नए आपराधिक कानून: स्वतंत्रता के बाद का सबसे बड़ा सुधार शाह का बड़ा दावा

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार (1 जुलाई, 2025) को नए आपराधिक कानूनों को “स्वतंत्रता के बाद सबसे बड़ा सुधार” बताया। उन्होंने कहा कि नए आपराधिक कानून FIR के 3 साल के भीतर न्याय प्रदान करेंगे। ये कानून औपनिवेशिक युग की भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेते हैं। 1 जुलाई, 2024 को भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) लागू हुए। शाह ने ‘न्याय प्रणाली में विश्वास का स्वर्णिम वर्ष’ कार्यक्रम में ये बातें कहीं।
न्याय की समय-सीमा और पारदर्शिता
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नए कानून आपराधिक न्याय प्रणाली को बदल देंगे। उन्होंने बताया कि अब न्याय मिलने में समय-सीमा का अभाव नहीं रहेगा। शाह ने सभी नागरिकों को आश्वस्त किया कि नए आपराधिक कानून FIR के 3 साल के भीतर न्याय सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कहा, “यह सुधार हर नागरिक के अधिकारों को जोड़ता है।” यह उनकी सुरक्षा का सबसे बड़ा साधन है। आपराधिक न्याय प्रणाली को पारदर्शी और सुलभ बनाना सबसे बड़ा सुधार है।
- कानून निर्माण में व्यापक परामर्श हुआ।
- पच्चीस महीनों में 100% सफलता मिलेगी।
- गृह मंत्रालय में 160 बैठकें हुईं।
- राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों, मुख्य न्यायाधीशों से इनपुट लिए गए।
- बार काउंसिल और कानून विश्वविद्यालयों से भी राय ली गई।
प्रमुख प्रावधान और तकनीकी एकीकरण
गृह मंत्री ने कानूनों के प्रमुख प्रावधानों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हिरासत में सभी व्यक्तियों के लिए ई-रजिस्टर अनिवार्य है। ऐसे व्यक्तियों को 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होगा। अब कोई अवैध हिरासत नहीं कह पाएगा। शिकायत पर रसीद मिलेगी। 90 दिनों के भीतर अनुवर्ती रिपोर्ट व्हाट्सएप पर भी उपलब्ध होगी। पहली बार महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को अलग अध्याय मिला है। आतंकवाद को परिभाषित किया गया है। संगठित अपराध से निपटने के कड़े प्रावधान हैं।
- FIR, FSL रिपोर्ट की ऑनलाइन पहुंच है।
- तलाशी और जब्ती की वीडियो रिकॉर्डिंग होगी।
- पोस्टमार्टम और अदालती प्रक्रियाओं की भी रिकॉर्डिंग होगी।
- सभी पुलिस स्टेशन CCITNS नेटवर्क से जुड़े हैं।
- 22 हजार अदालतें ऑनलाइन हैं।
- 1361 से अधिक जेलों में ई-प्रिजन लागू है।
- 193 मिलियन से अधिक अभियोजन रिकॉर्ड ऑनलाइन हैं।
प्रशिक्षण और प्रभावी क्रियान्वयन
शाह ने पुलिसिंग और अभियोजन में प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि 114 मिलियन व्यक्तियों का फिंगरप्रिंट डेटा NAFIIS पर उपलब्ध है। 3.6 लाख से अधिक मानव तस्करों का डेटा डिजिटल है। 13,000 आतंकवादी घटनाओं का डेटा भी डिजिटल है। 8 लाख मादक पदार्थों के मामलों का डेटा भी डिजिटल है। मंत्रालय अब AI-आधारित सॉफ्टवेयर पर काम कर रहा है। यह पुलिस स्टेशन स्तर पर डेटा का विश्लेषण करेगा। सुचारू क्रियान्वयन के लिए जन जागरूकता आवश्यक है।
- नए कानूनों पर हर राज्य में प्रदर्शनियां लगेंगी।
- ये प्रदर्शनियां स्थानीय भाषाओं में होंगी।
- जनता को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए।
- दिल्ली सरकार ने सबसे अच्छा और तेज क्रियान्वयन किया है।
- गृह मंत्रालय और दिल्ली प्रशासन ने मिलकर काम किया।
न्यायिक प्रक्रिया में आमूल-चूल परिवर्तन
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ये कानून “सस्ती, सुलभ और सुगम” हैं। ये न्यायिक प्रक्रिया को “सरल, अधिक सुसंगत और पारदर्शी” बनाते हैं। उन्होंने कहा कि नए कानून भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली को मौलिक रूप से बदल देंगे। पूर्ण कार्यान्वयन में लगभग तीन साल लगेंगे। इसके बाद हमारी न्याय प्रणाली दुनिया की सबसे आधुनिक प्रणाली बनेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ये कानून पेश हुए हैं। ये “अगर मैं FIR दर्ज कराऊंगा तो क्या होगा” के डर को खत्म करेंगे। इसके बजाय “FIR दर्ज कराने से तुरंत न्याय मिलेगा” का विश्वास जगाएंगे।
- 14.8 लाख पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षित किया गया।
- 42,000 जेल कर्मियों को भी प्रशिक्षण मिला।
- 19,000 से अधिक न्यायिक अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया।
- 11,000 से अधिक सरकारी अभियोजकों को प्रशिक्षण मिला।
- 23 राज्यों ने क्षमता निर्माण पूरा किया है।
- 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ई-साक्ष्य और ई-समन की अधिसूचना हुई।
न्याय प्रणाली में नए युग का सूत्रपात
नए आपराधिक कानूनों ने ब्रिटिश काल के कानूनों की जगह ली है। सरकार ने इन्हें भारत के इतिहास का सबसे बड़ा न्याय-केंद्रित सुधार बताया है। नए कानूनों में कई प्रमुख बदलाव हैं। कहीं भी शिकायत दर्ज करने की क्षमता है। शिकायतों का ऑनलाइन पंजीकरण भी संभव है। SMS जैसे इलेक्ट्रॉनिक तरीकों से समन जारी होंगे। सभी जघन्य अपराधों के लिए अपराध स्थलों की अनिवार्य वीडियोग्राफी होगी। सामूहिक बलात्कार के मामलों में 20 साल की सजा का प्रावधान है। यदि पीड़ित 12 वर्ष से कम है, तो मृत्युदंड भी संभव है। कानून में भीड़ द्वारा हत्या जैसे नए अपराध भी मान्यता प्राप्त हैं। भगोड़े अपराधियों की अनुपस्थिति में सुनवाई की अनुमति है।
- न्याय प्रणाली के तीन प्रमुख स्तंभों पर समय-सीमा लागू।
- पुलिस, अभियोजन और न्यायपालिका जिम्मेदार होंगे।
- जांच 90 दिनों में पूरी करनी होगी।
- आरोप पत्र दाखिल करने की भी समय-सीमा है।
- आरोप तय करने और फैसला सुनाने की भी समय-सीमा है।
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि एक मोबाइल फोन को भी अपडेट की जरूरत होती है। लेकिन देश ने अंग्रेजों के कानूनों को सालों तक बर्दाश्त किया। दिल्ली के एलजी वी.के. सक्सेना ने कहा कि इन कानूनों ने “साम्राज्यवाद का प्रतीक” हमेशा के लिए खत्म कर दिया है। ये कानून न्याय प्रणाली के एक नए युग की शुरुआत हैं।
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