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अंकिता भंडारी हत्याकांड चंद्रमा की स्थिति ने खोला मर्डर का राज, 3 को उम्रकैद

अंकिता भंडारी हत्याकांड

उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में फैसला आ गया है। यह फैसला 2 साल 8 महीने की लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद आया है, जो न्यायपालिका में जनता के विश्वास को मजबूत करता है। कोटद्वार की अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने अंकिता भंडारी हत्याकांड में निर्णय सुनाया है जिसके तहत मुख्य आरोपी पुलकित आर्य समेत तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा मिली है। यह घटना 18 सितंबर 2022 को हुई थी, जब अंकिता की निर्मम हत्या कर दी गई थी।

  • अंकिता भंडारी ऋषिकेश के पास वनंतरा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट थीं।
  • उनकी हत्या कर शव नहर में फेंक दिया गया था, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया।
  • लगभग दो साल आठ महीने बाद आए इस फैसले ने पीड़ित परिवार को कुछ हद तक न्याय दिलाया है।

मुख्य बिंदु (संक्षिप्त रूप):

  1. अंकिता भंडारी हत्याकांड में पुलकित आर्य समेत तीनों दोषियों को उम्रकैद की सजा।
  2. 18 सितंबर 2022 को हत्या कर शव नहर में फेंका गया था।
  3. चंद्रमा की स्थिति ने पुलकित के झूठे दावों को बेनकाब किया।
  4. वैज्ञानिक और फोरेंसिक सबूत निर्णायक साबित हुए।
  5. विशेष जांच टीम ने 500 पेज की चार्जशीट कोर्ट में पेश की।
  6. सोशल मीडिया दबाव से जांच में तेजी आई।
  7. कोर्ट का फैसला महिलाओं की सुरक्षा की दिशा में मिसाल ब

चंद्रमा की स्थिति ने खोला मर्डर का राज

अंकिता भंडारी हत्याकांड में जांच टीम को कई महत्वपूर्ण सुराग मिले। इनमें सबसे अनोखा और निर्णायक सबूत चंद्रमा की स्थिति थी। यमकेश्वर के वनंतरा रिसॉर्ट कांड में चंद्रमा ने कई बड़े राज खोले। इस खुलासे ने हत्यारे के दावों को सीधे तौर पर झूठा साबित किया।

A) पुलकित आर्या ने दावा किया था कि अंकिता की मौत दुर्घटनावश रात 9 बजे हुई थी।

B) उसने कहा था कि घटना प्राकृतिक रोशनी में देखी गई और उन्होंने बचाने की कोशिश की।

C) मौसम विज्ञान वेधशाला ने पुष्टि की कि उस क्षेत्र में रात 11 बजे के आसपास ही चांद निकला था।

यह वैज्ञानिक तथ्य पुलकित के बयान की विसंगतियों को उजागर करने में सहायक रहा। चंद्रमा की स्थिति ने इस जटिल मामले में सच्चाई को सामने लाने में निर्णायक भूमिका निभाई।

पुलकित का झूठा दावा और वैज्ञानिक प्रमाण

SIT प्रमुख पी. रेणुका देवी ने पुलकित के दावों की गहन पड़ताल की। पुलकित ने दावा किया था कि घटना के समय देखने के लिए पर्याप्त प्राकृतिक रोशनी थी। परंतु, जांच में पाया गया कि रात 9 बजे घटनास्थल पर अत्यधिक अंधेरा था। केवल मोबाइल टॉर्च की रोशनी में ही कुछ देख पाना संभव था।

I] जयपुर में CBI में DIG पी. रेणुका देवी ने इस विरोधाभास को उजागर किया।

II] बैराज से प्राप्त सीसीटीवी फुटेज भी एक महत्वपूर्ण सबूत के रूप में सामने आए।

III] एम्स ऋषिकेश के डॉक्टरों ने घटनास्थल का दौरा कर चोटों की प्रकृति का आकलन किया।

डॉक्टरों की रिपोर्ट ने पीड़िता के गिरने की ऊंचाई और चोटों को निर्धारित करने में मदद की। इन सभी वैज्ञानिक और फोरेंसिक सबूतों ने पुलकित के झूठ को पूरी तरह बेनकाब कर दिया।

SIT का गठन और त्वरित जांच

अंकिता भंडारी 18 सितंबर को वनंतरा रिसॉर्ट से अचानक लापता हो गई थी। शुरुआत में कार्रवाई धीमी रहने पर मामला सोशल मीडिया पर गरमाया। सार्वजनिक दबाव और आक्रोश के बाद पुलिस जांच तेज हुई और पुलकित आर्या पकड़ा गया। पुलकित ने अंकिता के चीला नहर में गिरने की मनगढ़ंत कहानी गढ़ी।

  • अंकिता का शव घटना के छह दिन बाद चीला नहर से बरामद किया गया।
  • उत्तराखंड सरकार ने 24 सितंबर 2022 को तुरंत एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया।
  • SIT ने पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को रिमांड पर लेकर पूछताछ की।

दोषियों को उम्रकैद: न्याय की ऐतिहासिक जीत

SIT ने अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले में जांच के बाद 500 पेज की चार्जशीट कोर्ट में जमा कराई। तमाम सबूतों और गवाहों के बयानों के आधार पर सुनवाई पूरी हुई। कोर्ट ने पुलकित आर्या और उसके दो साथियों को रिसेप्शनिस्ट की हत्या का दोषी पाया। कोटद्वार की अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

  1. पुलकित आर्य पर IPC की धारा 302 (हत्या), 201 (साक्ष्यों को गायब करना) और 354ए (यौन उत्पीड़न) के तहत आरोप थे।
  2. सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता पर IPC की धारा 302 और 201 के तहत आरोप लगाए गए।
  3. कोर्ट ने सभी आरोपियों पर लगे आरोपों को सही पाया और तदनुसार सजा दी।
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