Loading Now

ट्रंप भारत व्यापार समझौता: क्या भारत के लिए खुलेगा ‘बड़ा’ व्यापार द्वार?

ट्रंप भारत व्यापार समझौता

क्या दुनिया की दो सबसे बड़ी लोकतंत्र एक साझा आर्थिक भविष्य को अपना सकती हैं? भारत-अमेरिका व्यापार समझौता सुर्खियों में है।” अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के साथ एक बड़े व्यापार समझौते की उम्मीद जताई है। उनका लक्ष्य भारत के साथ ‘व्यापार बाधाओं को पूरी तरह से खत्म’ करना है। ट्रंप ने इसे ‘अकल्पनीय’ बताया है। उनका कहना है कि उनका देश भारत के साथ ‘व्यापार करने का अधिकार’ चाहता है। वर्तमान में यह काफी ‘प्रतिबंधित’ है। ट्रंप ने चीन के साथ हुए हालिया समझौते का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने चीन के साथ एक बड़ा सौदा किया है। ट्रंप ने संकेत दिया कि भारत के साथ भी जल्द ‘बहुत बड़ा’ सौदा होगा। उनका मानना है कि हर कोई सौदा करना चाहता है।

  • बातचीत का दौर तेज: भारतीय वार्ताकार वाशिंगटन में हैं।
  • लक्ष्य अंतरिम समझौता: 9 जुलाई की समय सीमा से पहले समझौता चाहते हैं।

मुख्य बिंदु :

  1. ट्रंप भारत व्यापार समझौते की घोषणा से आर्थिक साझेदारी को नई दिशा मिल सकती है।
  2. अमेरिका चाहता है भारत कृषि, डेयरी और खुदरा क्षेत्र में व्यापार बाधाएं कम करे।
  3. भारत कपड़ा, रत्न, कृषि उत्पादों पर शुल्क रियायत की मांग पर अड़ा है।
  4. विशेषज्ञों ने ‘मिनी-डील’ को अधिक यथार्थवादी और पारस्परिक रूप से लाभकारी बताया।
  5. डेयरी, गेहूं और चावल पर भारत ने टैरिफ कटौती से स्पष्ट इनकार किया है।
  6. डिजिटल व्यापार, सीमा शुल्क प्रक्रिया और तकनीकी मानकों को समझौते में शामिल किया जाएगा।
  7. जयशंकर पर कांग्रेस का दबाव, विदेश नीति पर ट्रंप के बयानों का स्पष्ट उत्तर दें।

व्यापार बाधाएं: कहां है पेच?

अमेरिका कृषि और डेयरी उत्पादों पर कम शुल्क चाहता है। वे आनुवंशिक रूप से संशोधित (GMO) फसलों तक पहुंच चाहते हैं। बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में FDI पर भी प्रतिबंध कम करने की मांग है। भारत अपनी खाद्य सुरक्षा को लेकर चिंतित है। पर्यावरण और घरेलू कृषि क्षेत्र का कल्याण भी प्राथमिकता है। भारत इन प्रस्तावों पर उत्सुक नहीं है। भारत श्रम-गहन क्षेत्रों के लिए शुल्क रियायतें चाहता है। इसमें झींगा, तिलहन, अंगूर और केले भी शामिल हैं। मार्च 2025 में अमेरिका से भारत का कच्चा तेल आयात बढ़ा है। यह साल-दर-साल 11.49% बढ़कर 63 बिलियन डॉलर हुआ।

  • भारत की मांग: कपड़ा, रत्न, आभूषण पर शुल्क रियायत चाहता है।
  • रक्षा खरीद: अमेरिका से तेल और रक्षा खरीद बढ़ने की उम्मीद है।

‘मिनी-डील’ की संभावना और टैरिफ का खेल

विश्लेषकों का मानना है कि ‘मिनी-डील’ ही सबसे संभावित परिणाम है। इसके तहत भारत औद्योगिक वस्तुओं पर MFN टैरिफ घटा सकता है। इसमें ऑटोमोबाइल भी शामिल होंगे। इथेनॉल, बादाम, सेब पर सीमित कृषि पहुंच मिल सकती है। टैरिफ कटौती या TRQ के माध्यम से यह संभव है। हालांकि, भारत डेयरी उत्पादों पर टैरिफ नहीं घटाएगा। चावल और गेहूं जैसे खाद्यान्न भी इस दायरे से बाहर रहेंगे।

  • 26% टैरिफ का खतरा: 9 जुलाई के बाद लागू हो सकता है।
  • 10% बेसलाइन: मिनी-डील होने पर यह जारी रह सकता है।

यदि मिनी-डील होती है, तो अमेरिका 26% देश-विशिष्ट टैरिफ से बच सकता है। इसके बजाय, अधिकांश भारतीय आयातों पर 10% बेसलाइन टैरिफ लग सकता है। यह ट्रंप भारत व्यापार समझौता एक जटिल रास्ता है। ट्रंप के साथ, आश्चर्य की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।

राजनीतिक हलचल और कांग्रेस की मांग

  • डिजिटल व्यापार: समझौते में डिजिटल व्यापार भी शामिल है।
  • व्यापक लक्ष्य: 2030 तक $500 बिलियन व्यापार का लक्ष्य।

प्रस्तावित समझौते में सीमा शुल्क प्रक्रियाएं और तकनीकी मानक शामिल होंगे। कृषि जीएमओ उत्पादों को लेकर जटिल मुद्दा बना हुआ है। अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने समझौते की उम्मीद जताई है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने एक ऐसी जगह ढूंढी है जो दोनों के लिए काम करती है।

जयशंकर का रुख: कूटनीति बनाम इतिहास

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एस. जयशंकर से आग्रह किया है। उनका कहना है कि विदेश मंत्री ट्रंप के बयानों पर ध्यान दें। ट्रंप लगातार भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम में व्यापारिक बातचीत की भूमिका का दावा करते हैं। भारत इसे खारिज करता है, जिससे ‘अजीबोगरीब स्थिति’ बनी है।

  • कांग्रेस की चिंता: सरकार की जगह व्हाइट हाउस से विदेश नीति की जानकारी मिलना।
  • रमेश की अपेक्षा: जयशंकर कूटनीति के नुकसान को सुधारें, इतिहास में न उलझें।

मेरी टिप्पणी: यह टिप्पणी जयशंकर की भूमिका पर सवाल उठाती है। यह दिखाता है कि विदेशी बयानों से घरेलू राजनीति में व्यापार समझौते कितने संवेदनशील होते हैं। विदेश मंत्री को भारत की स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।

विशेषज्ञों की राय और आगे की राह

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को अपनी जमीन पर अड़ा रहना चाहिए। उन्हें पारस्परिक, संतुलित और पारदर्शी समझौते पर जोर देना चाहिए। यह समझौता किसानों, डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करे। यह हमारी नियामक संप्रभुता को भी सुरक्षित रखे। भारत का राष्ट्रीय हित सर्वोपरि रहेगा। ट्रंप भारत व्यापार समझौता दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है। यह द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने का अवसर है। दोनों देशों के बीच साझेदारी मजबूत होगी। यह द्विपक्षीय व्यापार को $500 बिलियन तक ले जा सकता है। यह चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने में भी मदद करेगा।

  • अमेरिका की मांगें: सोया, मक्का, सेब पर बाजार पहुंच।
  • बड़े सौदे: LNG, बोइंग विमान, परमाणु रिएक्टरों की खरीद।
Spread the love

Post Comment

You May Have Missed