकता नहीं समझती।”
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया: वीज़ा रद्द और सीमाएं सील
- भारत सरकार ने सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीज़ा रद्द कर दिए
- सिर्फ़ राजनयिक, आधिकारिक और मेडिकल वीज़ा 29 अप्रैल तक मान्य हैं
- अटारी बॉर्डर पर एकीकृत चेकप्वाइंट को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया
- भारत में मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों को 1 मई तक देश छोड़ने के निर्देश दिए
- सभी राज्यों को सुरक्षा और प्रवासियों पर नज़र रखने के निर्देश
ऐतिहासिक संदर्भ और बढ़ता वैश्विक दबाव
कश्मीर हमले तटस्थ जांच पेशकश की स्थिति 2008 मुंबई हमलों के बाद की घटनाओं से मेल खाती है। तब भी पाकिस्तान ने जांच में सहयोग की पेशकश की थी, लेकिन नतीजे निराशाजनक रहे थे। इस बार भी भारत को पाकिस्तान की मंशा पर संदेह है। लंदन में भारतीय प्रवासियों ने पाकिस्तान उच्चायोग के बाहर प्रदर्शन कर आतंकवाद का कड़ा विरोध किया। वैश्विक समुदाय ने भारत के कदमों का समर्थन किया और पाकिस्तान पर आतंकवाद खत्म करने का दबाव बढ़ाया।
- 2008 में भी पाकिस्तान ने सहयोग का वादा किया था।
- लंदन में भारतीय समुदाय ने प्रदर्शन किया।
- वैश्विक मंचों पर भारत को समर्थन मिला।
- पाकिस्तान पर दबाव बढ़ता जा रहा है।
हालिया स्थिति :
हाल ही में लंदन में भारतीय प्रवासियों ने पाकिस्तान उच्चायोग के सामने प्रदर्शन कर शहीदों के लिए न्याय की मांग उठाई। प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान पर आतंकियों को शरण देने का आरोप लगाया और भारत सरकार के कड़े रुख को समर्थन दिया। वहीं, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए साक्षात्कार में भारत पर “घरेलू राजनीतिक लाभ” के लिए हमला भुनाने का आरोप लगाया।
भारत ने सिंधु जल संधि की समीक्षा शुरू कर दी है और संभावित निलंबन की चेतावनी दी है। विदेश मंत्रालय का कहना है कि “अगर सीमा पार आतंकवाद जारी रहा, तो कूटनीतिक और जल नीतियों पर पुनर्विचार होगा।” आगे चलकर भारत संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के खिलाफ विस्तृत डोजियर पेश करने की तैयारी में है।
आगे की राह क्या होगी?
- भारत आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने में जुटा
- पाकिस्तान पर और प्रतिबंध लगाने के संकेत
- कश्मीर घाटी में सेना का तलाशी अभियान और तेज
- सिंधु जल समझौते और वीज़ा नीति की दोबारा समीक्षा संभव
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