“यूपी कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देकर विवाद बढ़ाया। जानें जनाधिकार यात्रा में दिए गए उनके विवादास्पद बयानों का पूरा विवरण और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं।“
सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री और निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद ने सुल्तानपुर में जनाधिकार यात्रा के दौरान एक भाषण में “7 दारोगा के हाथ-पैर तुड़वाकर गड्ढे में फेंकने” का विवादित बयान देकर राजनीतिक भूचाल ला दिया है। वायरल हुए वीडियो में निषाद कहते नजर आ रहे हैं, “हम यहां ऐसे नहीं पहुंचे हैं। सात दारोगा के हाथ-पैर तुड़वाकर, उन्हें गड्ढे में फेंकवाकर यहां पहुंचे हैं।” इस बयान को विपक्ष ने “कानून-व्यवस्था के लिए खतरा” बताते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कार्रवाई की मांग की है।
चांदा बाजार रैली में आपत्तिजनक टिप्पणी
सुल्तानपुर के चांदा ब्लॉक के मदारडीह में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए निषाद ने अपने समुदाय के संवैधानिक अधिकारों के संघर्ष को लेकर यह बयान दिया। “हम यहां आसानी से नहीं पहुंचे। सात दारोगा को सबक सिखाया, उनके हाथ-पैर तुड़वाए, और गड्ढे में फिंकवाया।” इसके बाद विपक्षी नेताओं ने उन पर “अराजकता को बढ़ावा देने” का आरोप लगाया। समाजवादी पार्टी (सपा) ने कहा, “भाजपा सरकार में मंत्री ऐसे बयान देकर पुलिस को डराने की कोशिश कर रहे हैं।”
संजय निषाद का विवादों का इतिहास
यह पहली बार नहीं है जब निषाद ने विवादित बयान दिया है। इससे पहले, पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने समाजवादी पार्टी पर “औरंगजेब को आदर्श मानने” का आरोप लगाया था। निषाद ने कहा, “सपा को तय करना चाहिए कि वे औरंगजेब को मानते हैं या भगवान कृष्ण को। हम निषादराज और राम को अपना आदर्श मानते हैं।” उन्होंने सपा को “समाप्तवादी पार्टी” तक कह डाला, जिसके बाद सियासी गर्मी और बढ़ गई।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और विपक्ष का हमला
निषाद के बयान पर सपा, बसपा और कांग्रेस ने एकजुट होकर हमला बोला है। सपा प्रवक्ता अब्दुल हफीज गांधी ने कहा, “भाजपा पुलिस की पिटाई करने वालों को मंत्री बनाती है, फिर कानून का पाठ पढ़ाती है।” वहीं, बसपा नेता सुहिंद्र भदौरिया ने निषाद के इस्तीफे की मांग करते हुए इसे “संविधान विरोधी” बयान करार दिया।
जनाधिकार यात्रा: मकसद और सियासी समीकरण
निषाद की 40 दिन की जनाधिकार यात्रा 30 नवंबर को सहारनपुर के शाकंभरी देवी मंदिर से शुरू हुई, जो सोनभद्र तक जाएगी। यह यात्रा निषाद समुदाय (मछुआरे समाज) को संविधानिक अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह भाजपा-निषाद पार्टी गठबंधन को 2024 के चुनावों से पहले मजबूत करने की रणनीति है।
संजय निषाद के बयान से बीजेपी हलकान
- क्या योगी सरकार निषाद के बयान से खुद को दूर करेगी?
- क्या यह विवाद भाजपा-निषाद पार्टी के गठबंधन को नुकसान पहुंचाएगा?
- संजय निषाद कब तक देंगे अपने बयान पर सफाई?
विपक्ष के दबाव के बीच निषाद अभी तक चुप हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे बयान सरकार की “कानून व्यवस्था” की छवि को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
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