लश्कर-TRF आतंकी नेटवर्क : भारत पर सालों से जारी हमला

लश्कर-TRF आतंकी नेटवर्क पर NIA की शिकंजा कसती रणनीति
लश्कर-TRF आतंकी नेटवर्क के खिलाफ भारत की शीर्ष आतंकवाद रोधी एजेंसी NIA ने निर्णायक मोर्चा खोल रखा है। TRF को लश्कर-ए-तैयबा का छद्म संगठन माना जाता है, जिसका गठन 2019 में हुआ था। इसका उद्देश्य लश्कर की अंतरराष्ट्रीय पहचान को छिपाकर भारत में छिपे तौर पर हमलों को अंजाम देना है। इस नेटवर्क को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से हथियार, प्रशिक्षण और साइबर सहयोग मिलता रहा है। TRF कश्मीर घाटी में युवाओं को कट्टरपंथ की ओर धकेलने, सोशल मीडिया के जरिए भ्रामक प्रचार फैलाने और फंडिंग की व्यवस्था बनाने में सक्रिय रहा है। इस नेटवर्क ने पहलगाम जैसे हमलों की जिम्मेदारी लेते हुए बार-बार यह दिखाया है कि यह केवल आतंकी गतिविधियों का माध्यम नहीं, बल्कि एक रणनीतिक छाया नेटवर्क है, जो वैश्विक प्रतिबंधों से बचने के लिए डिजिटल रणनीतियों का इस्तेमाल करता है।
NIA की बहुस्तरीय कार्रवाई :
NIA ने पिछले कुछ वर्षों में TRF और लश्कर के खिलाफ चरणबद्ध तरीके से कार्रवाई की है, जिसमें गिरफ्तारियाँ, संपत्ति जब्ती और डिजिटल फोरेंसिक शामिल हैं।
- 2020 : TRF कमांडर हिलाल अहमद वानी गिरफ्तार।
- 2021 : जम्मू-कश्मीर में 7 ठिकानों पर छापेमारी।
- 2023 : दिल्ली-श्रीनगर में 15 ठिकानों पर एक साथ रेड।
- 2024 : TRF को UAPA के तहत प्रतिबंधित संगठन घोषित किया गया।
इन कार्रवाइयों ने TRF की ऑपरेशनल क्षमता को भारी नुकसान पहुँचाया है, परंतु यह नेटवर्क लगातार नए रूपों में उभरने की कोशिश करता है।
ISI और आतंकी संगठन का गठजोड़
TRF, ISI के निर्देश पर काम करता है और लश्कर-ए-तैयबा के वैकल्पिक चेहरे के रूप में भारत में सक्रिय है।
- POK के लश्कर कैंपों में प्रशिक्षण दिया जाता है।
- कम दृश्यता में आतंकी नेटवर्क चलाया जाता है।
- ISI तकनीकी और वित्तीय सहायता करता है।
NIA की चुनौतियाँ और भविष्य की रणनीति
TRF जैसे संगठन लगातार अपनी रणनीति बदलते हैं, जिससे जांच एजेंसियों को नई तकनीकी चुनौती मिलती है।
- कोडेड ऐप्स और VPN का उपयोग बढ़ा।
- NIA ने टेक एक्सपर्ट्स की नई टीम बनाई है।
- नए एजेंट्स को स्थानीय कवर दिया जाता है
डिजिटल नेटवर्क पर निगरानी का नया दौर
TRF के अधिकांश ऑपरेशन अब डिजिटल माध्यमों से संचालित हो रहे हैं। भर्ती से लेकर कट्टरपंथी वीडियो प्रचार तक सब कुछ मोबाइल ऐप्स और सोशल मीडिया पर होता है। NIA ने ऐसे कई फर्जी प्रोफाइल्स, एन्क्रिप्टेड चैट और VPN-आधारित नेटवर्क का पता लगाया है जो सीमा पार से ऑपरेट होते हैं। इन चैट्स की भाषा, लोकेशन डेटा और ट्रांजेक्शन हिस्ट्री को फोरेंसिक तरीके से एनालाइज किया गया है।
आतंकी फंडिंग का बहुआयामी मॉडल :
लश्कर-TRF आतंकी नेटवर्क को वित्तीय सहायता हवाला, नकली NGO और बिटकॉइन जैसे डिजिटल माध्यमों से मिलती है। यह पैसा जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकियों तक पहुँचाया जाता है।
NIA ने इन स्रोतों को ट्रैक कर कई जगह रेड की है:
- कई NGO के लाइसेंस रद्द हुए।
- हवाला चैनलों पर फंड ट्रैकिंग की गई।
- 2023 में क्रिप्टो वॉलेट जब्त हुए।
इस फंडिंग तंत्र को निष्क्रिय करना NIA की रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है।
पहलगाम हमले के बाद तेज़ हुई कानूनी प्रक्रिया
2025 के पहलगाम हमले के बाद NIA ने TRF के खिलाफ नई FIR दर्ज की और पाकिस्तान स्थित TRF कमांडर्स को निशाना बनाया। इंटरपोल के माध्यम से रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की प्रक्रिया तेज़ कर दी गई है। TRF की सोशल मीडिया टीम की गतिविधियाँ भी निगरानी में हैं, जिनका मकसद जन भावनाओं को भड़काकर राज्य में अस्थिरता फैलाना रहा है।
निर्णायक लड़ाई की ओर बढ़ता भारत
लश्कर-TRF आतंकी नेटवर्क के खिलाफ NIA की यह लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर है। तकनीकी विकास, डिजिटल निगरानी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग से NIA ने इन संगठनों को घेरना शुरू किया है। अब ज़रूरत है कि राजनीतिक नेतृत्व और जनता का सहयोग भी बराबर रूप से मिलते रहें, ताकि आतंक के इस अंधे जाल को पूरी तरह काटा जा सके।
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