नागपुर, महाराष्ट्र – नागपुर में हुई हिंसक झड़पों ने राज्य की राजनीति को गरमा दिया है। विपक्षी नेता शिव जयंती (छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती) के दिन हुई नागपुर हिंसा को “सरकारी साजिश” बता रहे हैं और महायुती सरकार (भाजपा-शिवसेना-एनसीपी) पर आरोप लगा रहे हैं कि यह “जानबूझकर सांप्रदायिक तनाव फैलाकर जनता के असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश” की गई। इस घटना में बड़े पैमाने पर आगजनी, पथराव और पुलिस पर हमले हुए, जिसमें कई लोग घायल हुए और संपत्ति को नुकसान पहुंचा।
नागपुर हिंसा: मुख्य बिंदु
क्या दंगे पूर्वनियोजित थे?: कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (नागपुर के गार्डियन मंत्री) पर “सरकारी विफलता” का आरोप लगाते हुए कहा कि शिव जयंती के दिन हिंसा करवाकर “छत्रपति शिवाजी की विरासत का अपमान किया गया।”
उद्धव ठाकरे का निशाना: शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आरएसएस के मुख्यालय नागपुर का जिक्र करते हुए कहा, “डबल इंजन सरकार विफल है तो इस्तीफा दें।”
नागपुर हिंसा में1,000 उपद्रवियों का आतंक: मास्क पहने 1,000 से अधिक उपद्रवियों ने नुकीले हथियारों, लाठियों और बोतलों से दुकानों को तोड़ा, 25+ वाहनों में आग लगाई और घरों पर हमले किए।
पुलिस कमिश्नर डॉ. रविंदर सिंघल ने 20+ गिरफ्तारियों की पुष्टि की, जबकि सीसीटीवी फुटेज जांच के दायरे में है।
डीसीपी घायल: औरंगजेब की कब्र को लेकर चल रहे विवाद के बीच हुए संघर्ष में डीसीपी निकेतन कदम कुल्हाड़ी के हमले में गंभीर रूप से घायल हो गए।
नागपुर हिंसा ट्रेंड क्यों?
संदिग्ध समय: शिव जयंती के दिन हिंसा भड़कना, जो मराठा गौरव का प्रतीक है, विपक्ष को लगता है कि भाजपा सरकार चुनाव से पहले सांप्रदायिक ध्रुवीकरण चाहती है।
ध्यान भटकाने की रणनीति?: नाना पटोले ने किसान संकट, बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार पर सरकार की नाकामी छिपाने का आरोप लगाया।
आरएसएस कनेक्शन: उद्धव ठाकरे के बयान से राजनीतिक साजिश के आरोपों को हवा मिली।
चश्मदीदों ने बताई आपबीती: “बच्चों को निशाना बनाया
सुनील पेशने (पीड़ित): “500-1,000 की भीड़ ने मेरी कार और 30+ वाहन जलाए। ऊपरी मंजिल पर बैठे बच्चों पर भी पत्थर फेंके। माधुरी पेशने: “उन्होंने खिड़कियां तोड़ दीं। नागपुर में ऐसी नफरत कभी नहीं देखी।
औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद
महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग को लेकर हफ्तों से तनाव था। दक्षिणपंथी समूहों ने ऐतिहासिक शिकायतों का हवाला देते हुए इसके विरोध में प्रदर्शन किए थे। चिटनवीस पार्क के पास “पवित्र किताब जलाने” की अफवाह ने आग में घी का काम किया, जिसके बाद हिंसा भड़क उठी।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और जनाक्रोश
कांग्रेस सांसद श्यामकुमार बर्वे: “नागपुर में कभी हिंदू-मुस्लिम दंगे नहीं हुए। यह असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की साजिश है।” नागपुर हिंसा को लेकर सीएम फडणवीस का बयान: दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का वादा किया, लेकिन हालात नियंत्रण में लेने में देरी पर आलोचना झेल रहे हैं।
जनता का गुस्सा: नागपुर के नागरिक पुलिसिंग में लापरवाही पर सवाल उठा रहे हैं।
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