तेलंगाना-आंध्रप्रदेश जल विवाद : गोदावरी-बनकाचेरला परियोजना पर संकट!

तेलंगाना-आंध्रप्रदेश जल विवाद पड़ोसी राज्यो के बीच नदी जल विवाद की नई मिसाल बनने के रस्ते पे जाता हुआ दिखाई दे रहा है? पड़ोसी राज्य तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच नदी जल विवाद ने तूल पकड़ लिया है। इस बार विवाद की जड़ गोदावरी-बनकाचेरला परियोजना है। यह आंध्र प्रदेश की एक महत्वाकांक्षी योजना है। इसका उद्देश्य गोदावरी नदी के पानी को कृष्णा के रास्ते पेन्ना से जोड़ना है। इस परियोजना से आंध्र प्रदेश के सूखा प्रभावित रायलसीमा क्षेत्र को पीने और सिंचाई का पानी मिलेगा।
- आंध्र प्रदेश ने केंद्रीय जल आयोग (CWC) को पूर्व-व्यवहार्यता रिपोर्ट (PFR) सौंपी है।
- CWC ने राज्य से विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) प्रस्तुत करने को कहा है।
- यह घटनाक्रम तेलंगाना के लिए चिंता का विषय बन गया है।
मुख्य बिंदु :
- गोदावरी-बनकाचेरला परियोजना को लेकर आंध्र और तेलंगाना के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है।
- तेलंगाना को डर है कि इस परियोजना से उसका वैध जल हिस्सा प्रभावित होगा।
- आंध्र ने केंद्रीय जल आयोग को PFR सौंपा, DPR की मांग अभी लंबित है।
- तेलंगाना ने केंद्र से परियोजना की पर्यावरण मंजूरी रद्द करने की सिफारिश की है।
- मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने दिल्ली में सर्वदलीय बैठक बुलाकर विरोध जताया।
- हरीश राव और BRS ने रेवंत रेड्डी पर साजिश और गलतबयानी का आरोप लगाया।
- केंद्र और जल आयोग का अंतिम निर्णय ही अब दोनों राज्यों का भविष्य तय करेगा।
तेलंगाना का विरोध और केंद्र से अपील
केंद्रीय कोयला मंत्री जी. किशन रेड्डी ने बताया कि केंद्र सरकार ने PFR पर कोई निर्णय नहीं लिया है। लेकिन, उन्होंने DPR की मांग की है। तेलंगाना ने केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से अनुरोध किया है। राज्य ने विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति से आंध्र प्रदेश के पर्यावरण मंजूरी के अनुरोध को अस्वीकार करने को कहा है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने इस परियोजना को रोकने के लिए दबाव बढ़ाने पर सुझाव मांगे। उन्होंने बुधवार (18 जून) को सांसदों की एक सर्वदलीय बैठक भी बुलाई। वे जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल से मिलने नई दिल्ली पहुंचे।
- तेलंगाना को डर है कि परियोजना उसके हिस्से का पानी कम कर देगी।
- आंध्र प्रदेश का कहना है कि उसे बाढ़ के पानी का दोहन करने का अधिकार है।
- राज्य सालाना 200 TMC फीट पानी मोड़ने की बात कर रहा है।
परियोजना का इतिहास और वर्तमान स्थिति
गोदावरी-बनकाचेरला परियोजना की कल्पना 2018 में नायडू के नेतृत्व वाली टीडीपी सरकार ने की थी। इसे “गोदावरी-पेन्ना” नदी जोड़ो योजना कहा जाता था। 2019 में वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी सरकार ने इसका नाम बदला। उन्होंने इसे पालनाडु सूखा शमन परियोजना नाम दिया। सरकारों ने गोदावरी में उपलब्ध अधिशेष जल का दोहन करने का प्रस्ताव रखा। कृष्णा बेसिन में परियोजनाएं रायलसीमा की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पा रही थीं। हर साल अनुमानित 3,000 टीएमसी फीट बाढ़ का पानी समुद्र में बह जाता था। अंतर-राज्यीय मुद्दों के कारण परियोजनाएं क्रियान्वित नहीं हो सकीं। तेलंगाना-आंध्रप्रदेश जल विवाद पहले कृष्णा बेसिन से संबंधित था।
- तेलंगाना 70% हिस्सेदारी का प्रस्ताव कर रहा था।
- विभाजन के बाद 66-34 का बंटवारा तय हुआ था।
- यह बंटवारा आंध्र प्रदेश (512 टीएमसी फीट) और तेलंगाना (299 टीएमसी फीट) के बीच था।
कानूनी और तकनीकी पहलू
तेलंगाना का दावा है कि परियोजना आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम का उल्लंघन करती है। यह गोदावरी जल विवाद न्यायाधिकरण के फैसले के भी खिलाफ है। इस परियोजना का उद्देश्य पोलावरम बहुउद्देशीय परियोजना से पानी मोड़ना था। नागार्जुनसागर और श्रीशैलम जलाशयों का नहर नेटवर्क उपयोग किया जाता। नहर का पानी गुंटूर जिले के बोलपल्ली गांव में एक जलाशय में संग्रहीत होता। इसे आगे पेन्ना बेसिन के बनकाचेरला परियोजना में आपूर्ति किया जाता। पोलावरम परियोजना में अनियमितताओं की जांच चल रही है। केंद्र सरकार ने पोलावरम पर ‘काम रोकने’ का आदेश भी दिया था।
- यह आदेश कई बार आगे बढ़ाया गया है।
- हाल ही में इसे 2 जुलाई, 2026 तक बढ़ाया गया।
- ओडिशा और छत्तीसगढ़ ने भी आपत्तियां उठाई हैं।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप और भविष्य की रणनीति
रेवंत रेड्डी ने चंद्रबाबू नायडू को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि उन्हें परियोजना के लिए मंजूरी की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। रेड्डी ने कहा कि तेलंगाना सरकार हर अधिकारी से शिकायत करेगी। अगर जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया जाएगा। रेड्डी ने मांग की कि नायडू तेलंगाना की सभी परियोजनाओं को मंजूरी दें। ये परियोजनाएं तेलंगाना के 968 टीएमसी फीट पानी का उपयोग करने के लिए हैं। आंध्र प्रदेश का हक 518 टीएमसी फीट है। उन्होंने मौजूदा गतिरोध के लिए पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (KCR) को दोषी ठहराया। उन्होंने KCR की एक वीडियो क्लिपिंग भी जारी की। इसमें KCR ने गोदावरी के पानी को रायलसीमा की ओर मोड़ने के प्रति अपना उदार रुख दिखाया था।
- BRS सांसद वी. रविचंद्र ने बैठक से वॉकआउट किया।
- उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने KCR को गलत तरीके से जिम्मेदार ठहराया है।
- हरीश राव ने रेवंत रेड्डी पर “मैच फिक्सिंग” का आरोप लगाया।
हरीश राव का पलटवार और तेलंगाना के हित
बीआरएस शासन में सिंचाई मंत्री रहे हरीश राव ने रेवंत रेड्डी के दावे का खंडन किया है। हरीश राव ने कहा कि रेवंत रेड्डी ने जनता को गुमराह करने के लिए चुनिंदा उद्धरण दिए। उन्होंने शीर्ष परिषद की बैठक के मिनट का एक और पैरा जारी किया। इसमें लिखा था कि KCR ने विशेषज्ञ समिति पर आपत्ति जताई थी। यह समिति गोदावरी से कृष्णा में पानी मोड़ने के मुद्दों के लिए बनी थी। हरीश राव ने कहा कि यदि आंध्र प्रदेश 200 TMC फीट पानी हटाता है, तो तेलंगाना के जल हितों पर असर पड़ेगा। आंध्र प्रदेश का 968 TMC फीट पानी पूरी तरह खत्म हो चुका है। तेलंगाना की तीन परियोजनाएं केंद्र सरकार के पास लंबित हैं। यदि गोदावरी-बनकाचेरला परियोजना को पहले मंजूरी मिली, तो तेलंगाना को नुकसान होगा।
- हरीश राव ने रेवंत रेड्डी पर “गुरु दक्षिणा” देने का आरोप लगाया।
- रेवंत रेड्डी ने 1,000 टीएमसी फीट गोदावरी जल पर समझौता करने की बात कही।
- साथ ही 500 टीएमसी फीट कृष्णा जल पर भी समझौता करने को तैयार दिखे।
अंतिम निर्णय का इंतजार
वर्तमान सिंचाई मंत्री एन. उत्तम कुमार रेड्डी ने भूपेंद्र यादव को पत्र लिखा है। उन्होंने परियोजना के लिए आंध्र प्रदेश द्वारा मांगे गए टीओआर को अस्वीकार करने का आग्रह किया है। यह परियोजना जल विवाद न्यायाधिकरण की अनुमति का उल्लंघन करती है। गोदावरी-बनकाचेरला परियोजना ने तेलंगाना-आंध्रप्रदेश जल विवाद में एक नया अध्याय खोल दिया है। दोनों पक्ष अपने-अपने रुख पर अड़े हुए हैं। इस मामले में केंद्र सरकार और संबंधित प्राधिकरणों का अंतिम निर्णय महत्वपूर्ण होगा।
- CWC के दिशा-निर्देशों में बाढ़ के पानी को आधिकारिक तौर पर परिभाषित नहीं किया गया।
- इसे किसी भी अंतर-राज्यीय नदी पर किसी भी राज्य द्वारा उपयोग के लिए आवंटित नहीं किया गया।
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