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Maharashtra vs Gujarat: मेगा प्रोजेक्ट्स के पलायन से उठे आर्थिक-राजनीतिक सवाल, जानें पूरा विवाद

Maharashtra vs Gujarat: मेगा प्रोजेक्ट्स के पलायन से उठे आर्थिक-राजनीतिक सवाल, जानें पूरा विवाद

परिचय

पिछले एक दशक में महाराष्ट्र से गुजरात की ओर बड़ी औद्योगिक परियोजनाओं का पलायन चिंता का विषय बना हुआ है। वेदांता-फॉक्सकॉन सेमीकंडक्टर प्लांट से लेकर टाटा-एयरबस जैसी मेगा प्रोजेक्ट्स के स्थानांतरण ने न केवल “प्रतिस्पर्धी संघवाद” की बहस छेड़ी है, बल्कि महाराष्ट्र के औद्योगिक विकास पर भी सवाल खड़े किए हैं। इसके पीछे राजनीतिक अस्थिरता, आकर्षक सब्सिडी और बुनियादी ढांचे के अंतर जैसे कारण प्रमुख हैं।

वेदांता-फॉक्सकॉन सेमीकंडक्टर प्लांट

2022 में ₹1.54 लाख करोड़ के वेदांता-फॉक्सकॉन सेमीकंडक्टर प्लांट का महाराष्ट्र से गुजरात स्थानांतरण सबसे चर्चित मामला रहा। यह प्रोजेक्ट मेक इन इंडिया के तहत पुणे के तालेगांव में शुरू होना था, लेकिन गुजरात सरकार ने 40% पूंजीगत सब्सिडी, समर्पित आईएएस टीम और धोलेरा SIR जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर का लालच देकर इसे अपनी ओर खींच लिया। NITI Aayog के अनुसार, यह फैसला भारत के सेमीकंडक्टर मार्केट (2025 तक ₹4.5 लाख करोड़) में गुजरात को रणनीतिक बढ़त दिला सकता है।

टाटा-एयरबस C-295 प्रोजेक्ट

नागपुर के MIHAN में प्रस्तावित टाटा-एयरबस की ₹22,000 करोड़ की डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग यूनिट का 2022 में वडोदरा शिफ्ट होना महाराष्ट्र के लिए बड़ा झटका था। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि गुजरात ने डिफेंस कॉरिडोर और लॉजिस्टिक्स सुविधाओं (जैसे मुंद्रा पोर्ट की निकटता) के जरिए कंपनी को आकर्षित किया। इससे महाराष्ट्र को 6,000 डायरेक्ट जॉब्स के साथ-साथ एयरोस्पेस सेक्टर में लीडरशिप का मौका गंवाना पड़ा।

सबमरीन टूरिज्म और रिन्यू सोलर

2024 में, सिंधुदुर्ग की अंडरवाटर टूरिज्म प्रोजेक्ट और नागपुर की ₹18,000 करोड़ की रिन्यू सोलर पैनल योजना के गुजरात चले जाने की खबरों ने राज्य सरकार को घेर लिया। हालांकि सबमरीन प्रोजेक्ट को “अफवाह” बताया गया, पर्यावरण मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि गुजरात में 2023-24 में 12% अधिक ग्रीन प्रोजेक्ट्स को मंजूरी मिली, जो निवेशकों के लिए प्राथमिकता बन रहा है।

परियोजना पलायन से महाराष्ट्र को आर्थिक झटका

महाराष्ट्र को पिछले 3 साल में ₹1.80 लाख करोड़ के निवेश और 2.5 लाख+ रोजगार के अवसर गंवाने पड़े हैं। RBI की 2023 रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य की औद्योगिक विकास दर 4.7% रही, जबकि गुजरात 8.3% के साथ टॉप पर रहा। मुंबई का वित्तीय केंद्र होने का दर्जा भी GIFT सिटी (जहां 8/10 टॉप एसेट कंपनियां सेटल हुईं) के कारण खतरे में है।

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप

शिवसेना (UBT) ने आरोप लगाया कि “केंद्र सरकार महाराष्ट्र को जानबूझकर कमजोर कर रही है,” जबकि उद्योग मंत्री उदय समंत ने MVA सरकार पर 2015 के फॉक्सकॉन MoU को रद्द करने का आरोप लगाया। कांग्रेस नेता नाना पटोले ने इसे “संसाधनों की लूट” बताते हुए GST कम्पेंसेशन (₹15,000 करोड़ बकाया) के मुद्दे को भी उठाया।

महाराष्ट्र के लिए भविष्य की रणनीति

महाराष्ट्र को अब MSIDC के माध्यम से ₹1.10 लाख करोड़ के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स (जैसे 6,000 किमी सड़क नेटवर्क) पर फोकस करना होगा। साथ ही, गुजरात के 54 ITIs और 12 स्किल यूनिवर्सिटीज के मुकाबले महाराष्ट्र में स्किल डेवलपमेंट को बढ़ावा देने की जरूरत है। 2024 में लॉन्च की गई ‘महा-स्किल’ योजना इस दिशा में एक कदम है।

निष्कर्ष

महाराष्ट्र और गुजरात के बीच यह प्रतिस्पर्धा भारत के संघीय ढांचे की परीक्षा है। जहां गुजरात ने इंवेस्टर-फ्रेंडली पॉलिसीज और GIFT सिटी जैसे इनोवेशन्स से बाजी मारी है, वहीं महाराष्ट्र को राजनीतिक स्थिरता, तीव्र निर्णय और स्थानीय इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत करना होगा। अन्यथा, ‘इंडस्ट्रियल कॉरिडोर’ का सपना सिर्फ नारा बनकर रह जाएगा।

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