कुंभ मुआवजा में देरी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को फटकारा

प्रयागराज महाकुंभ 2025 में भगदड़ के बाद कुंभ मुआवजा में देरी ने पीड़ित परिवारों की पीड़ा और बढ़ा दी। इलाहाबाद हाईकोर्ट की दो जजों की अवकाश पीठ ने 29 जनवरी, 2025 को प्रयागराज में महाकुंभ में हुई भगदड़ में मारे गए लोगों के परिवारों को अनुग्रह राशि देने में देरी पर उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है। चार महीने बीत जाने के बाद भी पीड़ितों को कोई सहायता नहीं दी गई। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस गंभीर मामले पर यूपी सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि समय पर और सम्मानजनक भुगतान सुनिश्चित करना प्रशासन का “बाध्य कर्तव्य” है। यह फटकार उदय प्रताप सिंह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए आई है। उनकी पत्नी भगदड़ में घायल हो गई थीं। उन्हें शुरू में लापता माना गया था।
- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कुंभ में भगदड़ के शिकार परिवारों को कुंभ मुआवजा में देरी पर यूपी सरकार को फटकारा।
- पीड़ितों में से एक के शव को सौंपने से पहले पोस्टमार्टम न किए जाने पर चिंता जताई।
- यूपी से मुआवजे के दावों और मेडिकल रिपोर्ट का विवरण बताने को कहा।
मुख्य बिंदु :
- सहायता में चार माह की देरी पर हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को लगाई फटकार।
- पीड़िता के शव को बिना पोस्टमार्टम सौंपने पर अदालत ने गहरी चिंता व्यक्त की।
- कोर्ट ने कहा, मुआवजे का समय पर भुगतान प्रशासन का बाध्य कर्तव्य है।
- राज्य सरकार का ‘दावा नहीं किया’ वाला तर्क अस्वीकार्य और अमानवीय करार दिया गया।
- याचिकाकर्ता को शव अपने गृह राज्य ले जाकर पोस्टमार्टम कराना पड़ा।
- अदालत ने कहा, राज्य अपने नागरिकों का ट्रस्टी है, देखभाल उसकी जिम्मेदारी है।
- कोर्ट ने सभी दावों और चिकित्सा रिपोर्टों की जानकारी हलफनामे में देने का आदेश दिया।
कोर्ट ने सरकार का रुख ‘अस्वीकार्य’ बताया
जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और संदीप जैन की पीठ ने कहा कि एक बार सरकार ने मुआवजे की घोषणा कर दी है, तो समय पर भुगतान सुनिश्चित करना उसका “बाध्य कर्तव्य” है। कोर्ट ने इस मामले में सरकार के रुख को अस्वीकार्य बताया है। पीड़ित परिवारों को अत्यंत शालीनता और गरिमा के साथ मुआवजा देना राज्य का कर्तव्य है।
- न्यायालय ने कहा, “यह चिंताजनक है कि राज्य के अधिकारियों ने 5 फरवरी, 2025 को याचिकाकर्ता की पत्नी का शव उसके बेटे को सौंप दिया।”
- चार महीने बीत चुके हैं। राज्य द्वारा घोषित अनुग्रह राशि का कोई हिस्सा याचिकाकर्ता को नहीं दिया गया है।
मुख्य स्थायी वकील ने अदालत में प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता ने दावा नहीं किया था। इसलिए इस पर विचार करने का चरण अभी तक नहीं आया था। न्यायालय ने कहा, “प्रथम दृष्टया, हम पाते हैं कि यह रुख़ अस्वीकार्य है। यह नागरिकों की दुर्दशा के प्रति उदासीनता को दर्शाता है।”
भगदड़ की घटना और विवरण :
श्रेणी | विवरण |
---|---|
घटना की तारीख | 29 जनवरी, 2025 |
स्थान | संगम तट, प्रयागराज |
प्रसंग | मौनी अमावस्या स्नान पर्व |
सरकारी हताहत आंकड़ा | 30 लोगों की मौत, 60–90 घायल |
अन्य स्रोतों का दावा | न्यूज़लॉन्ड्री रिपोर्ट: 79 मौतेंस्टिंग ऑपरेशन: 58 मौतें घायलों की संख्या: 200+ (कुछ रिपोर्टों में) |
मुख्य कारण | – भीड़ नियंत्रण में विफलता – रात 8 बजे बाद लोगों को संगम भेजना – वीआईपी संस्कृति व प्रबंधन खामियां – रेलवे स्टेशन पर भीड़ और अफरा-तफरी |
चश्मदीदों की गवाही | समय पर सहायता नहीं मिली, अव्यवस्था थी |
बिना पोस्टमार्टम सौंपे गए शव पर गंभीर चिंता
एक पीड़ित के शव को बिना पोस्टमार्टम के सौंपने पर भी कोर्ट ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। याचिकाकर्ता की पत्नी का शव 5 फरवरी, 2025 को मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, प्रयागराज के शवगृह से उसके बेटे को सौंप दिया गया था। उस समय कोई जांच या पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार नहीं की गई थी।
- अदालत ने कहा, “यह पता लगाना अभी बाकी है कि उसका शव मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से जुड़ी मोर्चरी में कैसे पहुंचा।”
- अगर किसी व्यक्ति को किसी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, तो सरकारी एजेंसियों द्वारा पेश किए गए दस्तावेज़ों में जानकारी होनी चाहिए थी।
याचिकाकर्ता बिहार के कैमूर (भभुआ) जिले के करौंदा का निवासी है। उसे अपनी पत्नी का शव अपने गृह जिले ले जाना पड़ा। वहीं जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार की गई। यह घटना कुंभ मुआवजा में देरी के साथ-साथ प्रक्रियागत लापरवाही भी दर्शाती है।
राज्य की ट्रस्टी के तौर पर जिम्मेदारी
न्यायालय ने जोर देकर कहा कि राज्य अपने नागरिकों का ट्रस्टी बना हुआ है। यह न केवल उनके जीवन की रक्षा करने के लिए बाध्य है, बल्कि अप्रत्याशित नुकसान के लिए उपाय और देखभाल भी प्रदान करने के लिए बाध्य है। कुंभ मेले का प्रबंधन पूरी तरह से राज्य के हाथों में था। किसी अन्य प्राधिकारी के हाथों में नहीं था।
- “राज्य अपने नागरिकों का ट्रस्टी बना हुआ है। यह न केवल उनके जीवन की रक्षा करने और उन्हें अपरिहार्य नुकसान से सुरक्षित रखने के लिए बाध्य है, बल्कि यह ऐसे अप्रत्याशित नुकसान के लिए उपाय और देखभाल प्रदान करने के लिए भी बाध्य और कर्तव्यबद्ध है।”
- यह निर्विवाद है कि कुंभ मेले का प्रबंधन राज्य के हाथों में था और किसी अन्य प्राधिकारी के हाथों में नहीं था।
जब मृतक के परिवार की पहचान राज्य को पता चल गई थी, तो यह राज्य की ओर से दिखावा और बहाना प्रतीत होता है। पीड़ित परिवार से, जो दूर-दूर से आए थे, राज्य से पैसे की भीख माँगने की अपेक्षा करना गलत है। यह निश्चित रूप से मृतक द्वारा किए गए किसी दोष के कारण नहीं था।
चिकित्सा प्रबंधन और रिकॉर्ड में खामियां
जे.एन. मौर्य ने अतिरिक्त मेला अधिकारी के निर्देश प्रस्तुत किए। इसमें आयोजन के दौरान किए गए चिकित्सा प्रबंधों का पैमाना बताया गया था। इनमें एक केंद्रीय अस्पताल और दो उप-केंद्रीय अस्पताल शामिल थे। आठ क्षेत्रीय अस्पताल भी थे। दो संक्रामक रोग अस्पताल और दस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी शामिल थे। ये सभी मेला अधिकारी के नियंत्रण में थे।
- कई सरकारी अस्पतालों में 305 बिस्तर कुंभ से संबंधित मामलों के लिए आरक्षित किए गए थे।
- इलाहाबाद नर्सिंग होम एसोसिएशन और इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के माध्यम से निजी अस्पतालों को भी शामिल किया गया था।
मेले के दौरान दो शवगृहों का उपयोग किया गया था। इनमें से एक स्वरूप रानी अस्पताल में और दूसरा मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में था। हालांकि, यह बताने के लिए कोई स्पष्ट रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं किया गया कि याचिकाकर्ता की पत्नी का शव बाद वाले तक कैसे पहुंचा। अगर किसी मरीज को अस्पताल में मृत लाया गया था, तो उस बयान को भी दर्ज करना चाहिए था। संबंधित को इसकी जानकारी भी देनी चाहिए थी।
कोर्ट के सख्त निर्देश और अगली सुनवाई
शुक्रवार को पारित अपने आदेश में, न्यायालय ने राज्य प्राधिकारियों को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। इसमें अनुग्रह राशि के भुगतान के लिए प्राप्त कुल दावों, तय किए गए और लंबित दावों की संख्या का विवरण होना चाहिए। साथ ही, दावों की प्राप्ति की तिथियों और उनके निपटान की तारीख का भी खुलासा करना होगा। मामले की अगली सुनवाई की तारीख 18 जुलाई, 2025 तय की गई है। कुंभ मुआवजा में देरी पर न्यायालय आगे भी सख्त रुख अपनाएगा। यह मामला न्याय और मानवीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।
- न्यायालय ने प्रयागराज में कई चिकित्सा संस्थानों और प्राधिकारियों को याचिका में पक्षकार बनाने का निर्देश दिया।
- उनसे 28 जनवरी से महाकुंभ के समापन के बीच सभी मौतों और पीड़ितों के उपचार का विवरण का खुलासा करते हुए हलफनामा दाखिल करने को कहा।
मेला प्रबंधन औरअन्य मुद्दे
श्रेणी | विवरण |
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भीड़ का अनुमान | लगभग 66 करोड़ (660 मिलियन) श्रद्धालु |
जल गुणवत्ता रिपोर्ट | प्रारंभ में अशुद्ध, बाद में स्नान योग्य (CPCB) |
स्वच्छता व्यवस्था | – 1.5 लाख शौचालय – 10,000 स्वच्छता कर्मचारी – निगरानी प्रणाली सक्रिय |
सुरक्षा तैनाती | – 40,000 पुलिस – 2,300 CCTV कैमरे – NDRF व CAPF बल |
चिकित्सा प्रबंध | – 1 केंद्रीय, 2 उपकेंद्रीय, 8 क्षेत्रीय अस्पताल – 2 संक्रामक रोग अस्पताल, 10 PHC – 305 बिस्तर आरक्षित – 2 शवगृह |
यातायात उपाय | – विशेष ट्रेनें, अतिरिक्त डिब्बे – वीआईपी पास रद्द – नो-व्हीकल ज़ोन |
अन्य दुर्घटनाएं | – गैस विस्फोट: 19 जनवरी – वाहन दुर्घटनाएं: 15, 22, 24 फरवरी (कई मौतें) |
NGT याचिका | – खुले में शौच व गंगा प्रदूषण पर चिंता – ₹10 करोड़ पर्यावरण मुआवजे की मांग |
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