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ओबुलपुरम खनन घोटाला में गली जनार्दन रेड्डी को तेलंगाना हाईकोर्ट से जमानत

ओबुलपुरम खनन घोटाला

ओबुलपुरम खनन घोटाला एक बार फिर सुर्खियों में है। तेलंगाना उच्च न्यायालय ने कर्नाटक के पूर्व मंत्री गली जनार्दन रेड्डी को जमानत दे दी है। इस फैसले ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह केवल कानूनी प्रक्रिया है या इसके पीछे कुछ और है?

  • रेड्डी कर्नाटक में विधायक के रूप में कार्यरत हैं।
  • वह पूर्व पर्यटन और बुनियादी ढांचा मंत्री रहे हैं।
  • उन्हें CBI अदालत ने 7 साल की सजा सुनाई थी।

यह फैसला 6 मई 2025 को CBI अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए आरोपियों की अपील के बाद आया है। सभी आरोपियों को उच्च न्यायालय से समान राहत मिली है।

मुख्य बिंदु :

  1. तेलंगाना हाईकोर्ट ने गली जनार्दन रेड्डी को सशर्त जमानत देकर नई बहस छेड़ी।
  2. सीबीआई कोर्ट ने 6 मई को रेड्डी समेत चार आरोपियों को दोषी ठहराया।
  3. 884 करोड़ रुपये के अवैध खनन से सरकारी खजाने को बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ।
  4. जमानत के साथ विदेश यात्रा पर प्रतिबंध और 10-10 लाख का मुचलका।
  5. अयोग्यता के कारण गंगावती सीट रिक्त, चुनाव आयोग उपचुनाव की तैयारी में।
  6. CBI ने 219 गवाह पेश किए, दो साल तक जांच कर आरोपपत्र दाखिल किया।
  7. रेड्डी का बेल्लारी पर प्रभाव कायम, भविष्य की राजनीति पर सबकी निगाहें।

रेड्डी की रिहाई: जेल से आजादी या भविष्य की राजनीति की बिसात?

न्यायमूर्ति के. लक्ष्मण ने यह आदेश पारित किया। उन्होंने छुट्टियों के दौरान अपीलों की सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं ने रिमांड कैदी होने का तर्क दिया। उन्होंने अपनी आधी से अधिक जेल की सजा काट ली थी। दोषसिद्धि पर रोक नहीं लगने से समस्या होती। गंगावती निर्वाचन क्षेत्र को अपूरणीय कठिनाई होती। निर्वाचन आयोग नए चुनाव की अधिसूचना नहीं देता।

  • उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला दिया।
  • इस आदेश के अनुसार वे जमानत के हकदार हैं।
  • अभियोजन पक्ष अवैध खनन साबित नहीं कर सका।

कंपनी और अयोग्यता: क्या फिर से लौटेगा पुराना दौर?

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के तहत अयोग्यता होती। कंपनी को कंपनी अधिनियम के तहत अयोग्यता का सामना करना पड़ता। जब तक दोषसिद्धि पर रोक नहीं लगती, व्यवसाय जारी नहीं रहता। इस ओबुलपुरम खनन घोटाला ने कंपनी को भी प्रभावित किया। तत्कालीन आंध्र प्रदेश राज्य के खान और भूविज्ञान के सेवानिवृत्त निदेशक वाल्मीकि दासारी राज गोपाल को 1 लाख रुपये के निजी मुचलके भरने पर जमानत दी गई। रेड्डी के साथ-साथ के. महफूज अली खान और बोविला वेंकटकाटा श्रीनिवास रेड्डी को भी जमानत मिली।

  • न्यायमूर्ति लक्ष्मण ने कुछ शर्तें लगाईं।
  • रेड्डी को 10-10 लाख रुपये के दो निजी मुचलके भरने होंगे।
  • उनकी विदेश यात्रा पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया।

सीबीआई अदालत का फैसला: 884 करोड़ रुपये का नुकसान?

यह निर्णय हैदराबाद में CBI की विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ अपील के बाद आया। 6 मई 2025 को CBI कोर्ट ने फैसला सुनाया था। रेड्डी और अन्य को दोषी ठहराया गया था। यह मामला कर्नाटक-आंध्र प्रदेश सीमा पर बेल्लारी रिजर्व फॉरेस्ट क्षेत्र में अवैध खनन का है।

  • ओएमसी ने खनन पट्टे की सीमाओं से छेड़छाड़ की।
  • इससे 2007 और 2009 के बीच सरकारी खजाने को नुकसान हुआ।
  • कथित तौर पर 884 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।

इस दोषसिद्धि से रेड्डी को अयोग्य घोषित किया गया था। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 के तहत यह हुआ। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 191(1)(ई) भी इसमें शामिल है। यह अयोग्यता 6 मई 2025 से प्रभावी हुई।

राजनीतिक भविष्य: क्या गंगावती सीट खाली रहेगी?

विधानसभा सचिव एमके विशालाक्षी ने अयोग्यता घोषित की। यह रिहाई के बाद छह साल तक जारी रहने वाली थी। जब तक सक्षम न्यायालय द्वारा रोक नहीं लगाई जाती। रेड्डी के वकील एस नागमुथु ने जमानत की मांग की। उन्होंने दोषसिद्धि के निलंबन का तर्क दिया।

  • रेड्डी ने लगभग आधा हिस्सा जेल में काटा था।
  • वह 2011 की गिरफ्तारी के बाद रिमांड कैदी थे।
  • विधानसभा ने 8 मई को उनकी सीट रिक्त घोषित की।

भारत के चुनाव आयोग द्वारा चुनाव अधिसूचना की संभावना है। दोषसिद्धि का निलंबन उनकी अयोग्यता को उलट सकता है। ओबुलपुरम खनन घोटाला का मामला 2009 में CBI द्वारा जांचा गया था।

खनन मामला और रेड्डी का सफर: एक लंबा कानूनी संघर्ष

CBI ने आरोप लगाया था कि ओएमसी अवैध खनन में शामिल थी। यह आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले और कर्नाटक के बेल्लारी में हुई थी। CBI के आरोपपत्र में आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप थे। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत भी उल्लंघन थे।

  • रेड्डी बीएस येदियुरप्पा की सरकार में मंत्री थे।
  • उनका बेल्लारी में महत्वपूर्ण प्रभाव था।
  • उन्हें 2011 से कई कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।

2023 में उन्होंने गंगावती सीट जीती थी। यह उनकी राजनीतिक वापसी उल्लेखनीय थी। अक्टूबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने उन पर प्रतिबंध लगाया था। बेल्लारी में प्रवेश पर 15 साल का प्रतिबंध था। CBI अदालत के आदेश के खिलाफ अपील की अंतिम सुनवाई 11 अगस्त 2025 को होगी।

फैसला और आगे की सुनवाई: क्या यह एक नया अध्याय है?

तेलंगाना उच्च न्यायालय ने भाजपा विधायक गली जनार्दन रेड्डी की सजा निलंबित की। उनके साथ तीन अन्य लोगों की सजा भी निलंबित हुई। उन्हें सशर्त जमानत मंजूर की गई। यह मामला 16 साल पहले CBI द्वारा दर्ज किया गया था। यह अविभाजित आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में ओएमसी द्वारा अवैध खनन से संबंधित था। सभी दोषियों को देश न छोड़ने का निर्देश दिया गया। उन्हें 10-10 लाख रुपये का निजी मुचलका भरना होगा। CBI की विशेष अदालत ने 6 मई को फैसला सुनाया था। जनार्दन रेड्डी और तीन अन्य को सात साल कैद की सजा हुई थी। प्रत्येक पर 20,000 रुपये का जुर्माना भी लगा था।

  • जनार्दन रेड्डी, बीवी श्रीनिवास रेड्डी, डी राजगोपाल को जमानत मिली।
  • जनार्दन रेड्डी के निजी सहायक अली खान को भी जमानत मिली।
  • न्यायमूर्ति के लक्ष्मण ने बुधवार को आदेश सुनाया।

अन्य आरोपी और कंपनी पर प्रभाव

राजगोपाल को चार साल की अतिरिक्त सजा मिली। मामला दर्ज होने के समय आंध्र प्रदेश की गृह मंत्री सबिता इंद्र रेड्डी को बरी किया गया। सेवानिवृत्त IAS अधिकारी बी कृपानंदम को भी सबूतों के अभाव में बरी किया गया। सबिता इंद्र रेड्डी बाद में भारत राष्ट्र समिति में शामिल हुईं।

  • वह पिछली बीआरएस सरकार में मंत्री रहीं।
  • वर्तमान में वह महेश्वरम से विधायक हैं।
  • मंगलवार को जमानत याचिकाओं पर सुनवाई हुई थी।

रेड्डी के वकील एस नागमुथु ने सजा पर रोक की मांग की। उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल को विधायक सीट गंवानी पड़ सकती है। कर्नाटक विधानसभा सचिव ने विधायक पद को रिक्त घोषित किया। चुनाव आयोग उपचुनाव की घोषणा की तैयारी कर रहा है।

जांच और आरोप: क्या सीबीआई के पास पर्याप्त सबूत थे?

हाईकोर्ट ने IAS अधिकारी वाई श्रीलक्ष्मी की डिस्चार्ज याचिका पर सुनवाई 19 जून तक स्थगित की। CBI को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया। 6 मई को CBI की विशेष अदालत ने ओएमसी पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। कंपनी को आंध्र प्रदेश-कर्नाटक सीमा पर अवैध लौह अयस्क खनन करते पाया गया। ओएमसी ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर के क्षेत्रों से खनिज निकाले थे। CBI ने 7 दिसंबर 2009 को मामला दर्ज किया। दो साल की जांच के बाद, 2011 में आरोपपत्र दाखिल किया। इसमें ओएमसी पर 884.13 करोड़ रुपये की अवैध खनन गतिविधियों का आरोप था। CBI ने 219 गवाहों की जांच की। 3,400 दस्तावेज पेश किए। यह ओबुलपुरम खनन घोटाला अब एक नए मोड़ पर है।

  • ओबुलापुरम गांव में यह गतिविधि हुई।
  • 2009 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने शिकायत दर्ज कराई।
  • आरोप था कि कंपनी नियमों का उल्लंघन कर रही है।
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