मीठी नदी घोटाला खुलासा: नगर निगम को 65 करोड़ का चूना
मुंबई में 2013 से 2023 की अवधि तक चला मीठी नदी घोटाले का गोरखधंधा
1) SIT जांच में 10 साल के गाद अनुबंधों में गंभीर अनियमितताएं 2) मृतकों के नाम पर MOU, नकली दस्तावेज़ों से भुगतान 3)बिना तौल रिकॉर्ड के फर्जीवाड़ा कर निकाला गया मलबा
मीठी नदी गाद घोटाला की प्रारंभिक जांच में सामने आया कि 2013 से 2023 तक BMC द्वारा दिए गए गाद निकालने के ठेके भ्रष्टाचार से भरे थे। ठेकेदारों ने मृतक ज़मीन मालिकों के नाम पर MOU बनवाए।
SIT को ऐसे 9 मामलों के प्रमाण मिले जहां कथित MOU फर्जी निकले
निगम को 45 करोड़ की ठगी इन फर्जी समझौतों से हुई
गाद निकालने की मात्रा का कोई वैज्ञानिक सर्वे नहीं हुआ
सिल्ट मशीनों में भी घोटाले का खेल :
मैटप्रॉप कंपनी की मशीनों को फायदा पहुंचाने को बदली गई टेंडर शर्तें
कीमत ₹1,609 से ₹2,193 प्रति टन की गई
EOW ने दो दलालों को गिरफ्तार किया
जांच में खुलासा हुआ कि मीठी नदी गाद घोटाला में शामिल अफसरों ने मैटप्रॉप कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर में मशीनरी की विशेष शर्तें जोड़ दीं।
बीएमसी ने मशीनें खरीदने के बजाय किराए पर लेने का विकल्प अपनाया
ठेके में केवल मैटप्रॉप ही योग्य ठहरी, जिससे प्रतिस्पर्धा खत्म हुई
इस हेरफेर से दरें 36% तक बढ़ गईं और निगम को ₹17 करोड़ का नुकसान हुआ
गिरफ्तारियां और अधिकारियों की भूमिका :
BMC के तीन सीनियर इंजीनियर्स समेत 13 पर IPC की गंभीर धाराओं में मामला दर्ज
दो बिचौलियों, केतन कदम और जय जोशी की गिरफ्तारी
दस्तावेज़ों पर अनधिकृत अधिकारियों के हस्ताक्षर
FIR में IPC की धारा 406, 420, 465 और 120-B लगाई गई हैं। आरोपी BMC अफसरों में प्रशांत रामगुडे, गणेश बेंद्रे और तायशेते के नाम शामिल हैं।
मैटप्रॉप से जुड़ी टीम ने BMC के साथ सीधे संपर्क बनाए रखा
फर्जी चालानों से मलबा मुंबई से बाहर ले जाने का नाटक
जिन जमीनों पर मलबा डंप होना था, वहां कुछ भी नहीं मिला
राजनीतिक प्रतिक्रिया और SIT गठन :
भाजपा MLC प्रसाद लाड व प्रवीण दारकेकर ने विधान परिषद में उठाया मुद्दा
अगस्त 2024 में SIT का गठन
BMC आयुक्त भूषण गगरानी ने चुप्पी साधी
मीठी नदी गाद घोटाला के राजनीतिक प्रभाव को नजरअंदाज़ नहीं किया जा सकता। भाजपा नेताओं द्वारा मामले को जोरदार ढंग से विधानसभा में उठाने के बाद ही SIT का गठन हुआ।
राज्य सरकार पर BMC में पारदर्शिता सुनिश्चित करने का दबाव
अब तक की यह छठी SIT है जो BMC ठेकों की जांच कर रही है
यह घोटाला केवल भ्रष्ट अधिकारियों का मामला नहीं है, बल्कि एक प्रणालीगत विफलता की तस्वीर है जिसमें ठेकेदारों, दलालों और प्रशासकों ने मिलकर जनता के पैसे का दुरुपयोग किया। यह भी स्पष्ट है कि गाद निकालने जैसे कार्यों में वैज्ञानिक निगरानी और पारदर्शी टेंडर प्रक्रिया की सख्त ज़रूरत है।
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