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राणा सांगा विवाद: करणी सेना का हंगामा, समाजवादी पार्टी डैमेज कंट्रोल में जुटी, अखिलेश यादव ने दी सफाई

Karni Sena's protest against Rana Sanga controversy

लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन द्वारा मेवाड़ के राजपूत शासक राणा सांगा को ‘गद्दार’ बताने का बयान राजनीतिक भूचाल ला दिया है। इस विवाद के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव को सफाई देने पर मजबूर होना पड़ा, जबकि करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने आगरा में सपा सांसद सुमन के आवास पर तोड़फोड़ कर विरोध दर्ज किया। यह घटना उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही है।

क्या कहा गया था सपा सांसद सुमन ने?

राज्यसभा में बहस के दौरान रामजीलाल सुमन ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, “भाजपा के लोगों का तकिया कलाम है कि मुस्लिमों में बाबर का डीएनए है। मैं पूछता हूं कि बाबर को भारत किसने बुलाया? इब्राहिम लोदी को हराने के लिए राणा सांगा ने बाबर को आमंत्रित किया था। अगर मुस्लिम बाबर की औलाद हैं, तो भाजपा वाले उस गद्दार सांगा की औलाद हैं।” अखिलेश यादव ने शुरुआत में इस बयान का समर्थन किया, लेकिन राजपूत समुदाय के तीखे विरोध के बाद उन्हें पलटी मारनी पड़ी।

अखिलेश का पलटवार: ‘इतिहास की राजनीति बंद करे भाजपा’

बुधवार को अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर सफाई देते हुए लिखा, “सपा किसी ऐतिहासिक व्यक्तित्व का अपमान नहीं करती। राणा सांगा की वीरता और देशभक्ति असंदिग्ध है। भाजपा इतिहास को धार्मिक और जातिगत विभाजन के लिए इस्तेमाल कर रही है। हमारा उद्देश्य सिर्फ एकपक्षीय इतिहास की आलोचना करना था।” उन्होंने योगी सरकार पर कानून-व्यवस्था फेल होने का आरोप लगाते हुए कहा, “मुख्यमंत्री की मौजूदगी में सांसद के घर पर हमला हुआ, यह जीरो टॉलरेंस की पोल खोलता है।”

करणी सेना का हिंसक विरोध, राजपूत समुदाय आगे

राजपूतों का संगठन करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने आगरा में रामजीलाल सुमन के घर की खिड़कियां तोड़कर राणा सांगा के सम्मान में नारेबाजी की। यह संगठन 2017 में पद्मावती फिल्म विवाद में भी सुर्खियों में रहा था। वहीं, राजस्थान सहित कई राज्यों के राजपूत समुदाय ने सपा के खिलाफ प्रदर्शन तेज कर दिए हैं। भाजपा नेता और पूर्व मंत्री राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा, “सपा इतिहास को विकृत करने में लगी है। राणा सांगा ने बाबर के खिलाफ खानवा का युद्ध लड़ा था, उन्हें गद्दार कहना ऐतिहासिक तथ्यों का अपमान है।”

इतिहासकारों की नजर में राणा सांगा

मेवाड़ के शासक महाराणा संग्राम सिंह (राणा सांगा) को भारतीय इतिहास में मुगल विरोधी संघर्ष के प्रतीक के रूप में याद किया जाता है। 1527 में खानवा के युद्ध में उन्होंने बाबर से लोहा लिया, हालांकि वह पराजित हुए। इतिहासकार डॉ. ऋषि सिंह के अनुसार, “राणा सांगा ने बाबर को इब्राहिम लोदी के खिलाफ मदद के लिए नहीं बुलाया था। यह दावा ऐतिहासिक साक्ष्यों के विपरीत है।”

राजनीतिक रंग में रंगा इतिहास

यह विवाद 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सपा और भाजपा के बीच सांप्रदायिक राजनीति के नए दौर का संकेत दे रहा है। भाजपा नेता केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, “सपा नेता इतिहास से खिलवाड़ कर हिंदू समाज को बांटना चाहते हैं।” विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद उत्तर प्रदेश और राजस्थान में राजपूत वोट बैंक को प्रभावित कर सकता है, जो भाजपा के लिए अहम है।

इस मामले में आगरा की कोर्ट में सपा नेताओं के खिलाफ केस दर्ज हो चुका है। अखिलेश यादव ने यूपी सरकार से त्वरित कार्रवाई की मांग की है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में सवाल उठ रहे हैं कि क्या सपा इस विवाद से डैमेज कंट्रोल कर पाएगी? फिलहाल, राणा सांगा का नाम एक बार फिर राजनीतिक हथियार बन गया है। भाजपा की तरह सपा भी भविष्य की राजनीति के बजाय इतिहास की राजनीति करने लगी है जो कि देश के लोकतंत्र के लिए नुकसानदेह है।

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