वक्फ संशोधन विधेयक 2025: राज्यसभा में भी बहुमत से मंजूरी

राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए तैयार है वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025, जानें क्या हैं प्रमुख बदलाव
राज्यसभा ने 18 जुलाई 2024 को वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को 128-95 के बहुमत से मंजूरी दे दी। यह विधेयक अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के समक्ष अंतिम स्वीकृति के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। इससे पहले, लोकसभा में भी इसे 288-232 के वोट से पारित किया गया था। विधेयक में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, महिला अधिकारों और न्यायाधिकरणों की कार्यप्रणाली में सुधार को केंद्र में रखा गया है।
एनडीए vs इंडिया ब्लॉक: राजनीतिक बहस गरमाई
विधेयक पर संसद में एनडीए और इंडिया ब्लॉक के बीच तीखी बहस हुई। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने जहाँ “धर्मनिरपेक्ष शासन” और “सामाजिक न्याय” का हवाला देते हुए संशोधनों को जरूरी बताया, वहीं विपक्ष ने इसे “वक्फ बोर्डों की स्वायत्तता पर हमला” करार दिया। रिजिजू ने कहा, “वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की भागीदारी से पारदर्शिता बढ़ेगी।”
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025: क्या बदलेगा?
- न्यायाधिकरणों का सशक्तिकरण: सदस्यों के चयन में योग्यता और निश्चित कार्यकाल को अनिवार्य किया गया है।
- वित्तीय सुधार: वक्फ संस्थानों का अनिवार्य योगदान 7% से घटाकर 5% किया गया। ₹1 लाख से अधिक आय वाले संस्थानों के लिए ऑडिट अनिवार्य होगा।
- डिजिटल पहल: संपत्ति प्रबंधन के लिए केंद्रीकृत डिजिटल पोर्टल बनाया जाएगा, जिससे 15,000+ वक्फ संपत्तियों का रिकॉर्ड पारदर्शी होगा।
- महिलाओं के अधिकार: विधवाओं, तलाकशुदा और अनाथ महिलाओं को वक्फ संपत्ति में उत्तराधिकार सुनिश्चित किया गया है।
महिला सशक्तिकरण: ऐतिहासिक प्रावधान
विधेयक में महिला अधिकारों को लेकर क्रांतिकारी बदलाव किए गए हैं। अब, वक्फ घोषित होने से पहले ही महिलाओं को संपत्ति पर अधिकार मिल जाएगा। साथ ही, वक्फ बोर्डों में 30% महिला प्रतिनिधित्व का लक्ष्य रखा गया है। यह कदम मुस्लिम महिलाओं की आर्थिक भागीदारी बढ़ाने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
आलोचना और समर्थन: दोनों तरफ की आवाजें
विपक्ष का कहना है कि यह विधेयक “केंद्र सरकार का वक्फ बोर्डों पर अतिक्रमण” है। वहीं, अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने महिला अधिकारों के प्रावधानों का स्वागत किया है। एक्टिविस्ट फातिमा खान ने कहा, “यह बदलाव महिलाओं को कानूनी लड़ाई से बचाएगा।”
शोध के आधार पर: वक्फ संपत्तियों का इतिहास और चुनौतियाँ
भारत में वक्फ अधिनियम 1995 के तहत 8 लाख से अधिक संपत्तियाँ पंजीकृत हैं, जिनका कुल मूल्य ₹1.5 लाख करोड़ से अधिक है। लेकिन, 2013 की सैयदा हसन रिपोर्ट के अनुसार, 70% संपत्तियाँ अवैध कब्जे या उपेक्षा का शिकार हैं। नए पोर्टल से इनके डिजिटलीकरण और कानूनी दावों के निपटारे में तेजी आने की उम्मीद है।
अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य
दुबई और सऊदी अरब जैसे देशों में भी वक्फ संपत्तियों का डिजिटल प्रबंधन सफल रहा है। भारत का यह कदम ISRO की तकनीकी सहायता से उठाया गया है, जिससे जीआईएस मैपिंग के जरिए संपत्तियों का सटीक डेटा तैयार होगा।
निष्कर्ष: सुधारों की राह पर
वक्फ संशोधन विधेयक 2025 न सिर्फ धार्मिक संस्थानों के प्रशासन में आधुनिकता लाएगा, बल्कि मुस्लिम समुदाय, खासकर महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक भागीदारी को नई दिशा देगा। हालाँकि, इसके कार्यान्वयन में राज्य सरकारों और केंद्र के बीच तालमेल अहम होगा। विधेयक के पारित होने के बाद अब नजर राष्ट्रपति की स्वीकृति और आगामी नीतिगत कदमों पर टिकी है।
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