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“छत्तीसगढ़ में हंगामा: CBI और ED की डबल छापेमारी”

"छत्तीसगढ़ में हंगामा: CBI और ED की डबल छापेमारी"
  • केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने बुधवार को महादेव सट्टेबाजी ऐप मामले में कांग्रेस महासचिव और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आवास पर छापेमारी की.

महत्वपूर्ण अपडेट्स :

  • CBI ने रायपुर और भिलाई में भूपेश बघेल के आवासों पर छापेमारी की
  • महादेव ऐप घोटाले में अब तक 2,295 करोड़ की संपत्ति जब्त
  • ED पहले ही शराब घोटाले में बघेल के घर पर किया था छापा
  • कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर लगाया “राजनीतिक दबदबे” का आरोप:

कांग्रेस महासचिव और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यालय ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर एक पोस्ट में खुलासा किया कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की टीमें बुधवार को उनके रायपुर और भिलाई स्थित आवासों पर पहुंच गईं। यह कार्रवाई ठीक उस समय हुई जब पूर्व छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय की एक महत्वपूर्ण बैठक में शामिल होने वाले थे।

भूपेश बघेल 8-9 अप्रैल को अहमदाबाद में होने वाली कांग्रेस पार्टी की बैठक की तैयारियों के लिए गठित “ड्राफ्टिंग कमेटी” की बैठक में भाग लेने दिल्ली जा रहे थे। उनके कार्यालय ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर लिखा – “अब CBI आ गई है। पूर्व सीएम दिल्ली जाने वाले थे, इससे पहले ही एजेंसी ने उनके दोनों आवासों पर छापा मार दिया।”

यह घटना महादेव बेटिंग ऐप मामले में चल रही जांच के क्रम में हुई है, जिसमें पहले भी कई बड़े नाम सामने आए हैं। कांग्रेस ने इस कार्रवाई को ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ बताते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की छापेमारी: क्या है पूरा मामला?

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने बुधवार २६ मार्च  को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के रायपुर और भिलाई स्थित आवासों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई महादेव ऑनलाइन बेटिंग ऐप घोटाले से जुड़ी है, जिसमें हजारों करोड़ रुपये के स्कैम का खुलासा हुआ है। इसके साथ ही, CBI ने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और भूपेश बघेल के करीबी सहयोगी के आवासों पर भी तलाशी अभियान चलाया। दिलचस्प बात यह है कि छापे के समय बघेल दिल्ली में कांग्रेस की एक महत्वपूर्ण बैठक में शामिल होने वाले थे, यह मामला अब एक बड़े राजनीतिक विवाद का रूप ले चुका है।

प्रवर्तन निदेशालय औरकेंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो की करवाई :

इस पहले इसी वर्ष 10 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के संबंध में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल के आवासों पर छापेमारी की थी, जिसमें 33 लाख रुपये नकद बरामद हुए थे। बघेल ने इस राशि को अपनी खेती, डेयरी व्यवसाय और पारिवारिक बचत से अर्जित आय बताया था।प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में छत्तीसगढ़ राज्य सरकार को 2,100 करोड़ रुपये के नुकसान का दावा किया था। इससे पहले, पिछले वर्ष छत्तीसगढ़ सरकार ने महादेव बेटिंग ऐप से संबंधित 70 मामले को सीबीआई को सौंपे था , जिसके बाद से यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया था। केन्द्री जांच एजेंसी द्वारा लगातार की जा रही कार्रवाइयाँ राज्य की राजनीति को नए सिरे से गरमा रही हैं।

कांग्रेस की प्रतिक्रिया:

कांग्रेस की प्रतिक्रिया: “भाजपा डरी हुई है”

कांग्रेस ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की छापेमारी को सीधे तौर पर राजनीतिक प्रतिशोध बताते हुए तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा, “भूपेश बघेल के पंजाब प्रभारी बनने के बाद से भाजपा घबरा गई है। शुक्ला ने कहा जब-जब वे राजनीतिक रूप से हारते हैं, केंद्रीय एजेंसियों को हथियार की तरह इस्तेमाल करते हैं।” शुक्ला ने यह भी याद दिलाया कि पहले भी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने एक पुराने मामले में बघेल को निशाना बनाया था, लेकिन अदालत ने उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया था। एक अन्य कांग्रेस नेता ने कहा, “यह साफ तौर पर चुनावों से पहले विपक्षी नेताओं को डराने की रणनीति है। कांग्रेस नेता ने कहा की भाजपा को लगता है कि एजेंसियों के दम पर वे हमें झुका लेंगे, लेकिन हम डरने वालों में से नहीं हैं।” कांग्रेस पार्टी ने इस पूरे प्रकरण को ‘संस्थानों के दुरुपयोग’ का उदाहरण बताया है।

महादेव ऐप घोटाला: क्या है पूरा सच?

प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अनुसार, महादेव ऑनलाइन बेटिंग ऐप घोटाले में लगभग 6,000 करोड़ रुपये की अवैध कमाई हुई है, जिसमें छत्तीसगढ़ के कई बड़े नेताओं और अधिकारियों के शामिल होने के संदेह जताए गए हैं। इस मामले में ऐप के प्रमुख प्रमोटर्स रवि उप्पल, सौरभ चंद्राकर और अनिल अग्रवाल के खिलाफ भी केस दर्ज किए गए हैं। हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इन आरोपों को ‘राजनीतिक षड्यंत्र’ करार दिया है।

महादेव बेटिंग ऐप एक ऑनलाइन गैंबलिंग प्लेटफॉर्म है जो खेलों और कैसीनो गेम्स पर बेटिंग की सुविधा देता था। यह ऐप कथित तौर पर भारत में प्रतिबंधित होने के बावजूद अवैध रूप से संचालित हो रहा था। इसके संचालकों पर पैसे की लॉन्ड्रिंग और अवैध जुए के धंधे को बढ़ावा देने के गंभीर आरोप लगे हैं। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि यह नेटवर्क कई राज्यों में फैला हुआ है और इससे जुड़े लोगों ने राजनीतिक संरक्षण का भी लाभ उठाया हो सकता है।

निष्कर्ष :

सीबीआई और ईडी की लगातार कार्रवाई से साफ है कि महादेव ऐप घोटाला गहराता जा रहा है। कांग्रेस इसे राजनीतिक हमला बता रही है, जबकि भाजपा का कहना है कि कानून अपना काम कर रहा है। आने वाले दिनों में इस मामले में और बड़े खुलासे हो सकते हैं।

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