CAG रिपोर्ट: मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और वित्तीय कुप्रबंधन का खुलासा
सीएजी ऑडिट में मध्य प्रदेश सरकार के गंभीर घोटाले सामने आए
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की 2021-22 की रिपोर्ट में मध्य प्रदेश सरकार के वित्तीय प्रबंधन में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। यह रिपोर्ट राज्य में आपदा राहत निधि, भूमि आवंटन और कल्याणकारी योजनाओं में व्यापक गड़बड़ी को उजागर करती है, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है।
आपदा राहत निधि में 23.81 करोड़ का घोटाला
सीएजी रिपोर्ट के अनुसार, 13 जिलों में अनधिकृत लोगों को 23.81 करोड़ रुपये की राहत राशि गलत तरीके से वितरित की गई। सरकारी कर्मचारियों और उनके रिश्तेदारों ने बाढ़, सूखा और ओलावृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाओं के नाम पर धन हड़प लिया। इसके लिए जाली दस्तावेजों और फर्जी लाभार्थियों के नामों का इस्तेमाल किया गया।
भूमि आवंटन में भ्रष्टाचार से 65 करोड़ का नुकसान
भोपाल में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन को 20.234 हेक्टेयर जमीन गलत मूल्यांकन पर आवंटित की गई, जिससे 65.05 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा हुआ। इसी तरह, इंदौर में IHBL (तेल और गैस कंपनियों का संयुक्त उद्यम) को दी गई जमीन पर पंचायत उपकर नहीं लगाया गया, जिससे 70.13 लाख रुपये का नुकसान हुआ।
सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा और निष्क्रिय प्रशासन
भोपाल के वल्लभ भवन और कलेक्ट्रेट के पास 37.69 हेक्टेयर सरकारी जमीन पर अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर रखा है, जिसका बाजार मूल्य 322.71 करोड़ रुपये है। इसके बावजूद प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की।
कल्याणकारी योजनाओं में धोखाधड़ी
2.47 करोड़ की धोखाधड़ी: राजपुर और सेंधवा में जनपद पंचायतों के अधिकारियों ने असंगठित श्रमिकों की निधि से 2.47 करोड़ रुपये गबन किए।
मृतकों के नाम पर फर्जीवाड़ा: कुछ मामलों में एक ही मृतक श्रमिक को दो अलग-अलग योजनाओं से 89.21 लाख रुपये का भुगतान किया गया।
अयोग्य लाभार्थियों को धन वितरण: 60 साल से अधिक उम्र के लोगों और पहले से पेंशन पाने वालों को 1.04 करोड़ रुपये की अनुग्रह सहायता दी गई।
सिस्टम में खामियां और सुधार की जरूरत
रिपोर्ट में IFMIS (इंटीग्रेटेड फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम) और वैश्विक बजट प्रणाली की कमियों को उजागर किया गया है, जिनका दोहन भ्रष्ट अधिकारियों ने किया। सीएजी ने तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई, जांच और दोषियों के खिलाफ कड़े कदम उठाने की सिफारिश की है।
निष्कर्ष: जवाबदेही और पारदर्शिता की कमी
मध्य प्रदेश सरकार के वित्तीय प्रबंधन में गंभीर लापरवाही और भ्रष्टाचार के ये मामले राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हैं। सीएजी की रिपोर्ट के बाद अब यह देखना होगा कि सरकार दोषियों के खिलाफ कितनी कड़ी कार्रवाई करती है और भविष्य में ऐसे घोटालों को रोकने के लिए क्या कदम उठाती है।
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