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मुंबई में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी रिश्वत लेते गिरफ्तार

पुलिस अधिकारी रिश्वत गिरफ्तार

पुलिस अधिकारी रिश्वत गिरफ्तार शिवाजी नगर के वरिष्ठ निरीक्षक बापूराव देशमुख गिरफ्तार

मुंबई के शिवाजी नगर पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक बापूराव मधुकर देशमुख को मंगलवार रात एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) ने उनके कार्यालय में एक स्कूल ट्रस्टी से ₹1 लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। यह राशि कथित रूप से ₹2.5 लाख की कुल मांग का हिस्सा थी, जो उन्होंने स्कूल की सुरक्षा और कानूनी सहायता प्रदान करने के बदले में मांगी थी।

मामले की पृष्ठभूमि :

41 वर्षीय शिकायतकर्ता, जो शिवाजी नगर क्षेत्र में स्थित एक स्कूल के ट्रस्टी हैं, ने 15 अगस्त, 2024 को दर्ज एक घटना के बारे में बताया, जब कुछ व्यक्तियों ने स्कूल के गेट का ताला तोड़कर जबरन परिसर में प्रवेश किया। इस घटना के बाद, ट्रस्टी ने शिवाजी नगर पुलिस स्टेशन और चैरिटी कमिश्नर के कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई थी।

मुख्य बिंदु:

  • वरिष्ठ निरीक्षक बापूराव देशमुख को ₹1 लाख की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया।
  • रिश्वत की कुल मांग ₹2.5 लाख थी, जो स्कूल की सुरक्षा और कानूनी सहायता के बदले में मांगी गई थी।
  • शिकायतकर्ता ने एसीबी से संपर्क कर मामले की सूचना दी, जिसके बाद कार्रवाई की गई।
  • देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
  • उनकी संपत्तियों की भी जांच की जाएगी ताकि आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति का पता लगाया जा सके।

रिश्वत की मांग और एसीबी की कार्रवाई :

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि वरिष्ठ निरीक्षक देशमुख ने अनधिकृत व्यक्तियों को स्कूल परिसर में फिर से प्रवेश करने से रोकने और चैरिटी कमिश्नर द्वारा अंतिम आदेश जारी होने तक पुलिस सुरक्षा प्रदान करने के लिए ₹3 लाख की रिश्वत की मांग की। बातचीत के बाद, यह राशि ₹2.5 लाख पर तय हुई, जिसमें से पहली किस्त के रूप में ₹1 लाख स्वीकार करने पर सहमति बनी। शिकायतकर्ता ने इस अवैध मांग की सूचना एसीबी को दी, जिसने सत्यापन के बाद जाल बिछाया और देशमुख को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया।

आगे की जांच और कानूनी प्रक्रिया :

देशमुख, जो एक वर्ष में सेवानिवृत्त होने वाले थे, को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया है। उन्हें बुधवार को अदालत में पेश किया जाएगा। एसीबी के सूत्रों के अनुसार, देशमुख की संपत्तियों की भी जांच की जाएगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि उनके पास आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति तो नहीं है।

  1. सिंचाई घोटाला – अजीत पवार से जुड़ा मामला (2012 -2019)

ACB ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार पर सिंचाई घोटाले में जांच शुरू की थी। उन पर आरोप था कि उन्होंने करोड़ों रुपये की लागत वाली परियोजनाओं में भारी भ्रष्टाचार किया।

  • ACB ने कई टेंडर, ठेके और भुगतान की जांच की
  • वर्ष 2019 में ACB ने क्लीन चिट दी, लेकिन मामला राजनीतिक विवाद का विषय बना रहा
  • विपक्ष ने इसे सरकार की मिलीभगत करार दिया

2. ठाणे RTO रिश्वत कांड (2021)

    ACB ने ठाणे RTO कार्यालय में 13 अधिकारियों को रिश्वतखोरी के आरोप में गिरफ्तार किया था।

    • ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन रजिस्ट्रेशन में रिश्वत ली जाती थी
    • ₹10 लाख से अधिक की रिश्वत राशि बरामद
    • कार्रवाई के बाद कई कर्मचारियों का ट्रांसफर और निलंबन हुआ

    ACB ने इससे पहले भी कई चर्चित मामलों में वरिष्ठ अधिकारियों को गिरफ्त में लिया है। 2023 में BMC के कार्यकारी अभियंता को ₹5 लाख की रिश्वत लेते पकड़ा गया था। वहीं ठाणे RTO रिश्वत कांड में 13 अधिकारियों को निलंबित किया गया। पुणे पुलिस रिश्वत मामले ने भी पुलिस व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए। अजीत पवार से जुड़ा सिंचाई घोटाला भी ACB के इतिहास का सबसे विवादित मामला रहा। इन घटनाओं से स्पष्ट होता है कि पुलिस अधिकारी रिश्वत गिरफ्तार जैसा मामला कोई अकेला उदाहरण नहीं है।

    भ्रष्टाचार विरोधी इकाई ACB की निर्णायक कार्रवाई :

    मुंबई की भ्रष्टाचार निरोधक इकाई ACB (Anti-Corruption Bureau) ने एक बार फिर अपनी सतर्कता का परिचय दिया है। पुलिस अधिकारी रिश्वत गिरफ्तार मामले में एसीबी ने न केवल तत्काल कार्रवाई की, बल्कि एक विस्तृत योजना बनाकर वरिष्ठ अधिकारी को रंगे हाथ पकड़ने में सफलता हासिल की। महाराष्ट्र में ACB का गठन भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने के लिए किया गया था, और समय-समय पर इसने ऐसे ही मामलों में उच्च स्तर के अधिकारियों पर कार्रवाई की है।

    • एसीबी की टीम ने पहले शिकायत की पुष्टि की
    • फिर नकली ग्राहक बनाकर जाल बिछाया
    • पैसे लेते ही किया रंगे हाथ गिरफ्तार
    • वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर की गई कार्रवाई
    • आरोपी की संपत्ति की भी होगी जांच

    प्रतिक्रिया और निष्कर्ष :

    यह घटना पुलिस बल में उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करती है, जिससे कानून प्रवर्तन एजेंसियों में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता पर बल दिया जाता है। मुंबई पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस मामले पर चिंता व्यक्त की है और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाने की प्रतिबद्धता जताई है।

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