वक्फ बिल के खिलाफ पूरा इंडिया ब्लॉक एकजुट ‘संसद में आज होगी वोटिंग’

भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन में सुधार लाने वाले विवादास्पद वक्फ संशोधन विधेयक पर आज लोकसभा में चर्चा और पारित होने की संभावना है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि इस पर चर्चा के लिए करीब आठ घंटे का समय दिया गया है, जबकि विपक्ष ने 10 घंटे का समय मांगा है।
वक्फ संशोधन विधेयक: क्यों है विवाद?
भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन में सुधार लाने वाले विवादास्पद वक्फ संशोधन विधेयक पर आज लोकसभा में चर्चा और पारित होने की संभावना है। लेकिन विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक ने इसे “संविधान का उल्लंघन” बताते हुए बिल के खिलाफ वोट करने का फैसला किया है। क्या है इस बिल की खास बातें, और क्यों इस पर राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है?
विपक्ष की रणनीति: अकादमिक चर्चा, लेकिन सख्त विरोध
कल शाम हुई इंडिया ब्लॉक की बैठक में सभी विपक्षी दलों ने एकमत से फैसला लिया कि वे वक्फ बिल पर पूरी चर्चा करेंगे और संसद में इसके खिलाफ वोट करेंगे। आरएसपी के सांसद एन.के. प्रेमचंद्रन ने स्पष्ट किया:
- “हम बिल की खामियों को उजागर करेंगे। यह कोई प्रदर्शन नहीं, बल्कि अकादमिक चर्चा होगी।”
- विपक्ष बिल के हर पहलू पर सवाल उठाएगा, लेकिन वॉकआउट या हंगामा नहीं करेगा।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा, “यह बिल संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है। हम समान विचारधारा वाले सभी दलों से समर्थन की अपील कर रहे हैं।”
वक्फ बिल क्या बदलना चाहता है?
वक्फ संशोधन विधेयक 2023 का मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों (इस्लामिक धार्मिक या चैरिटेबल ट्रस्ट) के प्रबंधन को पारदर्शी और कुशल बनाना है। सरकार का दावा है कि यह बदलाव निम्नलिखित सुधार लाएगा:
- वक्फ बोर्डों की जवाबदेही बढ़ेगी।
- संपत्तियों के दुरुपयोग पर रोक लगेगी।
- डिजिटल मैपिंग और ऑडिट की व्यवस्था होगी।
हालांकि, विपक्ष का आरोप है कि यह बिल केंद्र को वक्फ संपत्तियों पर अत्यधिक नियंत्रण देकर राज्यों के अधिकारों का हनन करता है।
गैर-गठबंधन दलों का समर्थन: एआईएडीएमके से बीआरएस तक
इस बार इंडिया ब्लॉक को कुछ गैर-गठबंधन दलों का भी समर्थन मिल रहा है:
- एआईएडीएमके (तमिलनाडु) ने स्पष्ट किया है कि वह बिल के खिलाफ वोट करेगी।
- बीजू जनता दल (ओडिशा) के सस्मित पात्रा ने कहा, “क्या विपक्ष की आपत्तियों को नज़रअंदाज़ किया गया?”
- भारत राष्ट्र समिति (तेलंगाना) की के. कविता ने कहा, “हम मुस्लिम समुदाय के हितों के लिए लड़ेंगे।”
इन दलों का समर्थन विपक्ष को संख्याबल दे सकता है, हालांकि लोकसभा में एनडीए के 293 सांसद हैं, जबकि सदन की वर्तमान सदस्य संख्या 542 है।
सरकार vs विपक्ष: चर्चा का समय भी बना मुद्दा
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि बिल पर 8 घंटे की चर्चा होगी, लेकिन विपक्ष ने 10 घंटे का समय मांगा है। यह अंतर दिखाता है कि दोनों पक्षों में टकराव सिर्फ बिल तक ही सीमित नहीं है।
तैयारियां कैसी?
- कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (लालू यादव), और तृणमूल कांग्रेस ने अपने सांसदों को 3 दिन तक सदन में उपस्थित रहने का व्हिप जारी किया है।
- वहीं, एनडीए के सहयोगी दलों—टीडीपी, जेडी(यू), शिवसेना, और एलजेपी—ने भी अपने सांसदों को बिल का समर्थन करने का निर्देश दिया है।
पिछले साल से चल रहा है सियासी युद्ध
वक्फ बिल पहले ही संसदीय समिति की जांच का विषय बन चुका है। पिछले साल सरकार ने इसे संयुक्त समिति को भेजा था, जिसकी सिफारिशों के आधार पर कुछ संशोधन किए गए। लेकिन विपक्ष का कहना है कि उनकी मुख्य चिंताएं नहीं सुनी गईं।
क्या है आगे की राह?
लोकसभा में आज का दिन वक्फ बिल के इर्द-गिर्द घूमेगा। विपक्ष की कोशिश होगी कि बिल को यथासंभव टाला जाए या इसमें बदलाव किए जाएं, जबकि सरकार इसे पारित कराने के लिए दृढ़ है।
देश की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या विपक्ष अपने एकजुट मोर्चे से सरकार को झुका पाएगा, या एनडीए का बहुमत एक बार फिर विजयी होगा।
यह लड़ाई सिर्फ एक बिल तक सीमित नहीं, बल्कि 2025 के राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों से पहले इंडिया ब्लॉक और एनडीए के बीच ताकत का टेस्ट केस बन गया है। आने वाले कुछ घंटे देश की राजनीतिक दिशा को नए सिरे से परिभाषित कर सकते हैं।
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