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राहुल गांधी का हमला: मेक इन इंडिया विफल, मोदी सिर्फ नारेबाज़ी में माहिर

मेक इन इंडिया विफल

लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने दावा किया कि ‘मेक इन इंडिया’ योजना, जिसे मोदी सरकार ने राष्ट्र निर्माण की रीढ़ बताया था, विफल हो चुकी है। राहुल गांधी का कहना है कि यह पहल देश में फैक्ट्री बूम लाने में पूरी तरह असफल रही है और इसका परिणाम भारत की गिरती विनिर्माण दर, बढ़ती बेरोजगारी और चीन से आयात में भारी उछाल के रूप में सामने आया है।

मुख्य बिंदु :

  1. राहुल गांधी ने कहा, ‘मेक इन इंडिया विफल’, देश में निर्माण नहीं, केवल असेंबली हो रही।
  2. नेहरू प्लेस में युवाओं से बातचीत कर राहुल ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए।
  3. उन्होंने बताया कि देश में बेरोजगारी चरम पर है और आयात चीन से दोगुना बढ़ गया।
  4. PLI योजना को लेकर आरोप लगाया कि यह उद्योगपतियों की मदद के लिए बनी थी।
  5. भाजपा ने राहुल के आरोपों को नाटक और तथ्यों को तोड़-मरोड़ बताकर खारिज किया।
  6. राहुल ने श्रमिकों को सम्मान न मिलने को जातीय सोच से जोड़कर सामाजिक मसला बताया।
  7. गांधी ने आत्मनिर्भरता, ईमानदार सुधारों और छोटे उत्पादकों को समर्थन देने की वकालत की।

नेहरू प्लेस से राष्ट्रव्यापी बहस तक

राहुल गांधी ने दिल्ली के नेहरू प्लेस में मोबाइल रिपेयर तकनीशियनों शिवम और सैफ से बातचीत की, जिसका वीडियो उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर साझा किया। उन्होंने इन दो कुशल युवाओं की प्रतिभा और संघर्ष को उदाहरण के तौर पर पेश किया और सवाल उठाया कि अगर ऐसे युवाओं को भी अवसर नहीं मिल रहा, तो ‘मेक इन इंडिया’ की साख पर सवाल उठना स्वाभाविक है।

उनका कहना था,

“शिवम और सैफ जैसे होशियार युवाओं को अवसर नहीं मिल रहा, क्योंकि हम निर्माण नहीं करते, सिर्फ असेंबल करते हैं।”

गांधी ने बताया कि मोबाइल फोन, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं भारत में केवल असेंबल की जाती हैं, उनका निर्माण नहीं होता। उन्होंने ‘मेड इन इंडिया’ और ‘असेंबल इन इंडिया’ में फर्क स्पष्ट किया।

मेक इन इंडिया की नीतिगत आलोचना

राहुल गांधी ने दावा किया कि मोदी सरकार केवल आकर्षक नारे गढ़ने में माहिर है, लेकिन वास्तविक समाधान देने में विफल रही है। उन्होंने कहा कि:

  • वर्ष 2014 से भारत की अर्थव्यवस्था में विनिर्माण का योगदान 14% तक गिर गया है।
  • युवा बेरोजगारी अभूतपूर्व स्तर पर पहुँच चुकी है।
  • चीन से आयात दोगुना से भी अधिक हो गया है, जिससे भारत का व्यापार घाटा बढ़ा है।

उनका स्पष्ट कहना था,

“मेक इन इंडिया ने फैक्ट्री बूम का वादा किया था, लेकिन सच्चाई यह है कि मेक इन इंडिया विफल रहा है।”

पीएलआई योजना पर भी उठाए सवाल

राहुल गांधी ने उत्पादन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना को लेकर भी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि इस बहुचर्चित योजना को सरकार अब चुपचाप कम कर रही है या बंद कर चुकी है। उन्होंने कहा कि यह योजना भी बड़े उद्योगपतियों के फायदे के लिए डिज़ाइन की गई थी, जबकि छोटे उत्पादकों को कोई ठोस लाभ नहीं मिला।

उन्होंने कहा,

“अगर हम यहां निर्माण नहीं करते, तो हम बस उन लोगों से खरीदते रहेंगे जो निर्माण करते हैं। समय निकलता जा रहा है।”

भाजपा का पलटवार: तथ्यात्मक जवाब

राहुल गांधी के आरोपों पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। आंध्र प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष विष्णु वर्धन रेड्डी ने गांधी के बयानों को झूठ, नाटक और तथ्य तोड़-मरोड़कर पेश करने वाला करार दिया।

भाजपा के अनुसार:

  • भारत आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता बन चुका है।
  • PLI योजना को वापस नहीं लिया गया, बल्कि उसका विस्तार हो रहा है
  • नौकरियाँ पैदा हो रही हैं, और निवेश चीन से भारत की ओर स्थानांतरित हो रहा है।
  • कांग्रेस के शासन में ही चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़ा था।

सामाजिक और संरचनात्मक चिंता भी उठाई

राहुल गांधी ने सिर्फ आर्थिक नहीं, सामाजिक मुद्दों को भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत में श्रमिकों और हस्तकला से जुड़े कार्यों को वह सम्मान नहीं मिलता जो मिलना चाहिए। उन्होंने इसे जातिगत सोच से जोड़ा और कहा कि देश में सत्ता और सम्मान का वितरण बराबरी से नहीं होता।

उन्होंने जोर देकर कहा,

“हमें खुले तौर पर देखना होगा कि हमारा समाज कैसे सम्मान और अवसर बाँटता है।”

राहुल गांधी की चेतावनी और दृष्टिकोण

गांधी ने भारत के आर्थिक भविष्य को लेकर गंभीर चिंता जताई और कहा कि यदि देश आत्मनिर्भर नहीं बनता, तो वह केवल दूसरों के लिए एक बड़ा बाज़ार बनकर रह जाएगा। उन्होंने ईमानदार सुधारों, वित्तीय सहायता और छोटे उत्पादकों के सशक्तिकरण की वकालत की।

उनके शब्दों में:

“भारत को बुनियादी बदलाव की जरूरत है – एक ऐसा बदलाव जो लाखों छोटे उत्पादकों को सशक्त बनाए। मेक इन इंडिया विफल रहा है क्योंकि उसमें जनता को केंद्र में नहीं रखा गया।”

प्रचार बनाम प्रगति?

राहुल गांधी के इस बयान ने एक बार फिर देश की औद्योगिक नीति, रोजगार नीति और आयात-निर्यात रणनीति पर बहस छेड़ दी है। जहां सरकार निवेश और उत्पादन बढ़ाने का दावा करती है, वहीं विपक्ष ज़मीनी हकीकत और आंकड़ों के ज़रिए उसका विरोध कर रहा है।

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