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निजता उल्लंघन मामला: दिल्ली HC ने शाजिया इल्मी पर लगाया जुर्माना

दिल्ली HC ने शाजिया इल्मी पर लगाया जुर्माना

निजता के अधिकार बनाम मीडिया की स्वतंत्रता: केस की मुख्य बहस

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 4 अप्रैल 2025 को भाजपा नेता शाजिया इल्मी पर पत्रकार राजदीप सरदेसाई के खिलाफ दायर याचिका में तथ्य छिपाने के आरोप में ₹25,000 का जुर्माना लगाया। यह फैसला निजता के अधिकार और मीडिया एथिक्स के बीच चल रही बहस में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।

केस की जड़ें जुलाई 2024 में एक टीवी बहस से जुड़ी हैं, जहां कारगिल दिवस और अग्निवीर योजना पर चर्चा के दौरान इल्मी ने शो छोड़ दिया था। अदालत ने माना कि बहस के बाद इल्मी के वीडियो रिकॉर्डिंग को प्रसारित करना उनकी प्राइवेसी का उल्लंघन था।

वीडियो रिकॉर्डिंग विवाद: क्या कहा कोर्ट ने?

अदालत ने स्पष्ट किया कि जब शाजिया इल्मी शूटिंग फ्रेम से बाहर चली गईं, तो कैमरामैन द्वारा उनका वीडियो बनाना और सोशल मीडिया पर डालना निजता के अधिकार का उल्लंघन था।

हालांकि, माइक्रोफोन हटाने की रिकॉर्डिंग को लेकर इल्मी के दावों को कोर्ट ने “गलत धारणा” बताया। न्यायाधीशों ने ज़ोर दिया कि यदि इल्मी चाहतीं कि उनके कार्य रिकॉर्ड न हों, तो उन्हें पहले मीडिया टीम को सूचित करना चाहिए था। इस फैसले ने मीडिया गाइडलाइन्स और लाइव शो प्रोटोकॉल पर नई बहस छेड़ दी है।

क्या है केस की पृष्ठभूूमि?

जुलाई 2024 में, राजदीप सरदेसाई के शो पर ‘कारगिल दिवस’ और ‘अग्निवीर योजना‘ पर बहस के दौरान शाजिया इल्मी और अन्य पैनलिस्ट्स के बीच तीखी बहस हुई। इल्मी ने शो बीच में छोड़ दिया और बाद में आरोप लगाया कि उनके माइक हटाने और अस्थिर होकर उठने के दृश्यों को बिना सहमति के प्रसारित किया गया, जो उनकी प्रतिष्ठा और निजता के खिलाफ था।

मीडिया एथिक्स और कानूनी पहलू: एक्सपर्ट व्यू

कानूनी जानकारों का मानना है कि यह केस डिजिटल प्राइवेसी और मीडिया की ज़िम्मेदारी के बीच तालमेल की ज़रूरत को रेखांकित करता है। सुप्रीम कोर्ट के 2017 के पुट्टास्वामी केस में निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित किया गया था, लेकिन लाइव ब्रॉडकास्टिंग के दौरान इसकी व्यावहारिक व्याख्या अब तक स्पष्ट नहीं थी।

वकील अभिषेक मिश्रा के अनुसार, “यह फैसला मीडिया हाउसेज को यह समझने पर मजबूर करेगा कि सहमति और एथिकल रिपोर्टिंग की सीमाएं क्या हैं।” साथ ही, अंतरिम आदेश को बरकरार रखने से सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर कंटेंट हटाने की प्रक्रिया भी तेज़ होगी।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और सोशल मीडिया का रोल

इस मामले ने सोशल मीडिया पर #MediaVsPrivacy और #ShaziaIlmi की ट्रेंडिंग शुरू कर दी। भाजपा नेता इल्मी का समर्थन करते हुए कहते हैं कि यह फैसला “निजता की जीत” है, जबकि पत्रकार संगठनों का तर्क है कि यह “मीडिया की स्वतंत्रता पर अंकुश” लगा सकता है।

अग्निवीर योजना और कारगिल: क्यों है यह विवादास्पद?

बहस का विषय ‘अग्निवीर योजना‘ (सेना में छोटी अवधि की भर्ती) पहले से ही राजनीतिक विवादों में घिरा रहा है। कारगिल दिवस पर चर्चा के दौरान इल्मी ने योजना का समर्थन किया, जबकि विपक्षी पैनलिस्ट्स ने इसे “युवाओं के साथ धोखा” बताया। यह टकराव ही बहस के गरमाने और इल्मी के शो छोड़ने का कारण बना।

केस के आगे के प्रभाव

अदालत ने अगस्त 2024 के अंतरिम आदेश को बरकरार रखते हुए सरदेसाई को वीडियो हटाने का निर्देश दिया है। यह मामला भविष्य में मीडिया रिपोर्टिंग और व्यक्तिगत अधिकारों के बीच सीमाएं तय करने में मिसाल बन सकता है। विधि आयोग द्वारा ‘मीडिया एथिक्स गाइडलाइन्स’ पर चर्चा शुरू होने की उम्मीद है, ताकि ऐसे विवादों को रोका जा सके।

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