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पहलगाम आतंकी हमले के बाद: भारत की FATF और IMF पर रणनीति

पहलगाम आतंकी हमला

भारत की कूटनीतिक पहल: आतंकी वित्तपोषण रोकने की जंग

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत को पाकिस्तान के खिलाफ वित्तीय और कूटनीतिक मोर्चे पर कार्रवाई के नए विकल्प तलाशने पर मजबूर किया है। यह हमला न केवल सीमा पार आतंक के खतरे को उजागर करता है, बल्कि इसके वित्तीय स्रोतों पर प्रहार करने की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है।

FATF ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान की वापसी: क्यों और कैसे?

पहलगाम आतंकी हमले के बाद: भारत ने FATF (वित्तीय कार्यवाही विशेष बल) के सदस्य देशों से समर्थन जुटाने की प्रक्रिया तेज कर दी है। FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल होने से पाकिस्तान को 2018-2022 के बीच FDI में 38% की गिरावट और $10 बिलियन से अधिक का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा था। विशेषज्ञों के अनुसार, ग्रे लिस्ट में वापसी से पाकिस्तान की क्रेडिट रेटिंग प्रभावित होगी, जो पहले ही CCC (डिफॉल्ट जोखिम उच्च) के स्तर पर है।

भारत का लक्ष्य FATF की अक्टूबर 2024 की बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ प्रस्ताव रखना है। इसके लिए अमेरिका, फ्रांस और खाड़ी देशों का समर्थन महत्वपूर्ण होगा। गौरतलब है कि 2022 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटाते समय FATF ने 34 में से केवल 32 कार्य बिंदु पूरे होने को आधार बनाया था, जिस पर भारत ने सवाल उठाए थे।

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IMF के $7 बिलियन पैकेज पर सवाल

पाकिस्तान को जुलाई 2024 में IMF से मिलने वाले 1.1 बिलियन डॉलर की अगली किस्त पर भारत की आपत्ति एक बड़ा कूटनीतिक कदम है। भारत का तर्क है कि पाकिस्तान द्वारा आतंकी समूहों को फंडिंग करने के लिए IMF के पैसे का दुरुपयोग किया जा सकता है। 2023 में यूरोपियन यूनियन की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में 26% अवैध फंड्स आतंकी गतिविधियों में लगते हैं।

क्या है FATF की 40 अनुशंसाएं?

FATF के मानकों के अनुसार, किसी देश को ग्रे लिस्ट में डालने के लिए निम्नलिखित पैमाने देखे जाते हैं:

  1. आतंकी वित्तपोषण नियंत्रण (Recommendation 5-8): संदिग्ध लेनदेन की रिपोर्टिंग और जांच।
  2. कानूनी ढांचे की कमी (Recommendation 35): संपत्ति जब्ती और आपराधिक कार्यवाही।
  3. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग (Recommendation 40): आतंकी संगठनों के खिलाफ जानकारी साझा करना।

पाकिस्तान इनमें से 6 अनुशंसाओं पर अभी भी खरा नहीं उतरा है, विशेषकर जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे समूहों के खिलाफ कार्रवाई में।

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निष्कर्ष: सतर्कता और सहयोग की जरूरत

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की रणनीति स्पष्ट है: आतंक के वित्तीय नेटवर्क को ध्वस्त करना। विश्लेषक मानते हैं कि FATF और IMF पर दबाव के साथ-साथ UNSC में पाकिस्तान की ‘हाई-रिस्क ज्यूरिस्डिक्शन’ सूची में शामिल करने की मांग भी प्रभावी हो सकती है। यह लड़ाई न केवल सुरक्षा बल्कि अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भी जीती जाएगी।

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