USGS रिपोर्ट: म्यांमार में 7.7 तीव्रता का भूकंप, भारत में झटके!

USGS (यूएस जियोलॉजिकल सर्वे) के अनुसार, म्यांमार के मध्य क्षेत्र में 28 मार्च 2025, शुक्रवार को सुबह 12 बजे के आसपास 7.7 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया। भूकंप का केंद्र सागाइंग से 16 किमी उत्तर-पश्चिम में 10 किमी गहराई पर था। नेपीडॉ और मांडले में भारी नुकसान हुआ, जबकि थाईलैंड, बांग्लादेश, चीन के युन्नान प्रांत सहित भारत के कोलकाता, इंफाल तक झटके महसूस किए गए। इस प्राकृतिक आपदा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी है।
81 लोग फंसे, 90 लापता: निर्माणाधीन इमारत ढहने से हुआ भीषण नुकसान
पुलिस रिपोर्ट्स के मुताबिक, नेपीडॉ में एक 30 मंजिला निर्माणाधीन सरकारी इमारत के ढहने से 81 लोग मलबे में फंस गए। थाईलैंड के रक्षा मंत्री ने 90 लापता और 3 मौतों की पुष्टि की। म्यांमार की सेना ने छह क्षेत्रों में आपातकाल घोषित करते हुए अंतरराष्ट्रीय मानवीय सहायता का अनुरोध किया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह अनुरोध संकेत देता है कि हताहतों का आंकड़ा वास्तव में बहुत अधिक हो सकता है।
भारत ने जताई तत्परता: पीएम मोदी ने व्यक्त की संवेदनाएं
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर म्यांमार और थाईलैंड के पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए त्वरित राहत सहायता का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, “भारत हर संभव मदद के लिए तैयार है।” विदेश मंत्रालय और NDRF टीमों को अलर्ट किया गया है। कोलकाता और इंफाल में हल्के झटके दर्ज किए गए, लेकिन जान-माल का नुकसान नहीं हुआ।
नेपीडॉ का अस्पताल बना ‘मास कैजुअल्टी जोन’, म्यांमार की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई
राजधानी के 1000 बिस्तर वाले सामान्य अस्पताल के बाहर घायलों की लंबी कतारें देखी गईं। कई मरीज गंभीर हालत में हैं, जबकि स्वास्थ्यकर्मी संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं। म्यांमार की कमजोर स्वास्थ्य व्यवस्था और COVID-19 के बाद के संकट ने राहत कार्यों को चुनौतीपूर्ण बना दिया है।
सागाइंग फॉल्ट जोन: म्यांमार में भूकंप का ऐतिहासिक कारण
USGS के विश्लेषण के अनुसार, म्यांमार का यह क्षेत्र ‘सागाइंग फॉल्ट लाइन’ पर स्थित है, जहां 1930-1956 के बीच 7+ तीव्रता के छह भूकंप आ चुके हैं। 2016 में बागान में 6.8 तीव्रता के भूकंप से प्राचीन मंदिरों को नुकसान पहुंचा था। विशेषज्ञों का मानना है कि खराब शहरी नियोजन और निर्माण मानकों ने तबाही को बढ़ाया है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: UN और ASEAN की टीमें होंगी तैनात
संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमार को तत्काल राहत सामग्री भेजने की घोषणा की है। ASEAN देशों ने संयुक्त टास्क फोर्स बनाने का प्रस्ताव रखा है। हालांकि, म्यांमार की सैन्य सरकार के साथ राजनीतिक तनाव के कारण अंतरराष्ट्रीय सहायता का वितरण चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
भूकंप रोधी इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी: एक बड़ी चुनौती
म्यांमार के 70% से अधिक भवन भूकंपरोधी मानकों पर खरे नहीं उतरते। नेपीडॉ जैसे शहरों में तेजी से हुए निर्माण में गुणवत्ता की अनदेखी की गई है। विश्व बैंक की 2023 रिपोर्ट के मुताबिक, म्यांमार में प्राकृतिक आपदा प्रबंधन पर सालाना खर्च GDP का केवल 0.3% है, जो कि पर्याप्त नहीं है।
स्थानीय लोगों की दर्दभरी कहानियां: “जिंदगी का सबसे डरावना पल”
नेपीडॉ के एक दुकानदार साई (76) ने बताया, “मैं 50 साल से यहां हूं, लेकिन इतना तेज भूकंप कभी नहीं देखा।” थंगल बाजार में मलबे में दबे लोगों को बचाने का काम जारी है। स्थानीय निवासी स्वेच्छा से राहत कार्यों में जुटे हैं, लेकिन उपकरणों और विशेषज्ञता की कमी से प्रगति धीमी है।
भविष्य की चेतावनी: विशेषज्ञों ने बताई एहतियाती उपायों की जरूरत
भू-वैज्ञानिक डॉ. अरुण बोरा के अनुसार, “यह क्षेत्र टेक्टॉनिक प्लेटों के संवेदनशील जोन में है। यहां नियमित भूकंप ड्रिल और जनजागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है।” म्यांमार सरकार ने अब स्कूलों और अस्पतालों को भूकंपरोधी बनाने की योजना की घोषणा की है।
तकनीकी सहायता पर जोर: भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति
भारत ने म्यांमार को भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित करने में तकनीकी मदद का प्रस्ताव दिया है। इसके अलावा, NDRF की विशेषज्ञ टीम और मेडिकल सप्लाइज भेजने की तैयारी है। 2015 नेपाल भूकंप के दौरान भारत की ‘ऑपरेशन मैत्री’ सफलता से प्रेरणा लेते हुए इस बार भी त्वरित प्रतिक्रिया की उम्मीद है।
निष्कर्ष: एकजुटता की आवश्यकता
यह घटना दर्शाती है कि प्राकृतिक आपदाएं राजनीतिक सीमाओं से परे होती हैं। म्यांमार को वैश्विक समुदाय के समर्थन की आवश्यकता है, साथ ही दीर्घकालिक रूप से आपदा प्रबंधन ढांचे को मजबूत करने की जरूरत है। इस संकट की घड़ी में मानवता सर्वोपरि है।
यह खबर गहन रिसर्च और प्रामाणिक स्रोतों पर आधारित है। अपडेट्स के लिए बने रहें।”
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