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पाकिस्तान संघर्ष विराम उल्लंघन पीएम मोदी की रणनीतिक समीक्षा

पाकिस्तान संघर्ष विराम उल्लंघन बैठक

पाकिस्तान संघर्ष विराम उल्लंघन बैठक पर पीएम की सख्त चेतावनी

पाकिस्तान संघर्ष विराम उल्लंघन के ठीक बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना प्रमुखों संग उच्च स्तरीय बैठक की। यह बैठक उस समय हुई जब भारत ने पाकिस्तान पर संघर्ष विराम समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाया। बैठक पीएम आवास 7, लोक कल्याण मार्ग पर रविवार को हुई, जिसमें रक्षा और कूटनीति के शीर्ष अधिकारी मौजूद रहे। भारत ने स्पष्ट किया कि सीमाओं पर किसी भी उकसावे का जवाब तुरंत और निर्णायक तरीके से दिया जाएगा। राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे भारत की “रणनीतिक दृढ़ता” की मिसाल बताया है।

सेना प्रमुखों, NSA और CDS की मौजूदगी में गहन समीक्षा :

इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर प्रमुख रूप से मौजूद थे। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान भी बैठक में शामिल हुए। थल, जल और वायु सेना प्रमुखों ने सीमाओं की स्थिति और रणनीति पर विस्तृत जानकारी दी। बैठक में सुरक्षा हालात, इंटेलिजेंस इनपुट और पाकिस्तान की गतिविधियों पर चर्चा की गई। सभी अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।

मुख्य बिंदु:

क) भारत की रणनीतिक तैयारी

ख) सीमाओं पर सुरक्षा बल पूरी तरह अलर्ट

ग) ड्रोन, मिसाइल गतिविधियों पर प्रतिबंध

घ) ब्लैकआउट क्षेत्रों की संख्या में वृद्धि

च) सिंधु जल संधि और व्यापारिक निर्णय यथावत

छ) पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बेनकाब करने की रणनीति

पाकिस्तान की दोहरी नीति और अमेरिका की भूमिका :

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को संघर्षविराम की घोषणा की थी। इसके बाद भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भी औपचारिक पुष्टि दी। हालांकि पाकिस्तान ने अगले ही दिन उल्लंघन कर एक बार फिर भरोसे को तोड़ा। भारत ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी। ड्रोन गतिविधियों पर सख्ती से रोक लगाई गई और सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ाई गई।

कूटनीतिक सख्ती और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया :

  • भारत ने पाकिस्तान से साफ कहा कि समझौते का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
  • विदेश मंत्री जयशंकर ने दोहराया कि भारत आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ सख्त है।
  • विदेश सचिव मिस्री ने प्रेस वार्ता में पाकिस्तान को चेताया कि स्थिति की गंभीरता समझे।
  • पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ईमानदार क्रियान्वयन की बात तो की, पर व्यवहार कुछ और दर्शाया।
  • भारत ने स्पष्ट किया कि राजनयिक और सैन्य दबाव दोनों स्तरों पर जारी रहेंगे।

पाकिस्तान पर दबाव की रणनीति जारी रहेगी :

हालांकि संघर्ष विराम की घोषणा हो चुकी है, लेकिन भारत की रणनीति में कोई नरमी नहीं आएगी। इसके पीछे प्रमुख कारण पाकिस्तान की दोहरी नीति और आतंकी नेटवर्क से उसके संबंध हैं। उल्लेखनीय है कि पहलगाम हमले में शामिल आतंकी संगठन TRF पर पहले भी कार्रवाई हुई है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में भारत ने पाकिस्तान की भूमिका को लेकर दस्तावेज़ प्रस्तुत किए थे। इसी संदर्भ में भारत ने G20 बैठकों के दौरान भी पाकिस्तान को अलग-थलग किया था। फिर भी पाकिस्तान ने संघर्षविराम के तुरंत बाद ड्रोन और रॉकेट लॉन्च किए। इससे स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान केवल अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण ही पीछे हटता है। इसीलिए, भारत अब नीतिगत तौर पर कड़े कदम उठाने की दिशा में अग्रसर है। सुरक्षा परिषद, FATF और BRICS में भारत की भूमिका अब और निर्णायक बन सकती है।

राजनयिक, सामरिक और जल नीति से जवाब :

इसी क्रम में, भारत ने सिंधु जल संधि को आंशिक रूप से निलंबित कर ठोस संदेश दिया है। यह कदम न केवल कानूनी रूप से उचित है, बल्कि सामरिक दृष्टिकोण से भी कारगर माना जा रहा है। भारत अब पाकिस्तान को मिलने वाले जल प्रवाह को तकनीकी रूप से सीमित कर सकता है। वहीं, अटारी सीमा चौकी का बंद रहना आर्थिक और कूटनीतिक रूप से असर डालता है। इससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संचार लगभग ठप हो चुका है | राजनयिक स्तर पर, भारत ने इस्लामाबाद में मौजूद अपने स्टाफ की संख्या घटा दी है। इसी के साथ, भारतीय उच्चायोग में पाकिस्तानी कर्मियों की उपस्थिति भी सीमित की गई है। इसके साथ ही, पाकिस्तान के नागरिकों को वीजा देना भी फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। इस प्रकार, भारत सभी मोर्चों पर पाकिस्तान को जवाब दे रहा है—बिना कोई युद्ध किए।

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