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पाक सेना आतंक गठजोड़ पर अमेरिका का बड़ा खुलासा

पाक सेना आतंक गठजोड़

पहलगाम आतंकी हमले की समयरेखा

अमेरिका ने पाक सेना प्रमुख असीम मुनीर की तुलना ओसामा से की, पाक सेना आतंक गठजोड़ की भी बात की भारत ने उठाए कड़े कदम।

  • 22 अप्रैल 2025: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में चार बंदूकधारियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई और 17 घायल हुए। अधिकांश मृतक भारतीय नागरिक थे, जबकि एक नेपाली नागरिक और एक स्थानीय गाइड भी शामिल थे।
  • 23 अप्रैल 2025 : भारत ने पाकिस्तान पर हमले में संलिप्तता का आरोप लगाते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया और अटारी सीमा को बंद कर दिया। ​
  • विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस वार्ता में पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को घटाने और पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करने की घोषणा की। ​
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाने का निर्णय लिया गया। ​
  • गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर का दौरा किया और हमले के पीड़ितों के परिवारों से मुलाकात की। ​
  • 24 अप्रैल 2025: पूर्व अमेरिकी पेंटागन अधिकारी माइकल रुबिन ने पाकिस्तान सेना प्रमुख असीम मुनीर की तुलना ओसामा बिन लादेन से की और अमेरिका से पाकिस्तान को आतंकवाद का प्रायोजक देश घोषित करने का आग्रह किया
  • भारत ने पाकिस्तान के सैन्य सलाहकारों को निष्कासित किया और पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया
  • पाकिस्तान ने भारत के आरोपों को खारिज करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक बुलाई और जवाबी कार्रवाई पर विचार किया। ​

पाक सेना आतंक गठजोड़ पर बड़ा खुलासा :

  • जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले ने देश को झकझोर दिया, जिसमें 28 निर्दोष लोगों की जान चली गई।
  • इस नरसंहार के बाद अमेरिका के पूर्व पेंटागन अधिकारी माइकल रुबिन ने पाक सेना आतंक गठजोड़ को लेकर गंभीर आरोप लगाए।
  • उन्होंने सेना प्रमुख असीम मुनीर को सीधे आतंकवादी बताया और उनकी तुलना ओसामा बिन लादेन से कर डाली।

असीम मुनीर की तुलना ओसामा से :

  • रुबिन ने कहा कि ओसामा गुफा में रहता था और असीम मुनीर महल में, मगर दोनों की सोच और कर्म समान हैं।
  • उन्होंने अमेरिका से मांग की कि पाकिस्तान को आतंक प्रायोजक देश घोषित किया जाए और मुनीर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी माना जाए ,उनका कहना था कि पाक सेना लंबे समय से चरमपंथी संगठनों को संरक्षण दे रही है, और अब यह गठजोड़ खुलकर सामने आ चुका है।

भारत की कूटनीतिक प्रतिक्रिया :

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट सुरक्षा समिति की आपात बैठक हुई, जिसमें सख्त फैसले लिए गए, भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने और अटारी सीमा को बंद करने का ऐलान किया, जिससे पाकिस्तान पर दबाव बढ़ेगा, इसके साथ ही पाक नागरिकों को अब सार्क वीज़ा छूट योजना के तहत भारत में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।

भाषण से आतंक को मंजूरी :

  • रुबिन ने असीम मुनीर के हालिया बयान को हमले का प्रमुख कारण बताया, जिसमें उन्होंने कश्मीर को ‘गले की नस’ कहा था
  • उनका मानना है कि यह बयान आतंकियों को हमले की खुली अनुमति देने जैसा था, और यह कोई संयोग नहीं बल्कि रणनीति थी।
  • उन्होंने साफ कहा कि भारत को अब पाकिस्तान की “नस” काटने के लिए निर्णायक कदम उठाने होंगे।

हमास जैसी रणनीति :

रुबिन ने पहलगाम हमले की तुलना हमास के 7 अक्टूबर के इज़रायल हमले से की, जहां निर्दोषों को निशाना बनाया गया था।
उन्होंने कहा कि जैसे वहां शांति चाहने वाले यहूदियों पर हमला हुआ, वैसे ही यहां छुट्टियां मना रहे नागरिकों को मारा गया।
पाक सेना आतंक गठजोड़ अब हमास जैसी हिंसा को भारत में लागू करने की कोशिश कर रहा है, और इसका जवाब ज़रूरी है।

अमेरिका को चेतावनी और ऐतिहासिक संदर्भ :

रुबिन ने अमेरिका को चेताया कि वह पाकिस्तान के साथ अपना रुख स्पष्ट करे और इसे आतंक के संरक्षक के रूप में चिन्हित करे, उन्होंने बिल क्लिंटन की भारत यात्रा के दौरान हुए आतंकी हमले की याद दिलाई, जो इस हमले से काफी मिलता-जुलता है इस बार हमला अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की भारत यात्रा के समय हुआ, जिससे पाकिस्तान की मंशा स्पष्ट हो जाती है।

वैश्विक प्रतिक्रिया और भारत की भूमिका :

  • भारत की प्रतिक्रिया अब सिर्फ कड़ी निंदा तक सीमित नहीं रही, बल्कि उसने स्पष्ट रूप से कार्रवाई का रास्ता चुना है।
  • पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करना अब भारत की प्राथमिक रणनीति बनती जा रही है।
  • दुनिया की नजरें अब इस्लामाबाद पर टिकी हैं और भारत चाहता है कि पाक सेना आतंक गठजोड़ को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उजागर किया जाए।

राजनीतिक और कानूनी प्रतिक्रियाएं :

  • भारतीय विपक्ष ने एक ओर सरकार से जवाब मांगा, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा पर एकजुटता भी दिखाई।
  • सुरक्षा विशेषज्ञों ने सीमित सैन्य कार्रवाई या सर्जिकल स्ट्राइक की वकालत की, जबकि सांसदों ने पाकिस्तान पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग की।
  • अमेरिका सहित कई अंतरराष्ट्रीय नेता पाकिस्तान के खिलाफ कठोर कदम उठाने की मांग कर चुके हैं।

 

 

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