प्रयागराज निजी मेडिकल माफिया इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में प्रयागराज के सरकारी स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल की दयनीय स्थिति को लेकर कड़ी चिंता जताई है। न्यायालय ने इस मामले में पाया कि प्रयागराज निजी मेडिकल माफिया और अस्पताल के कर्मचारियों के बीच सांठगांठ है, जिससे गरीब मरीज सरकारी सुविधाओं से वंचित होकर निजी अस्पतालों की महंगी सेवाओं पर निर्भर हो रहे हैं।
यह मामला उपभोक्ता फोरम में शुरू हुआ, जहां अस्पताल के एक डॉक्टर पर निजी अस्पताल में मरीज का इलाज करने का आरोप लगा था। इस सुनवाई के दौरान न्यायालय ने इस पूरे मुद्दे को जनहित याचिका का स्वरूप देते हुए राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा।
अस्पताल की वास्तविक स्थिति
स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल, जो मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से जुड़ा है, कई गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है।
न्यायालय की जांच में निम्नलिखित बातें सामने आईं:
- डॉक्टरों की शिफ्ट तो सुबह 8 बजे शुरू होती है, लेकिन वे देर से आते हैं और ओपीडी के दौरान अक्सर अनुपस्थित रहते हैं।
- अस्पताल में वीआरएफ एसी के तांबे के पाइप चोरी हो चुके हैं।
- अस्पताल में काम करने वाले पंखे और एसी खराब हैं या पूरी तरह बंद हैं।
- पांच एक्स-रे मशीनों में से तीन मशीनें खराब हैं, जबकि रखरखाव शुल्क नियमित रूप से जमा किया जा रहा है।
- अल्ट्रासाउंड मशीनें और रेडियोलॉजी विभाग भी सही ढंग से काम नहीं कर रहे।
- जन औषधि केंद्र के कार्य घंटे अचानक बदल दिए गए हैं, जिससे मरीजों को असुविधा हो रही है।
न्यायालय ने इस हालत को देखकर इसे ‘मुर्दाघर’ तक कहा है।
प्रयागराज निजी मेडिकल माफिया और उनकी भूमिका
- अस्पताल के बाहर मौजूद दलाल गरीब मरीजों को सरकारी अस्पताल के बजाय निजी क्लीनिक और अस्पतालों में भेजते हैं।
- मेडिकल माफियाओं ने अस्पताल के संसाधनों को कमजोर कर दिया है।
- डॉक्टर और अस्पताल के कर्मचारी इस माफिया के साथ सांठगांठ में हैं, जो मरीजों को गलत दिशा में ले जाते हैं।
- इसके कारण गरीब मरीज सरकारी अस्पताल की मुफ्त या किफायती सेवाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं।
न्यायालय ने इस घोर अनियमितता और भ्रष्टाचार को गंभीरता से लिया है।
न्यायालय के निर्देश और कार्रवाई
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन को कड़ी चेतावनी देते हुए कई आदेश जारी किए हैं:
- नगर आयुक्त को 48 घंटे के भीतर अस्पताल परिसर और आसपास की सीवेज लाइन की सफाई करने का निर्देश।
- अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक को पूरे सप्ताह के डॉक्टरों की शिफ्ट और ओपीडी समय की रिपोर्ट जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय में जमा करनी होगी।
- यह सूची नियमित रूप से दैनिक समाचार पत्रों में प्रकाशित की जाएगी ताकि जनता को जानकारी मिले।
- जिला मजिस्ट्रेट को निजी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों पर निगरानी रखने के लिए विशेष टीम गठित करनी होगी।
- मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के परिसर में विवाह और पार्टियों के आयोजन पर रोक लगाने, अनधिकृत दुकानों को हटाने और सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश।
- 29 मई 2025 तक अस्पताल की स्थिति पर एक अंतरिम रिपोर्ट अदालत को प्रस्तुत करनी होगी।
राज्य सरकार की भूमिका और जिम्मेदारी
न्यायालय ने राज्य सरकार और चिकित्सा विभाग पर भी कड़ी टिप्पणी की है। कहा गया है कि:
- राज्य सरकार और चिकित्सा मंत्री प्रयागराज के अस्पताल और चिकित्सा व्यवस्था के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को नजरअंदाज कर रहे हैं।
- जिस शहर ने महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन सफलतापूर्वक आयोजित किए हैं, वहां बुनियादी चिकित्सा सुविधाएं भी नहीं हैं।
- जनता को निजी चिकित्सा माफियाओं के चंगुल में छोड़ दिया गया है, जो भारी शुल्क वसूलते हैं।
अस्पताल की स्थिति पर न्यायालय की चिंता
न्यायालय ने अस्पताल को वर्तमान में ‘शवगृह’ बताया और कहा कि:
- आईसीयू, निजी वार्ड और सामान्य वार्ड में न तो पंखा काम कर रहा है, न ही एसी।
- गर्मी शुरू होने से पहले अस्पताल प्रशासन ने एसी चालू करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया।
- अस्पताल के खराब हालात के कारण मरीजों का जीवन खतरे में है।
यह मामला पूरे प्रयागराज के लिए एक चेतावनी है कि बिना उचित प्रशासनिक सुधार और कड़ी निगरानी के अस्पताल की स्थिति और खराब हो सकती है। प्रयागराज निजी मेडिकल माफिया की सांठगांठ के कारण गरीब मरीज सरकारी अस्पतालों की सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं और महंगे निजी अस्पतालों की ओर मजबूर होते हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देशों को लागू करना प्रशासन की जिम्मेदारी है, ताकि स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल की स्थिति सुधारी जा सके और गरीब मरीजों को उचित स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।
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