राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को GANHRI का ऐतिहासिक झटका!
संयुक्त राष्ट्र से जुड़ी संस्था ने सरकारी हस्तक्षेप और स्वतंत्रता पर उठाए सवाल
भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ा झटका लगा है। GANHRI की उप-समिति ने NHRC का दर्जा ‘A’ से ‘B’ करने की सिफारिश की है। यह पहली बार है जब आयोग को ऐतिहासिक डाउनग्रेड का सामना करना पड़ रहा है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्वतंत्रता पर सवाल
GANHRI की रिपोर्ट के अनुसार, NHRC ने पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और सरकारी आलोचकों के खिलाफ बढ़ते मामलों को गंभीरता से नहीं लिया। साथ ही, पुलिस अधिकारियों की जांच प्रक्रिया में भागीदारी और सरकारी अधिकारियों की नियुक्ति को स्वतंत्रता के लिए खतरा बताया गया।
रिपोर्ट में कहा गया कि NHRC “पेरिस सिद्धांतों” के अनुरूप काम नहीं कर रहा। हालांकि, आयोग ने इन आरोपों को “निराधार” बताते हुए कहा कि पुलिस अधिकारी निष्पक्ष जांच करने में सक्षम हैं। वहीं, GANHRI ने सदस्य चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता और विविधता की कमी को भी रेखांकित किया।
डाउनग्रेड का असर और भविष्य की चुनौतियाँ
SCA के अनुसार, NHRC 2026 तक ‘A’ दर्जा बनाए रखेगा, लेकिन सुधार न होने पर स्थायी डाउनग्रेड हो सकता है। इससे भारत की वैश्विक छवि को झटका लगने की आशंका है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकारी हस्तक्षेप कम करने और नागरिक अधिकारों की सुरक्षा पर तत्काल ध्यान देना होगा।
दिसंबर 2023 में NHRC के नए अध्यक्ष की नियुक्ति पर भी सवाल उठे थे। विपक्ष ने चयन प्रक्रिया को “पक्षपातपूर्ण” बताया था। अब, GANHRI की रिपोर्ट के बाद NHRC के सामने स्वतंत्रता और विश्वसनीयता बहाल करने की बड़ी चुनौती है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का यह डाउनग्रेड न केवल संस्था, बल्कि देश के लिए चेतावनी है। मानवाधिकारों की रक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु ठोस कदम ज़रूरी हैं। अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरने की कोशिशें ही भविष्य में NHRC की साख बचा सकती हैं।
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