दलाई लामा का 90वां जन्मदिन: उत्तराधिकार विवाद और चीन का दावा

दलाई लामा का 90वां जन्मदिन इस वर्ष एक विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह तिब्बती बौद्ध धर्म के सर्वोच्च आध्यात्मिक नेता के उत्तराधिकार को लेकर चीन के साथ चल रहे विवाद के बीच आया है। भारत में चीनी राजदूत जू फेइहोंग ने स्पष्ट किया है कि दलाई लामा के पास पुनर्जन्म प्रणाली पर कोई अधिकार नहीं है। यह बयान दलाई लामा की हालिया घोषणा के बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि आध्यात्मिक वंश की प्रथा उनकी मृत्यु के बाद भी जारी रहेगी और उनका पुनर्जन्म होगा।
- दलाई लामा ने उत्तराधिकार योजना की घोषणा की है।
- यह बयान तिब्बती आध्यात्मिक नेता के 90वें जन्मदिन के आसपास आया है।
चीन का पुनर्जन्म पर ऐतिहासिक दावा
भारत में चीनी राजदूत जू फेइहोंग ने शनिवार को दोहराया कि दलाई लामा को अगले तिब्बती बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक नेता के बारे में निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने सदियों पुरानी पुनर्जन्म प्रणाली की निरंतरता पर जोर दिया। जू फेइहोंग ने जीवित बुद्ध के पुनर्जन्म की 700 साल से अधिक पुरानी प्रथा का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि 14वें दलाई लामा इसी निरंतर बौद्ध आध्यात्मिक परंपरा का हिस्सा हैं। जू के अनुसार, दलाई लामाओं का पुनर्जन्म न तो उनसे शुरू हुआ और न ही उनके कारण समाप्त होगा।
- जू फेइहोंग ने एक्स पर अपनी बात रखी।
- वर्तमान में, ज़ियांग और तिब्बती-आबादी वाले प्रान्तों में 1,000 से अधिक पुनर्जन्म प्रणालियाँ हैं।
दलाई लामा का दृष्टिकोण और परंपरा
तिब्बती बौद्धों का मानना है कि दलाई लामा अपने पुनर्जन्म के लिए शरीर चुन सकते हैं। इससे 500 साल पुरानी प्रथा जारी रहने का रास्ता साफ होगा। दलाई लामा ने घोषणा की है कि उनके पुनर्जन्म को मान्यता देने का एकमात्र अधिकार उनके गैर-लाभकारी संस्थान, गादेन फोडरंग ट्रस्ट के पास है। यह एक महत्वपूर्ण मोड़ है, क्योंकि दलाई लामा का 90वां जन्मदिन इस विषय को और अधिक चर्चा में ला रहा है। उन्होंने पहले भी कहा है कि उनके उत्तराधिकारी का जन्म “स्वतंत्र दुनिया” में होगा।
- यह बयान लंबे समय से चल रही अटकलों को समाप्त करता है।
- दलाई लामा 1959 से भारत के धर्मशाला में निर्वासन में रह रहे हैं।
बीजिंग की शर्तें और उत्तराधिकार विवाद
चीन, दलाई लामा को एक अलगाववादी मानता है। उसने लगातार जोर दिया है कि केवल बीजिंग के पास ही उनके उत्तराधिकारी को मंजूरी देने का अधिकार है। चीन ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह बीजिंग की सहमति के बिना चुने गए किसी भी व्यक्ति को अस्वीकार कर देगा। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने 2 जुलाई को कहा था कि तिब्बती बौद्ध धर्म चीनी विशेषताओं वाला धर्म है। पुनर्जन्म की प्रक्रिया में पारंपरिक तरीकों का पालन करना चाहिए, जिसमें स्वर्ण कलश से लॉटरी निकालना भी शामिल है।
- चीन धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करने का दावा करता है।
- लेकिन वह तिब्बती बौद्ध नेताओं के पुनर्जन्म सहित धार्मिक प्रथाओं को नियंत्रित करता है।
भारत और वैश्विक प्रतिक्रिया
अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने इस मुद्दे पर भारत का रुख स्पष्ट किया है। उन्होंने कहा कि केवल वर्तमान दलाई लामा और पारंपरिक प्रथाएँ ही उनके उत्तराधिकारी का निर्धारण कर सकती हैं। रिजिजू ने 2 जुलाई को कहा था कि दलाई लामा बौद्धों के लिए एक परिभाषित आध्यात्मिक नेता हैं। उनके पुनर्जन्म के बारे में निर्णय परंपरा के अनुसार होना चाहिए और केवल उनके द्वारा ही किया जाना चाहिए। किसी और को यह अधिकार नहीं है। दलाई लामा का 90वां जन्मदिन इस अंतर्राष्ट्रीय बहस को और भी तीव्र कर रहा है। ऐसी चिंताएँ हैं कि चीन तिब्बत के आध्यात्मिक नेतृत्व पर अधिक नियंत्रण पाने के लिए अपना उत्तराधिकारी नियुक्त कर सकता है।
- दलाई लामा ने तिब्बत के लिए अधिक स्वायत्तता की आकांक्षाओं को बनाए रखा है।
- उन्होंने चीन के अंदर और बाहर तिब्बतियों को संगठित किया है।
पुनर्जन्म प्रणाली का भविष्य
चीनी राजदूत जू फेइहोंग ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा है कि :
- “वर्तमान में के तिब्बती-आबादी वाले क्षेत्रों में जीवित बुद्धों की 1,000 से अधिक पुनर्जन्म प्रणालियाँ हैं।”
- यह बयान चीन की ओर से तिब्बती बौद्ध धर्म की गहरी और जटिल संरचना की समझ को दर्शाता है।
- नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाई लामा ने भी स्पष्ट किया है कि उनके उत्तराधिकारी को पिछली बौद्ध परंपराओं के अनुसार ही खोजा और मान्यता दी जानी चाहिए।
- उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इस खोज का नेतृत्व उनका अपना कार्यालय करेगा।
- दलाई लामा के उत्तराधिकार के मुद्दे पर चीन का कड़ा रुख अभी भी बरकरार है।
- यह देखना दिलचस्प होगा कि सदियों पुरानी यह महत्वपूर्ण परंपरा भविष्य में क्या नया मोड़ लेती है
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