विशेष संसद सत्र विवाद ऑपरेशन सिंदूर पर सरकार-विपक्ष आमने-सामने

विशेष संसद सत्र विवाद इन दिनों राजनीतिक गलियारों में छाया हुआ है। विपक्ष ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए विशेष सत्र की मांग कर रहा है। लेकिन केंद्र सरकार इस पर विचार नहीं कर रही है। मानसून सत्र जुलाई में पहले से ही तय है।
- CDS जनरल अनिल चौहान ने खुलासा किया। सीमा पार ऑपरेशन में लड़ाकू विमान खो गए थे।
- सरकारी सूत्रों ने विशेष सत्र से इनकार किया। मानसून सत्र जुलाई में निर्धारित है।
- वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, “अभी औचित्य नहीं।” विपक्ष में आम सहमति नहीं है।
सरकार का कहना है कि हर सत्र खास होता है। हर मुद्दा महत्वपूर्ण होता है।
मुख्य बिंदु :
- विपक्ष ने ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए विशेष संसद सत्र की मांग की।
- CDS अनिल चौहान ने पहले दिन लड़ाकू विमान खोने की बात स्वीकार की।
- सरकार ने विशेष सत्र को खारिज किया, मानसून सत्र में चर्चा की बात कही।
- कांग्रेस ने विदेशी मंच पर जानकारी साझा करने को लेकर सरकार पर निशाना साधा।
- मनोज झा सहित विपक्षी नेताओं ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर चिंता जताई।
- सरकार ने कहा, ऑपरेशन अब भी जारी है, सत्र बुलाना इस समय उचित नहीं।
- मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होगा, कई लंबित विधेयकों पर बहस संभावित।
CDS का खुलासा और विपक्ष की प्रतिक्रिया
सिंगापुर में CDS जनरल चौहान ने स्वीकार किया। ऑपरेशन सिंदूर के पहले दिन लड़ाकू विमान खो गए। सामरिक त्रुटियों के कारण यह नुकसान हुआ। उन्होंने कहा, बाद में स्थिति सुधर गई थी।
- कांग्रेस ने सरकार पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया। जयराम रमेश ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।
- रक्षा मंत्री को सैन्य नुकसान की जानकारी देनी थी। यह स्वीकारोक्ति विदेशी मंच पर हुई।
- कांग्रेस ने सर्वदलीय बैठक में जानकारी मांगी। शीर्ष सैन्य जनरल का खुलासा चौंकाने वाला था।
विपक्ष ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर चिंता जताई। सैन्य रणनीति पर चर्चा की मांग की।
विपक्ष की विशेष सत्र की मांग और इंडिया ब्लॉक की रणनीति
कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल विशेष सत्र चाहते हैं। इनमें तृणमूल कांग्रेस, डीएमके, आरजेडी भी शामिल हैं। वामपंथी दल, समाजवादी पार्टी भी समर्थन में हैं। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग भी साथ है।
- ये दल राष्ट्रीय सुरक्षा पर चर्चा चाहते हैं। सैन्य रणनीति पर भी बात करना चाहते हैं।
- विदेशी हस्तक्षेप की चिंताओं को दूर करना चाहते हैं। सांसदों से हस्ताक्षर भी एकत्र किए।
- आरजेडी सांसद मनोज झा ने पीएम को पत्र लिखा। भारतीय नागरिकों की चिंताएं व्यक्त कीं।
मनोज झा ने “संगठित अराजकता” की चेतावनी दी। भारत की विदेश नीति में हस्तक्षेप पर चर्चा मांगी।
सरकार का जवाब: मानसून सत्र में होगी चर्चा
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा। हर सत्र खास होता है, हर मुद्दा खास होता है। संसद में विभिन्न नियमों के तहत चर्चा हो सकती है। सरकार हर मुद्दे पर चर्चा को तैयार है।
- सरकारी सूत्रों ने कहा, रक्षा मंत्री चर्चा को संबोधित करेंगे। राजनाथ सिंह दोनों सदनों में बोलेंगे।
- ऑपरेशन अभी चल रहा है, खत्म नहीं हुआ है। इस समय विशेष सत्र उचित नहीं होगा।
- सार्वजनिक असहमति से पाकिस्तान को फायदा होगा। विशेष संसद सत्र विवाद से बचना चाहते हैं।
सरकार ने आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर भी इनकार किया। विशेष सत्र की योजना पर विचार नहीं किया।
मानसून सत्र की अग्रिम घोषणा और विपक्ष की आलोचना
सरकार ने मानसून सत्र की तारीखें घोषित कीं। 21 जुलाई से 12 अगस्त तक सत्र चलेगा। यह घोषणा डेढ़ महीने पहले ही कर दी गई। यह असामान्य तत्परता मानी गई।
- जयराम रमेश ने कहा, 47 दिन पहले तारीखें कभी नहीं आईं। सरकार विशेष सत्र से भागना चाहती है।
- डेरेक ओ ब्रायन ने “संसद का डर” बताया। मोदी सरकार पर सीधा हमला किया।
- 16 भारतीय दलों ने पीएम मोदी को पत्र लिखा। पहलगाम आतंकी हमले पर चर्चा मांगी।
रमेश ने कटाक्ष किया, पीएम विशेष सत्र से भाग सकते हैं। लेकिन मानसून सत्र से नहीं भाग पाएंगे। विशेष संसद सत्र विवाद अब मानसून सत्र में उठेगा।
आगामी सत्र में विधेयक और ‘कैश जज’ का मुद्दा
आगामी सत्र में कई विधेयक पारित होंगे। पिछले सत्रों से लंबित विधेयक भी शामिल हैं। सरकार खेल संहिता विधेयक पेश कर सकती है। आयकर विधेयक भी पारित हो सकता है।
- सरकार ने विपक्षी दलों से संपर्क साधा। न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा पर महाभियोग प्रस्ताव के लिए।
- न्यायमूर्ति वर्मा पर बेहिसाब नकदी का आरोप है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पैनल ने दोषी ठहराया।
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