रे रोड केबल ब्रिज और टिटवाला ORB: यातायात समाधान या नई समस्याएं?

रे रोड केबल स्टेड ब्रिज: मुंबई का पहला भूमि-आधारित आधुनिक पुल
मुंबई 13 मई को शहरी बुनियादी ढांचे में एक और नया अध्याय जोड़ने जा रही है। इसी दिन, रे रोड पर शाम 7 बजे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इस बहुप्रतीक्षित पुल का उद्घाटन करेंगे।खास बात यह है कि यह मुंबई का पहला भूमि-आधारित केबल-स्टेड ब्रिज होगा, जो तकनीकी दृष्टि से भी एक उपलब्धि मानी जा रही है। जहां बांद्रा-वर्ली सी लिंक समुद्र के ऊपर बना है, वहीं यह पुल पूरी तरह ज़मीन पर बनाया गया है। इसका डिज़ाइन खासतौर पर घनी आबादी वाले शहरी इलाकों की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। दिलचस्प बात यह है कि कुछ वाहन चालक पिछले दिनों से ही इस ब्रिज का उपयोग कर रहे हैं। हालांकि, इसका
- आधिकारिक उद्घाटन तय तारीख यानी 13 मई को ही किया जाएगा।
- 273 करोड़ की लागत से बना यह पुल 385 मीटर लंबा और छह लेन वाला है।
- पैदल यात्रियों के लिए इसमें फुटपाथ नहीं रखा गया, जिससे स्थानीयों में नाराज़गी है।
- स्थानीय नागरिकों ने इसे असुरक्षित और अपूर्ण योजना बताया है।
क्यों खास है यह पुल?
- आधुनिक डिज़ाइन: केबल-स्टेड तकनीक से बना, जिसमें केंद्रीय पिलर से केबल्स जुड़ी हैं।
- यातायात राहत: बायकुला-मझगांव रूट पर भीड़ कम करेगा, 30 मिनट का समय बचाएगा।
- सौंदर्यीकरण: एलईडी लाइटिंग और ब्रिज हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम लगा है।
रे रोड पुल स्टेशन असंगति बनी चिंता का कारण
उद्घाटन से पहले ही खामियां उजागर
- पुल दिसंबर 2024 में बनकर तैयार हुआ
- उद्घाटन के लिए 6 महीने इंतज़ार करना पड़ा
- पैदल चलने वालों के लिए कोई सुविधा नहीं
रे रोड का नया केबल-स्टेड पुल तकनीकी रूप से भले ही आधुनिक हो, लेकिन व्यावहारिक दृष्टिकोण से असंगतियों से भरपूर है। रे रोड पुल स्टेशन असंगति इस समय चर्चा का केंद्र है, क्योंकि पुल से रेलवे स्टेशन तक कोई पैदल रास्ता नहीं है। पुल छह लेन का है, लेकिन फुटपाथ नदारद हैं। यह मुंबई जैसे शहर में, जहां 60% लोग पैदल चलते हैं, एक बड़ी चूक मानी जा रही है।
तकनीकी सफलता, पर जनता के लिए असुविधा
सौंदर्यशास्त्र और तकनीक पर ज़ोर, जनता की अनदेखी
- पुल की लंबाई 385 मीटर
- निर्माण लागत ₹266 करोड़
- आधुनिक केबल-स्टेड डिज़ाइन, लेकिन बिना पैदल सुविधा
यह पुल मुंबई का पहला भूमि आधारित केबल-स्टेड ब्रिज है, जिसमें अत्याधुनिक डिजाइन, सेंट्रल स्पाइन गर्डर और एलईडी लाइटिंग शामिल है। लेकिन इससे रे रोड पुल स्टेशन असंगति और गहराती जा रही है, क्योंकि स्टेशन भवन से पुल का कोई सीधा संबंध नहीं है। कनेक्टर करीब 7 फीट ऊपर है, जिससे यात्रियों को लंबा चक्कर लगाना पड़ता है।
पैदल यात्रियों के लिए चुनौती, विरोध में उठी आवाज़ें
स्थानीय नागरिकों और कार्यकर्ताओं का आक्रोश
- कोई पैदल फुटपाथ नहीं
- बायकुला निवासी अहमद मेमन ने जताई नाराज़गी
- ‘वॉकिंग प्रोजेक्ट’ ने बीएमसी से की समीक्षा की मांग
वेदांत म्हात्रे जैसे शहरी पैदल अधिकार कार्यकर्ताओं ने बीएमसी की आलोचना करते हुए कहा कि 2025 में भी फुटपाथ के बिना पुल बनाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने गोखले और डेलिसल पुल का उदाहरण देकर बताया कि शहर के ज़्यादातर नए पुलों से फुटपाथ या तो संकीर्ण कर दिए गए हैं या हटा दिए गए हैं। ये नीति जन-विरोधी है और खासतौर पर उस शहर में, जहां केवल 15% लोग निजी वाहन रखते हैं, इसे अनुचित माना जा रहा है।
सरकारी सफाई और समाधान की उम्मीद
बीएमसी ने दिया आश्वासन, होगा स्टेशन से एकीकरण
- नया फुटओवर ब्रिज प्रस्तावित
- चित्र मध्य रेलवे द्वारा स्वीकृत
- जल्द ही काम शुरू होने की उम्मीद
अतिरिक्त नगर आयुक्त अभिजीत बांगर ने बताया कि स्टेशन के पुराने हेरिटेज टिकट कार्यालय को नए फुट ओवरब्रिज के ऊपर बहाल किया जाएगा, जो पुल से जुड़ा होगा। हालांकि, यह काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है, जिससे रे रोड पुल स्टेशन असंगति की समस्या बरकरार है। जब तक यह कनेक्शन पूरा नहीं होता, तब तक हजारों यात्रियों को असुविधा होती रहेगी।
टिटवाला आरओबी: कल्याण की ट्रैफिक समस्या का समाधान
टिटवाला आरओबी (820 मीटर) का भी उद्घाटन होगा, जो कल्याण रिंग रोड पर बना है। इससे:
- लेवल क्रॉसिंग गेट हटेगा, जो रोज़ 25 बार बंद होता था।
- मंदिर जाने वाले तीर्थयात्रियों को राहत मिलेगी।
प्रमुख समस्याएं और सुधार की मांग :
- पुल में फुटपाथ नहीं, पैदल यात्रियों को खतरा
- स्टेशन से पुल का कोई सीधा कनेक्शन नहीं
- यात्री लंबा चक्कर लगाकर स्टेशन पहुँचने को मजबूर
- रेलवे टिकट काउंटर की पुरानी संरचना पुल से कट गई
- स्थानीयों का विरोध, BMC और रेलवे से जवाबदेही की माँग
- गोखले पुल जैसा मिसअलाइनमेंट, नागरिकों को गुस्सा
- वॉकिंग प्रोजेक्ट ने BMC को पत्र देने की तैयारी की
मुंबई जैसे घने और जन-आधारित शहर में, पैदल चलने वालों को नज़रअंदाज़ करना एक गंभीर नीति चूक है। यदि जल्द सुधार नहीं हुआ, तो यह परियोजना मिसाल की जगह मिसमैच बन सकती है।
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