वाराणसी (काशी): राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत अप्रैल माह में काशी की पावन धरती पर तीन दिनों के लिए प्रवास करेंगे। इस दौरान वे संघ की प्रातः और सांध्यकालीन शाखाओं में शामिल होंगे और 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर शंकुलधारा में आयोजित होने वाले सामूहिक विवाह कार्यक्रम में वर-वधुओं को आशीर्वाद देंगे। यह कार्यक्रम संघ की सामाजिक समरसता और संस्कृति संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
मोहन भागवत का यह प्रवास हर तीसरे साल होने वाले संघ प्रमुख के कार्यक्रम के तहत आयोजित किया जा रहा है। इस दौरान वे काशी के अलावा मिर्जापुर स्थित देवरहा बाबा आश्रम, सोनभद्र के वनवासी समाज कल्याण आश्रम और गाजीपुर के हथियाराम मठ का भी दौरा करेंगे। इन स्थानों पर वे समाज के विभिन्न वर्गों से रूबरू होंगे और देश की वर्तमान परिस्थितियों पर अपने विचार साझा करेंगे।
सामूहिक विवाह कार्यक्रम की तैयारियां जोरों पर
शंकुलधारा पोखरे में आयोजित होने वाले सामूहिक विवाह कार्यक्रम को लेकर प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां तेज कर दी गई हैं। मंडलायुक्त कौशलराज शर्मा ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए विस्तृत निर्देश जारी किए हैं। इस कार्यक्रम में न केवल काशी, बल्कि आसपास के जिलों से भी बड़ी संख्या में लोग शामिल होंगे।
पथ संचलन का आयोजन
मोहन भागवत के प्रवास से पहले 30 मार्च को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के अवसर पर पथ संचलन का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान शहर के उत्तर, दक्षिण, मध्य और पूर्वी भागों से संघ के स्वयंसेवक बड़ी संख्या में हिस्सा लेंगे। यह कार्यक्रम संघ की एकजुटता और संगठनात्मक शक्ति को प्रदर्शित करेगा।
संघ प्रमुख का संदेश
मोहन भागवत इस दौरान देश की वर्तमान सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियों पर अपने विचार रखेंगे। उनका यह प्रवास संघ के कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणादायक साबित होगा। संघ से जुड़े सदस्यों का कहना है कि यह कार्यक्रम न केवल संगठन को मजबूती प्रदान करेगा, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों के बीच संवाद को भी बढ़ावा देगा।
काशी की महत्ता
काशी, जिसे भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक राजधानी माना जाता है, संघ के लिए भी विशेष महत्व रखती है। यहां के धार्मिक और सामाजिक परिवेश में संघ की गतिविधियों को लेकर लोगों में उत्साह देखा जा रहा है। मोहन भागवत का यह प्रवास न केवल संघ के कार्यकर्ताओं, बल्कि आम जनमानस के लिए भी प्रेरणा का स्रोत साबित होगा।
इस आयोजन को लेकर संघ के सदस्यों में खासा उत्साह है और काशी में इन दिनों चहल-पहल बढ़ गई है। सभी की नजरें अब 30 अप्रैल को होने वाले सामूहिक विवाह कार्यक्रम और मोहन भागवत के संदेश पर टिकी हुई हैं।
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