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महाराष्ट्र: भूमि अधिग्रहण मुआवजे में एकल ब्याज दर! जानें कैसे मिलेगा फायदा?

महाराष्ट्र भूमि अधिग्रहण

महाराष्ट्र सरकार ने भूमि अधिग्रहण से जुड़े मुद्दों को हल करने के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है । मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में विलंबित मुआवजे पर ब्याज की गणना के तरीके में बदलाव को मंजूरी दी गई । साथ ही, शहरी निकायों की संपत्तियों के पट्टा नियमों और अध्यक्षों को हटाने की प्रक्रिया में भी सुधार किया गया है । यह जानकारी आपके लिए क्यों महत्वपूर्ण है? चलिए, विस्तार से समझते हैं!

भूमि अधिग्रहण मुआवजे में ब्याज दर पुराने vs नया नियम

2013 के कानून के अनुसार, भूमि अधिग्रहण मामलों में मुआवजे में देरी होने पर जमीन मालिकों को अलग- अलग दरों( 12, 9, 15) पर ब्याज मिलता था । हालांकि, इसकी वजह से सरकार पर खर्च का बोझ और परियोजनाओं की लागत बढ़ती थी । अब, नए विधेयक के तहत एकल ब्याज दर लागू की जाएगी, जो बैंकों की रेपो दर से 1 अधिक होगी । इससे मुआवजा प्रक्रिया सरल होगी और सरकारी खजाने पर बोझ कम होगा ।

शहरी संपत्तियों के पट्टे में बदलाव जानें नए नियम

महाराष्ट्र सरकार ने नगर निगमों, परिषदों और औद्योगिक नगरों में अचल संपत्तियों के पट्टा नियमों को पारदर्शी बनाने का फैसला किया है । 6 नवंबर 2023 से लागू नए नियमों के अनुसार

आवासीय, शैक्षणिक, धर्मार्थ व सार्वजनिक संपत्तियों की लीज दर बाजार मूल्य के 0.5 से कम नहीं होगी ।

वाणिज्यिक व औद्योगिक उपयोग के लिए यह दर 0.7 निर्धारित की गई है ।

इसके अलावा संपत्ति मूल्यांकन और लीज दर तय करने की जिम्मेदारी जिला कलेक्टर की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय समिति को सौंपी गई है । इसके अलावा, नियमों पर जनता के सुझाव आमंत्रित किए जाएंगे, जिसके बाद अंतिम अधिसूचना जारी होगी ।

अभय योजना संपत्ति कर बकाया माफी का लाभ

साथ ही सरकार ने नगर परिषदों और औद्योगिक नगरों में बकाया संपत्ति कर के संग्रह को बढ़ाने के लिए अभय योजना को हरी झंडी दिखाई । इसके तहत देरी पर लगने वाले दंड को माफ करके लोगों को कर चुकाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा । यह कदम स्थानीय निकायों के राजस्व में वृद्धि करेगा ।

अध्यक्ष को हटाने का नया प्रावधान सदस्यों को मिला अधिकार

नगर परिषदों और पंचायतों के अध्यक्षों को पद से हटाने की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया गया है । पहले, 50 सदस्यों के हस्ताक्षर वाला प्रस्ताव कलेक्टर को भेजा जाता था, जिसके बाद शासन स्तर पर कार्रवाई होती थी । अब, दो- तिहाई सदस्यों के समर्थन से प्रस्ताव भेजने पर कलेक्टर को 10 दिनों के भीतर विशेष बैठक कर मतदान कराना होगा । इससे प्रक्रिया तेज और लोकतांत्रिक बनेगी ।

पारदर्शिता और सुगमता पर जोर

महाराष्ट्र सरकार के इन निर्णयों का मुख्य उद्देश्य भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को न्यायसंगत बनाना, शहरी निकायों के कामकाज में पारदर्शिता लाना और प्रशासनिक देरी को कम करना है । ये बदलाव न केवल आम नागरिकों को लाभ देंगे, बल्कि राज्य के विकास को भी गति देंगे ।

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