नई दिल्ली, 24 मार्च (भाषा): हाइब्रिड वर्क कल्चर और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के इस दौर में भी “वर्क-लाइफ बैलेंस” भारतीय कॉर्पोरेट सेक्टर की सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। जीनियस कंसल्टेंट्स के ताजा सर्वे के अनुसार, 52% कर्मचारी काम और निजी जीवन के बीच तालमेल बिठाने में नाकाम हैं, जबकि केवल 36% ही अपनी वर्तमान स्थिति से संतुष्ट हैं। यह सर्वे 2,763 कर्मचारियों पर किया गया, जिसमें IT, हेल्थकेयर, मैन्युफैक्चरिंग और रिटेल जैसे सेक्टर्स शामिल हैं।
क्यों बढ़ रहा है असंतोष?
- लचीले काम के घंटों की कमी: 40% कर्मचारियों का मानना है कि कंपनियां वर्क फ्रॉम होम (WFH) या फ्लेक्सिबल शेड्यूल जैसी सुविधाएं अपनाने में कोताही बरत रही हैं।
- तनाव का निजी जीवन पर असर: 79% ने स्वीकारा कि काम का प्रेशर उनके रिश्तों, स्वास्थ्य और परिवारिक जिम्मेदारियों को प्रभावित कर रहा है।
- असंतुलित वेतन संरचना: 68% कर्मचारी मानते हैं कि उनकी सैलरी उनके योगदान के अनुरूप नहीं है, जिससे नौकरी से जुड़ाव कम हो रहा है।
ट्रेंडिंग सॉल्यूशंस: क्या चाहते हैं कर्मचारी?
- मानसिक स्वास्थ्य पहल: 89% उत्तरदाताओं का कहना है कि कंपनियों को माइंडफुलनेस वर्कशॉप, काउंसलिंग सत्र और स्ट्रेस मैनेजमेंट प्रोग्राम लॉन्च करने चाहिए।
- स्किल डेवलपमेंट के अवसर: 47% कर्मचारियों को लगता है कि उन्हें करियर ग्रोथ के लिए ट्रेनिंग या प्रमोशन नहीं मिल रहा।
- रिवार्ड सिस्टम में सुधार: ESOPs (एम्प्लॉई स्टॉक ओनरशिप), परफॉर्मेंस बोनस और नॉन-मॉनेटरी बेनिफिट्स जैसे ट्रेंड्स को अपनाने से संतुष्टि बढ़ सकती है।
ग्लोबल ट्रेंड्स vs भारत: कहां है गैप?
विश्व आर्थिक मंच (WEF) की 2023 रिपोर्ट के मुताबिक, स्वीडन, डेनमार्क और नीदरलैंड जैसे देश “4-डे वर्क वीक” और “अनलिमिटेड पेड लीव” जैसी नीतियों से कर्मचारी उत्पादकता बढ़ा रहे हैं। वहीं, भारत में अभी भी 60% कंपनियां ऐसी कोई पहल नहीं कर रही। हालांकि, TCS, Infosys और HUL जैसी कंपनियों ने हाइब्रिड मॉडल और मेंटल हेल्थ हेल्पलाइन शुरू कर प्रगतिशील कदम उठाए हैं।
एक्सपर्ट व्यू: कॉर्पोरेट्स के लिए चेतावनी
जीनियस कंसल्टेंट्स के चेयरमैन आर.पी. यादव कहते हैं, “ग्रेट रिजिग्नेशन और क्वायट क्विटिंग के इस दौर में कंपनियों को कर्मचारी कल्याण को CSR नहीं, बल्कि बिजनेस स्ट्रैटेजी का हिस्सा बनाना होगा।” उनके मुताबिक, एम्प्लॉई एंगेजमेंट बढ़ाने के लिए नियोक्ताओं को डेटा–ड्रिवन पॉलिसीज (जैसे एआई-बेस्ड वर्कलोड मैनेजमेंट) और Diversity & Inclusion पर फोकस करना चाहिए।
क्या कहता है आंकड़ों का भविष्य?
2025 तक भारत में फ्लेक्सी-वर्क कल्चर अपनाने वाली कंपनियों की संख्या 40% बढ़ने का अनुमान है (स्रोत: गार्टनर)। साथ ही, “Employee Well-being” गूगल सर्च में 2023 में 300% उछाल आया है, जो इसके प्रति जागरूकता को दर्शाता है।
निष्कर्ष: बदलाव की जरूरत
कर्मचारी अब सैलरी से ज्यादा Work-Life Harmony चाहते हैं। कंपनियों को चाहिए कि वे डिजिटल डिटॉक्स डेज, चाइल्डकेयर सपोर्ट और लर्निंग अवसरों जैसी पॉलिसीज लागू करें। जैसा कि सर्वे इशारा करता है – “खुश कर्मचारी ही स्थायी बिजनेस ग्रोथ की नींव हैं।”
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