तमिलनाडु ADGP जयराम निलंबित अपहरण मामले में बड़ा खुलासा

तमिलनाडु ADGP जयराम निलंबित होने से राज्य में हलचल मच गई है। यह कार्रवाई मद्रास उच्च न्यायालय के कड़े निर्देश के बाद हुई है। उन पर तिरुवल्लूर जिले के कलंबक्कम में एक 18 वर्षीय नाबालिग लड़के के अपहरण में कथित संलिप्तता का आरोप है।
- इस घटना से राज्य की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
- यह मामला एक स्थानीय युवक (23 वर्षीय) और थेनी की एक महिला (21 वर्षीय) के बीच पंजीकृत अंतर-जिला प्रेम विवाह से उपजा है।
- महिला के परिवार ने इस विवाह का कड़ा विरोध किया था, जिससे यह विवाद शुरू हुआ।
मुख्य बिंदु :
- प्रेम विवाह से उपजा विवाद, थेनी की युवती और तिरुवल्लूर के युवक के विवाह से मामला भड़का।
- 18 वर्षीय भाई का अपहरण, परिवार ने प्रतिशोध में युवक के नाबालिग भाई को अगवा कराया।
- ADGP जयराम पर गंभीर आरोप, पीड़ित को उनके आधिकारिक वाहन में छोड़े जाने से संलिप्तता का संदेह।
- मद्रास उच्च न्यायालय की सख्ती, न्यायालय ने गिरफ्तारी का निर्देश देते हुए कहा- अधिकारी जनता के प्रति जवाबदेह।
- विधायक पूवई जगनमूर्ति भी आरोपी, अपहरण साजिश में राजनीतिक प्रभाव के दुरुपयोग का आरोप।
- CCTV फुटेज और गवाहों से पुष्टि, अभियोजन ने जयराम और विधायक की भूमिका को लेकर सबूत पेश किए।
- निलंबन के बाद सुप्रीम कोर्ट अपील, जयराम ने मद्रास HC के आदेश को चुनौती देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया।
प्रेम प्रसंग से उपजा विवाद और अपहरण
यह पूरा प्रकरण एक प्रेम प्रसंग के कारण शुरू हुआ था। युवक और महिला के विवाह के बाद महिला के परिवार ने कथित तौर पर प्रतिशोध में कार्रवाई की। कथित तौर पर, प्रतिशोध में, लड़के के छोटे भाई को किराए के लोगों की मदद से अगवा कर लिया गया।
- लक्ष्मी नामक महिला ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उसके बड़े बेटे ने परिवार की सहमति के बिना शादी कर ली थी।
- चूंकि बड़ा बेटा और उसकी पत्नी छिप गए थे, बदमाशों ने उसके 18 वर्षीय छोटे बेटे का अपहरण कर लिया।
- लक्ष्मी ने यह भी आरोप लगाया कि उसके बेटे को बाद में एक होटल के पास घायल अवस्था में छोड़ दिया गया।
ADGP की संलिप्तता और न्यायालय की कड़ी टिप्पणियाँ
जांच में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ था। आरोप है कि छोटे लड़के को ADGP जयराम के आधिकारिक वाहन में छोड़ा गया था, जिससे पुलिस की संलिप्तता को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा हो गईं। पुलिस ने आगे दावा किया कि अपहरण से एक मौद्रिक लेनदेन जुड़ा था और जयराम भी इसमें शामिल थे।
- मद्रास उच्च न्यायालय ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया और तत्काल कार्रवाई का निर्देश दिया।
- मुख्य न्यायाधीश एसवी गंगापुरवाला ने मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति पी वेलमुरुगन को सौंपी, जिन्होंने आपातकालीन सुनवाई की अनुमति दी।
- न्यायमूर्ति वेलमुरुगन ने जयराम की गिरफ्तारी के लिए आगे बढ़ने का निर्देश दिया, यह कहते हुए कि एक सरकारी कर्मचारी होने के नाते जयराम जनता के प्रति जवाबदेह हैं।
विधायक की भूमिका और न्यायिक आदेश
इस मामले में पुरात्ची भारतम पार्टी के अध्यक्ष और केवी कुप्पम के विधायक पूवई जगनमूर्ति भी शामिल हैं। एक शिकायत में जगनमूर्ति पर राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल करके अपहरण की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। महिला के पिता सहित पाँच लोगों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।
- पुलिस ने कथित तौर पर 15 जून, 2025 को राजनेता को उनके आवास से गिरफ्तार करने का प्रयास किया, लेकिन मूर्ति के आवास पर लगभग 2,000 पुरात्ची भारतम पार्टी के कार्यकर्ताओं के एकत्र होने के बाद ऐसा नहीं हो सका, और विधायक कथित तौर पर हंगामे के बीच भाग गए।
- उच्च न्यायालय को बताया गया कि विधायक फरार हैं और कानून के शिकंजे से बचने की कोशिश कर रहे हैं; इसके बाद एकल पीठ ने विधायक मूर्ति और एडीजीपी जयराम को दोपहर में व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित रहने का निर्देश दिया।
- राजनेता की व्यक्तिगत उपस्थिति के बाद उच्च न्यायालय ने उनकी गिरफ्तारी का आदेश देने से परहेज किया और इसके बजाय उन्हें जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया।
अदालत की फटकार और अभियोजन पक्ष के सबूत
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति वेलमुरुगन ने जगनमूर्ति की तीखी आलोचना की। उन्होंने जगनमूर्ति से उनकी चुनावी जीत के अंतर के बारे में पूछा और उन्हें याद दिलाया कि निर्वाचित प्रतिनिधियों का काम लोगों की सेवा करना होता है, न कि अवैध “कट्टापंचायत” (सतर्क न्याय) करना। न्यायाधीश ने कहा, “चुने जाने से आपको कानून तोड़ने का लाइसेंस नहीं मिल जाता।”
- बचाव पक्ष ने किराए के गुंडों के इस्तेमाल से इनकार किया और तर्क दिया कि विभागीय प्रतिद्वंद्विता के कारण जयराम को गलत तरीके से फंसाया जा रहा है।
- हालांकि, अभियोजन पक्ष ने इस बात का विरोध किया कि जयराम ने जगनमूर्ति से सीधे संपर्क किया था और वकील सरथ कुमार तथा पूर्व पुलिस अधिकारी महेश्वरी की गवाही में उसका नाम लिया गया था।
- अभियोजन पक्ष ने सीसीटीवी फुटेज और गवाहों के बयानों सहित सबूत पेश किए, जिसमें बताया गया कि अपहृत लड़के को एक होटल में ले जाया गया था और जगनमूर्ति तथा जयराम दोनों को इसमें शामिल किया गया।
जयराम की गिरफ्तारी और आगामी कार्यवाही
मद्रास उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद सोमवार, 16 जून, 2025 को जयराम को हिरासत में ले लिया गया। वह कथित तौर पर कानूनी मदद लेने के लिए उच्च न्यायालय परिसर से बाहर निकले थे। पुलिस उन्हें तुरंत पूछताछ के लिए तिरुवलंगडु पुलिस स्टेशन ले गई।
- सूत्रों के अनुसार, जांच अधिकारी ने जयराम से करीब छह घंटे तक पूछताछ की।
- उनका औपचारिक बयान दर्ज किया गया, जिसके बाद उन्हें थिरुथानी में पुलिस उपाधीक्षक के कार्यालय ले जाया गया, जहाँ उन्हें न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाएगा।
- तमिलनाडु ADGP जयराम निलंबित होने के बाद, उन्होंने मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
सर्वोच्च न्यायालय में अपील और राजनीतिक प्रतिक्रिया
सर्वोच्च न्यायालय ने मामले को आज, मंगलवार, 17 जून, 2025 को सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई। तमिलनाडु गृह सचिव ने आज, मंगलवार, 17 जून, 2025 को अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) एचएम जयराम को निलंबित करने के आदेश जारी किए हैं। रिपोर्टों से पता चलता है कि उन्हें उस स्थिति में कर्तव्यों से मुक्त किया गया है, जब तिरुवल्लूर जिले में पुलिस अधीक्षक (एसपी) कार्यालय में जांच की जानी थी।
- इस घटनाक्रम ने राजनीतिक और प्रशासनिक तूफान खड़ा कर दिया है।
- विपक्षी दलों ने शीर्ष अधिकारियों और निर्वाचित प्रतिनिधियों की संलिप्तता की पारदर्शी और निष्पक्ष जांच की मांग की है।
- न्यायालय ने कहा कि एक लोक सेवक होने के नाते जयराम जनता के प्रति जवाबदेह हैं
- जनता को यह सख्त संदेश जाना चाहिए कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।
पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता
न्यायाधीश ने इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने या न्यायपालिका को डराने-धमकाने के प्रयासों की निंदा की। उन्होंने घोषणा की “भले ही एक लाख लोग अदालत में खड़े हों, अगर कोई गलत काम हुआ है, तो कार्रवाई की जाएगी।” अदालत ने दृढ़ता से कहा कि सत्ता का दुरुपयोग करने वाले और जनता के विश्वास को तोड़ने वाले लोक सेवकों को परिणाम भुगतने होंगे।
- जगनमूर्ति की अग्रिम जमानत पर निर्णय सहित अगली सुनवाई 26 जून, 2025 को निर्धारित की गई है।
- पुलिस को उससे पहले एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
- तमिलनाडु ADGP जयराम निलंबित होने से यह संदेश गया है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।
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