मुंबई में आईएमडी ने जारी किया येलो अलर्ट: 107 साल का रिकॉर्ड टूटा

आईएमडी की चेतावनी: भारी बारिश का खतरा
मुंबई में सोमवार को 135 मिमी बारिश ने 107 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया। आईएमडी (भारत का मौसम विज्ञान विभाग) ने येलो अलर्ट जारी किया था। कोलाबा वेधशाला ने 295 मिमी बारिश दर्ज की, जो 1918 के रिकॉर्ड से अधिक है। इसके बाद, अलर्ट को ऑरेंज अपग्रेड कर दिया गया। नगर निगम ने 24 घंटे में 58 मिमी औसत बारिश बताई।
आईएमडी के आंकड़ों में ऐतिहासिक बदलाव
आईएमडी के अनुसार, मुंबई में मानसून 12 दिन पहले पहुंचा। यह 35 वर्षों में सबसे जल्दी शुरुआत है। 1990 में मानसून 20 मई को आया था। सांताक्रूज़ वेधशाला ने इस महीने 197.8 मिमी बारिश दर्ज की। 2000 में यहां 387.8 मिमी बारिश हुई थी। विभाग ने ठाणे, रायगढ़ समेत 7 जिलों के लिए भी चेतावनी जारी की।
शहर में जलभराव के कारण यातायात प्रभावित हुआ। दादर और अंधेरी में वाहनों की गति धीमी रही। आईएमडी ने बताया कि यह मानसूनी बारिश है। रायगढ़ जिले में हुई भारी वर्षा का असर मुंबई पर पड़ा। वैज्ञानिक सुषमा नायर ने दिनभर भारी बारिश का अनुमान व्यक्त किया।
आईएमडी के रिकॉर्ड के मुताबिक, 27 जुलाई 2005 को सांताक्रूज़ में 944 मिमी बारिश हुई थी। कोलाबा में 5 जुलाई 1974 को 575 मिमी दर्ज की गई। इस साल मई में कोलाबा ने 295 मिमी के साथ नया कीर्तिमान बनाया। मौसम विभाग ने 60 किमी/घंटा की रफ्तार से हवाएं चलने की भविष्यवाणी की।
नगर निगम की स्वचालित प्रणाली के अनुसार, नरीमन पॉइंट पर 40 मिमी बारिश हुई। ग्रांट रोड पर 36 मिमी और कोलाबा में 31 मिमी दर्ज की गई। आईएमडी ने सुबह 4 बजे अतिरिक्त जिलों के लिए अलर्ट जारी किया। इनमें सिंधुदुर्ग, सतारा और नासिक भी शामिल हैं।
इसे भी पढ़ें: मुंबई-पुणे पर चक्रवात शक्ति का खतरा? IMD ने चेतावनी जारी
आईएमडी और मुंबई का मौसम इतिहास
मुंबई में मानसून की शुरुआत आमतौर पर 5 जून को होती है। इस बार यह 25 मई को आ गया। आईएमडी के विश्लेषण के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन का असर स्पष्ट दिखाई दे रहा है। 2019 में भी शहर ने अगस्त में 500 मिमी से अधिक बारिश देखी थी। विशेषज्ञों का मानना है कि शहरीकरण ने बादल फटने की घटनाएं बढ़ाई हैं।
आईएमडी की रिपोर्ट बताती है कि महाराष्ट्र में मानसून की प्रगति तेज हुई है। इसका कारण अरब सागर में बने चक्रवाती क्षेत्र हैं। 2023 में केरल में मानसून देरी से पहुंचा था। इस साल समय से पहले बारिश ने किसानों को भी चिंतित कर दिया है। खरीफ फसलों की बुवाई पर असर पड़ सकता है।
आईएमडी की भूमिका और भविष्यवाणियां
आईएमडी ने 1875 में अपनी स्थापना के बाद से मौसम पूर्वानुमान में सुधार किया है। विभाग ने 2020 में हाई-रिज़ॉल्यूशन मॉडल पेश किए। ये मॉडल शहर-स्तर पर सटीक भविष्यवाणी करते हैं। मुंबई जैसे महानगरों के लिए यह तकनीक विशेष रूप से उपयोगी है। आईएमडी के अनुसार, जून में और भारी बारिश की संभावना है।
शहर की नालियों की क्षमता प्रति घंटे 50 मिमी बारिश सहन करने की है। आईएमडी के आंकड़े बताते हैं कि यह सीमा अक्सर पार हो जाती है। 2005 की बाढ़ के बाद, बीएमसी ने जल निकासी व्यवस्था को अपग्रेड किया था। हालांकि, अत्यधिक वर्षा अभी भी शहर को ठप कर देती है। विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि हरियाली बढ़ाकर जलभराव कम किया जा सकता है।
आईएमडी के वैज्ञानिकों का कहना है कि मुंबई में समुद्री सतह का तापमान बढ़ रहा है। इससे बादलों की तीव्रता और आवृत्ति में वृद्धि हो रही है। 2017 से 2023 के बीच, शहर में 100 मिमी से अधिक वर्षा वाले दिनों की संख्या दोगुनी हुई। यह प्रवृत्ति चिंताजनक मानी जा रही है। नागरिकों को मौसम अपडेट के लिए आईएमडी की वेबसाइट चेक करने की सलाह दी जाती है।
इसे भी पढ़ें: बेंगलुरु बारिश से तबाही : जलजमाव, 5 मौतें, IMD अलर्ट
नगर प्रशासन और आईएमडी का समन्वय
बीएमसी ने आईएमडी के साथ समन्वय बढ़ाया है। स्वचालित वर्षा मापक यंत्रों की संख्या 60 तक पहुंच गई है। नगर आयुक्त ने नागरिकों से सावधानी बरतने का आग्रह किया। आपातकालीन सेवाएं 24×7 सक्रिय रखी गई हैं। 2019 के बाद से, बीएमसी ने 30 नए पंपिंग स्टेशन स्थापित किए हैं।
आईएमडी के पूर्वानुमान के अनुसार, मंगलवार तक हवाओं की गति 60 किमी/घंटा रहेगी। इससे पेड़ गिरने और बिजली कटौती की घटनाएं बढ़ सकती हैं। नगर निगम ने 1500 कर्मचारियों को तैनात किया है। शहर के 386 निचले इलाकों में जलभराव की निगरानी की जा रही है। आईएमडी की चेतावनियों को एसएमएस के जरिए नागरिकों तक पहुंचाया जा रहा है।
जलवायु परिवर्तन और आईएमडी की चुनौतियां
वैश्विक तापमान वृद्धि ने मौसम पैटर्न को अप्रत्याशित बना दिया है। आईएमडी ने 2024 में एक नया सुपरकंप्यूटर लॉन्च किया है। इसकी गणना क्षमता 10 पेटाफ्लॉप्स है। यह 1 किमी रिज़ॉल्यूशन पर पूर्वानुमान लगा सकता है। विभाग का लक्ष्य 2030 तक हर जिले के लिए सटीक चेतावनी प्रणाली विकसित करना है।
मुंबई की 60% आबादी अनौपचारिक बस्तियों में रहती है। आईएमडी के आंकड़े बताते हैं कि ये क्षेत्र बाढ़ के प्रति सबसे संवेदनशील हैं। 2022 में, शहर ने 24 घंटे में 252 मिमी बारिश झेली थी। विशेषज्ञों का मानना है कि शहर को लचीले बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है। आईएमडी की भविष्यवाणियां ऐसी योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण आधार प्रदान करती हैं।
आईएमडी की चेतावनियों ने मुंबई को तैयार रहने में मदद की है। हालांकि, जलवायु परिवर्तन के साथ, चुनौतियां बढ़ती जाएंगी। नागरिकों को मौसम अपडेट पर नज़र रखनी चाहिए। सरकारी एजेंसियों को बुनियादी ढांचे में निवेश जारी रखना होगा। केवल समन्वित प्रयासों से ही मुंबई जैसे शहर मानसून के प्रकोप को झेल पाएंगे।
Post Comment