क्या शशि थरूर भाजपा के करीब? कांग्रेस सांसद ने अटकलों पर लगाया विराम

क्या शशि थरूर भाजपा के करीब आ रहे हैं? यह सवाल हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर के एक बयान के बाद उठ रहा है। मंगलवार को उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीतिक पहुंच की प्रशंसा करने वाला उनका लेख, जो ‘द हिंदू’ में प्रकाशित हुआ था, उनके सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने का संकेत नहीं है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीतिक सक्रियता की प्रशंसा करना “भारत के लिए खड़ा होना” दर्शाता है, न कि भाजपा में शामिल होने की इच्छा। उन्होंने कहा कि यह लेख राष्ट्रीय एकता और कूटनीतिक सफलता को दर्शाने के उद्देश्य से लिखा गया था।
“यह प्रधानमंत्री की पार्टी में कूदने का संकेत नहीं है, जैसा कि कुछ लोग मान रहे हैं,” – शशि थरूर
- मॉस्को में एक कार्यक्रम में बोलते हुए, तिरुवनंतपुरम के सांसद ने अपने लेख पर मिली प्रतिक्रियाओं का जवाब दिया।
- उन्होंने अपने लेख में मोदी की ऊर्जा और वैश्विक जुड़ाव को भारत के लिए “प्रमुख संपत्ति” बताया था।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, “यह राष्ट्रीय एकता, राष्ट्रीय हित और भारत के लिए खड़े होने का एक बयान है।” उन्होंने आगे कहा कि यही मूल कारण है कि वह संयुक्त राष्ट्र में 25 साल की सेवा के बाद भारत वापस आए। थरूर ने बताया कि उन्होंने पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की कूटनीतिक पहुंच की सफलता को उजागर करने के लिए यह लेख लिखा था।
थरूर ने कहा: ‘भारत की सेवा करना गर्व की बात’
थरूर ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पांच देशों की यात्रा की थी। इस बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिका, ब्राज़ील, पनामा, गुयाना और कोलंबिया का दौरा कर भारत की स्थिति को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया।
“यह लेख एक राष्ट्र के तौर पर हमारी एकजुटता को दर्शाता है। यह भारत की सेवा थी,” – थरूर
शशि थरूर बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल की यात्रा :
क्रमांक | घटना / देश | तिथि / अवधि | प्रमुख उद्देश्य / गतिविधि | स्थिति / अगला कदम |
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1 | प्रतिनिधिमंडल गठन | 17 मई 2025 | शशि थरूर को ऑपरेशन सिंदूर के लिये बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल का प्रमुख नियुक्त किया गया | 24 मई को गुयाना के लिये प्रस्थान |
2 | गुयाना | 26–28 मई 2025 | सीमा‑पार आतंकवाद पर द्विपक्षीय बातचीत; स्थानीय संसदarians से समर्थन हासिल | पनामा के लिये रवाना |
3 | पनामा | 27–29 मई 2025 | पनामा सरकार को भारत‑समर्थक संयुक्त वक्तव्य पर सहमत करना | कोलंबिया के लिये प्रस्थान |
4 | कोलंबिया | 30–31 मई 2025 | क्षेत्रीय नेताओं संग वैश्विक आतंकवाद विरोधी रुख पर वार्ता | ब्राज़ील के लिये प्रस्थान |
5 | ब्राज़ील | 1–3 जून 2025 | BRICS संदर्भ में भारत की स्थिति स्पष्ट करना; सार्वजनिक कूटनीति अभियान | अमेरिका (DC) के लिये उड़ान |
6 | अमेरिका (वॉशिंगटन DC) | 5–7 जून 2025 | यूएस कांग्रेस एवं नीति‑निर्माताओं से मुलाकात; भारत का आधिकारिक बयान प्रस्तुत | 8 जून 2025 को नई दिल्ली वापसी |
पीएम मोदी को बताया ‘भारत की संपत्ति’
थरूर ने लेख में कहा कि प्रधानमंत्री की ऊर्जा, गतिशीलता और वैश्विक जुड़ाव भारत के लिए एक “प्रमुख संपत्ति” हैं। उन्होंने यह भी बताया कि किसी भी पूर्व प्रधानमंत्री की तुलना में मोदी ने अधिक अंतरराष्ट्रीय यात्राएं की हैं।
- “उन्होंने भारत का संदेश दुनिया तक पहुँचाया।”
- “वह आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता दिखा रहे हैं।”
- “सभी राजनीतिक दलों ने इसमें समर्थन दिया।”
कांग्रेस-भाजपा विदेश नीति बहस में नया मोड़
थरूर के इस लेख पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी, जिससे अटकलें तेज हो गईं कि क्या वह भाजपा के करीब जा रहे हैं। लेकिन थरूर ने दो टूक कहा कि उनकी मंशा केवल राष्ट्रीय हित में संवाद की है, न कि पार्टी बदलने की।
“मेरे विचार में भाजपा या कांग्रेस की विदेश नीति जैसी कोई चीज़ नहीं है, केवल भारतीय विदेश नीति होती है।”
थरूर ने कांग्रेस के मतभेद भी स्वीकारे
हाल ही में थरूर ने स्वीकार किया कि उनके कुछ विचार पार्टी नेतृत्व से मेल नहीं खाते। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वह कांग्रेस के मूल्यों और कार्यकर्ताओं से गहरे जुड़े हैं और पार्टी छोड़ने का कोई विचार नहीं है।
विश्लेषण: क्यों अहम है ‘भारत के लिए खड़ा होना’
- यह बयान उस समय आया जब ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और भारत की कूटनीतिक स्थिति पर सवाल उठाए जा रहे थे। थरूर के विचार यह दर्शाते हैं कि विपक्ष के भीतर भी कुछ नेता राष्ट्रीय हित में सरकार के प्रयासों की सराहना कर सकते हैं। यह रेखांकित करता है कि विदेश नीति को दलगत राजनीति से ऊपर रखा जाना चाहिए।
थरूर बनाम कांग्रेस की विदेश नीति सोच?
पार्टी का एक वर्ग प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं को प्रचार बताता है, जबकि थरूर इन्हें ‘भारत का प्रतिनिधित्व’ मानते हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि कांग्रेस में भी विदेश नीति को लेकर एकमत नहीं है।
राजनीतिक टिप्पणियों से परे, एक राष्ट्र की आवाज़
थरूर का यह लेख राष्ट्रीय हित और बहुपक्षीय समर्थन की वकालत करता है। उन्होंने अमेरिकी कहावत का जिक्र करते हुए कहा, “राजनीतिक मतभेद समुद्र के किनारे तक ही सीमित होने चाहिए।”
“मुझे गर्व है कि मैंने भारत की आवाज़ को वैश्विक मंच पर रखने में योगदान दिया।”
शशि थरूर की पीएम मोदी की तारीफ पर उठा विवाद वास्तव में उस व्यापक विमर्श का हिस्सा है, जहां “भारत के लिए खड़ा होना” पार्टी लाइन से ऊपर जाकर देश के हित को प्राथमिकता देने की बात करता है। भाजपा में जाने की अटकलों को नकार कर थरूर ने कांग्रेस में रहते हुए भी राष्ट्रीय दृष्टिकोण रखने की बात की है।
थरूर भाजपा के करीब?” यह सवाल अब कांग्रेस के भीतर भी गंभीरता से उठने लगा है, खासकर उनकी हालिया विदेश नीति संबंधी टिप्पणियों के बाद।
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