Loading Now

जाति जनगणना पर सचिन पायलट ने सरकार की मंशा पर उठाए गंभीर सवाल

जाति जनगणना पर सचिन

सचिन पायलट ने जाति जनगणना में देरी के लिए भाजपा को घेरा कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट ने जाति जनगणना पर सरकार के इरादों पर गहरा संदेह व्यक्त किया है। उन्होंने साफ कहा कि केंद्र सरकार का उद्देश्य केवल ‘कथा का प्रबंधन’ करना है। उनका कहना है कि सरकार का लक्ष्य सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को दूर करना नहीं है। कांग्रेस का आरोप है कि केंद्र इस महत्वपूर्ण अभ्यास में जानबूझकर देरी कर रहा है। इसका एकमात्र लक्ष्य “समय खरीदना और सुर्खियां बटोरना” है।

  • पायलट ने जोर देकर कहा, जाति जनगणना का असली मकसद केवल व्यक्ति की जाति का डेटा इकट्ठा करना नहीं है।
  • इसका उद्देश्य परिवारों की जीवन स्थितियों को समझना और उनकी आजीविका में सुधार के लिए नीतियां बनाना है।
  • बिना सटीक डेटा के, कोई भी सरकार लक्षित हस्तक्षेप लागू नहीं कर सकती है।

भाजपा का बदलता रुख और कांग्रेस के आरोप

कांग्रेस ने मोदी सरकार पर जाति जनगणना को लेकर अपनी मंशा बदलने का आरोप लगाया है। पायलट ने याद दिलाया कि पहले भाजपा ने इस मांग को “शहरी नक्सली” करार दिया था। प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में भी इसका समर्थन करने वालों की आलोचना की थी।

  • लगातार सार्वजनिक और राजनीतिक दबाव के बाद ही सरकार ने इसे सैद्धांतिक रूप से स्वीकार किया।
  • यह स्वीकारोक्ति, हालांकि, पारदर्शिता के अभाव के कारण अधूरी प्रतीत होती है।
  • कांग्रेस ने सरकार से इस अभ्यास के बारे में स्पष्ट और पारदर्शी होने का आग्रह किया है।

मुख्य बिंदु :

  1. सचिन पायलट ने जाति जनगणना में देरी के लिए भाजपा की मंशा पर सवाल उठाए।
  2. उन्होंने कहा, सरकार का उद्देश्य सामाजिक असमानता हटाना नहीं, केवल कथा बनाना है।
  3. कांग्रेस ने केंद्र पर जानबूझकर जाति जनगणना को लंबित रखने का आरोप लगाया।
  4. पायलट ने कहा, बिना सटीक डेटा के सरकार कोई भी नीति प्रभावी नहीं बना सकती।
  5. जाति सर्वेक्षण के लिए बजट आवंटन बेहद कम, मात्र 574 करोड़ ही जारी हुए।
  6. तेलंगाना मॉडल को जातिगत सर्वेक्षण के लिए पारदर्शी और व्यावसायिक बताया गया।
  7. गृह मंत्रालय की अधिसूचना में जाति गणना का स्पष्ट उल्लेख न होने पर सवाल उठे।

बजट आवंटन और संभावित देरी पर चिंता

सचिन पायलट ने जाति जनगणना के लिए आवंटित बजट पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने बताया कि जनगणना के लिए लगभग 10,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता है।

  • सरकार ने इसके लिए मात्र 574 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
  • पायलट ने इसे सरकार की नीयत का स्पष्ट संकेत बताया।
  • यह न्यूनतम आवंटन जानबूझकर देरी या प्रतिबद्धता की कमी को दर्शाता है।

सरकार की ओर से जनगणना 2027 में शुरू करने की योजना बताई जा रही है। पायलट ने इस देरी को महिला आरक्षण विधेयक के मुद्दे से जोड़ा। उन्होंने कहा कि जिस तरह महिला आरक्षण में देरी की गई, वैसे ही इसमें भी देरी हो रही है।

तेलंगाना मॉडल: एक प्रभावी समाधान

जाति जनगणना पर सचिन पायलट ने प्रभावी निष्पादन के लिए तेलंगाना मॉडल को अपनाने की वकालत की। उन्होंने बताया कि तेलंगाना में कांग्रेस सरकार ने जाति सर्वेक्षण का काम बहुत अच्छे तरीके से किया है।

  • वहां सरकारी अधिकारियों के बजाय एनजीओ और तकनीकी विशेषज्ञों को शामिल किया गया।
  • यह एक पेशेवर और पारदर्शी दृष्टिकोण है।
  • इस डेटा का उपयोग सामाजिक न्याय के लिए किया जाता है, न कि विभाजन के लिए।

पायलट ने कहा कि जाति जनगणना पहला कदम है जिससे लोगों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति का पता चलेगा। इसका उद्देश्य यह भी जानना है कि लोग सरकारी योजनाओं का लाभ उठा पा रहे हैं या नहीं। इससे देश और संस्थाओं में लोगों की भागीदारी का भी आकलन होगा। जाति जनगणना पर सचिन पायलट ने भाजपा पर इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया। उन्होंने सरकार से प्रभावी ढंग से काम करने का आग्रह किया।

गृह मंत्रालय की अधिसूचना पर कांग्रेस के सवाल

कांग्रेस ने सोमवार को भारत की 16वीं जनगणना के लिए जारी अधिसूचना को “बेकार की बात” करार दिया था। उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार को न केवल जाति गणना के लिए बल्कि जातिवार सामाजिक-आर्थिक मापदंडों पर विस्तृत डेटा लाने के लिए भी तेलंगाना मॉडल अपनाना चाहिए।

  • विपक्षी दल ने यह भी कहा कि अधिसूचना में जाति को शामिल करने के बारे में “खामोश” है।
  • उन्होंने पूछा कि क्या यह सरकार का एक और “यू-टर्न” है।
  • हालांकि, गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने इन दावों को भ्रामक बताया है।

प्रवक्ता ने कहा कि 30 अप्रैल, 4 जून और 15 जून 2025 की प्रेस विज्ञप्तियों में पहले ही स्पष्ट किया गया था कि जनगणना में जाति गणना भी होगी। जाति जनगणना पर सचिन पायलट ने सरकार से इस संबंध में और अधिक स्पष्टीकरण की मांग की है।

Spread the love

Post Comment

You May Have Missed