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बयानबाज़ी से गहराता थरूर और कांग्रेस विवाद: आखिर क्या है पूरी कहानी?

थरूर और कांग्रेस विवाद

थरूर और कांग्रेस विवाद सुर्खियों में है। हाल ही में कांग्रेस सांसद शशि थरूर के एक बयान ने उनकी अपनी पार्टी के भीतर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। यह थरूर और कांग्रेस विवाद अब इतना बढ़ गया है कि थरूर को अपने आलोचकों को तीखा जवाब देना पड़ा है। इस पूरे प्रकरण में कई सवाल उठ रहे हैं: आखिर थरूर ने ऐसा क्या कहा, कांग्रेस क्यों इतनी नाराज़ हुई, और यह सब पार्टी के भीतर उनकी स्थिति को कैसे प्रभावित करेगा?

मुख्य बिंदु संक्षेप में:

  • शशि थरूर ने मोदी सरकार के तहत पहली सर्जिकल स्ट्राइक का दावा किया।
  • कांग्रेस ने थरूर के दावे पर पलटवार किया, यूपीए काल की स्ट्राइक का जिक्र किया।
  • थरूर ने अपने बयान पर स्पष्टीकरण दिया, आतंकवादी हमलों पर जोर दिया।
  • कांग्रेस ने थरूर की सफाई को खारिज किया, उन्हें भाजपा का “सुपर प्रवक्ता” कहा।
  • यह घटना राष्ट्रीय सुरक्षा पर राजनीतिक दलों की असहमति को दर्शाती है।

थरूर का विवादास्पद बयान: शुरुआत कहाँ से हुई?

पूरे विवाद की शुरुआत पनामा सिटी में शशि थरूर के एक बयान से हुई, जहाँ वे भारत के बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे थे। उन्होंने वहाँ टिप्पणी की, “हाल के वर्षों में जो बदलाव आया है, वह यह है कि आतंकवादियों को भी एहसास हो गया है कि उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी। पहली बार भारत ने उरी हमले के बाद एक आतंकी अड्डे, एक लॉन्च पैड पर सर्जिकल स्ट्राइक करने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा का उल्लंघन किया।” यह बयान नरेंद्र मोदी सरकार के तहत 2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक के संदर्भ में दिया गया था।

  • थरूर ने उरी हमले के बाद की सर्जिकल स्ट्राइक को ‘पहली बार’ बताया।
  • यह बयान उन्होंने पनामा सिटी में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए दिया था।
  • उनकी टिप्पणी ने 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक के महत्व पर प्रकाश डाला।

बयान पर थरूर की सफाई

बाद में, जब विवाद बढ़ा, तो थरूर ने अपनी टिप्पणी को स्पष्ट करते हुए कहा कि वह “स्पष्ट रूप से और स्पष्ट रूप से” केवल आतंकवादी हमलों के प्रतिशोध की बात कर रहे थे, न कि पिछले युद्धों की। उन्होंने तर्क दिया कि उनकी टिप्पणी से पहले हाल के वर्षों में हुए कई हमलों का संदर्भ दिया गया था, जिसके दौरान पिछले भारतीय जवाब “एलओसी और आईबी के प्रति हमारे जिम्मेदाराना सम्मान के कारण संयमित और विवश” थे। उनका यह समझाने का प्रयास था कि मोदी सरकार में जो हुआ, वह आतंकवादी हमले के जवाब में सीमा पार जाकर की गई पहली ‘असंयमित’ कार्रवाई थी, जबकि पहले की प्रतिक्रियाएं अधिक ‘संयमित’ थीं।

  • थरूर ने अपने बयान को आतंकवादी हमलों के प्रतिशोध तक सीमित रखने की बात कही।
  • उनका तर्क था कि अतीत में भारतीय प्रतिक्रियाएँ अधिक संयमित और सीमित थीं।
  • उन्होंने अपनी टिप्पणी को पिछली सैन्य कार्रवाइयों से अलग बताया।

कांग्रेस का तेज़-तर्रार पलटवार: क्या था पार्टी का रुख?

शशि थरूर का बयान जैसे ही मीडिया में आया, कांग्रेस पार्टी में तुरंत हलचल मच गई और उन्होंने बिना समय गंवाए इस पर प्रतिक्रिया दी। पार्टी ने अपनी गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए दावा किया कि यूपीए सरकार के दौरान भी ऐसी छह सर्जिकल स्ट्राइक की गई थीं, लेकिन उन्हें कभी राजनीतिक लाभ के लिए प्रचारित नहीं किया गया। कांग्रेस ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि सैन्य अभियानों का राजनीतिकरण करना देशहित में नहीं है।

  • कांग्रेस ने यूपीए काल में हुई 6 सर्जिकल स्ट्राइक का दावा किया, जिनका कभी प्रचार नहीं हुआ।
  • पार्टी ने सैन्य अभियानों के राजनीतिकरण का विरोध किया।
  • यह दिखाता है कि कांग्रेस राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर गोपनीयता बनाए रखने की पक्षधर है।

प्रमुख कांग्रेसी नेताओं की प्रतिक्रिया

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का एक पुराना इंटरव्यू साझा किया, जिसमें सिंह ने खुद कहा था कि यूपीए सरकार ने भी सर्जिकल स्ट्राइक की थीं। खेड़ा ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह यूपीए सरकार के दौरान कई सर्जिकल स्ट्राइक की गईं @शशि थरूर।” कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं, जिनमें राज्यसभा सांसद जयराम रमेश भी शामिल थे, ने इस पोस्ट को आगे बढ़ाया। खेड़ा ने तो 1965 के युद्ध की एक तस्वीर भी पोस्ट की, जिसमें लाहौर के बुर्की में एक पाकिस्तानी पुलिस स्टेशन के बाहर भारतीय सेना के 4 सिख रेजिमेंट के अधिकारी खड़े दिख रहे हैं, यह दिखाते हुए कि भारत ने पहले भी सीमा पार सैन्य कार्रवाई की है।

सबसे तीखा हमला कांग्रेस नेता उदित राज की तरफ से आया, जिन्होंने थरूर पर सीधे निशाना साधते हुए उन्हें “बेईमान” करार दिया और उन पर पार्टी के “स्वर्णिम इतिहास” को बदनाम करने का आरोप लगाया। उदित राज ने यहाँ तक कह दिया, “मैं प्रधानमंत्री मोदी से कह सकता हूं कि वह आपको भाजपा का सुपर प्रवक्ता घोषित कर दें, यहां तक ​​कि भारत आने से पहले ही विदेश मंत्री घोषित कर दें।”

  • पवन खेड़ा ने मनमोहन सिंह का बयान और 1965 के युद्ध की तस्वीरें साझा कीं।
  • उदित राज ने थरूर पर ‘बेईमान’ होने और ‘भाजपा का सुपर प्रवक्ता’ होने का आरोप लगाया।
  • जयराम रमेश ने भी खेड़ा और राज की पोस्ट्स को रीपोस्ट करके समर्थन दिया।

थरूर का ‘कट्टरपंथियों’ पर हमला और पार्टी के भीतर की दरार

अपनी ही पार्टी के इन जोरदार हमलों के बीच, शशि थरूर ने गुरुवार (29 मई, 2025) को देर रात एक तीखा जवाब दिया। उन्होंने अपनी आलोचना करने वाले ‘कट्टरपंथियों’ और ‘ट्रोल्स’ पर आरोप लगाया कि वे उनकी “कथित अज्ञानता” के बारे में व्यर्थ ही हंगामा कर रहे हैं, जबकि उनके पास “वास्तव में बेहतर काम” हैं। थरूर ने एक्स पर पोस्ट किया, “उन कट्टरपंथियों के लिए जो अतीत में नियंत्रण रेखा के पार भारतीय वीरता के बारे में मेरी कथित अज्ञानता के बारे में भड़के हुए हैं – मैं स्पष्ट रूप से और स्पष्ट रूप से केवल आतंकवादी हमलों के प्रतिशोध के बारे में बोल रहा था, न कि पिछले युद्धों के बारे में।”

  • थरूर ने आलोचकों को ‘कट्टरपंथी’ और ‘ट्रोल’ बताया।
  • उन्होंने फिर से स्पष्ट किया कि उनका फोकस सिर्फ आतंकवादी हमलों पर था।
  • थरूर ने कहा कि उनके पास इस विवाद में उलझने से ‘बेहतर काम’ हैं।

थरूर की अनूठी राह और कांग्रेस के साथ बढ़ती दूरियां

उन्होंने आगे कहा, “मेरी टिप्पणियों से पहले हाल के वर्षों में हुए कई हमलों का संदर्भ दिया गया था, जिसके दौरान पिछले भारतीय प्रतिक्रियाएं नियंत्रण रेखा और आईबी के प्रति हमारे जिम्मेदार सम्मान के कारण संयमित और विवश थीं।” थरूर ने अपने बयान को खत्म करते हुए कहा कि उनके आलोचक और ट्रोल उनके विचारों को “विकृत” करने के लिए स्वतंत्र हैं। यह घटनाक्रम कांग्रेस के साथ थरूर की बढ़ती दरार को और स्पष्ट करता है, खासकर जब उन्होंने केंद्र सरकार के ‘ऑपरेशन सिंदूर ग्लोबल आउटरीच’ के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया था, जिस पर पार्टी ने पहले ही नाराज़गी ज़ाहिर की थी। यह कोई नई बात नहीं है कि थरूर अपनी पार्टी की आधिकारिक लाइन से हटकर बयान देते हैं, जिससे पार्टी के भीतर उनकी स्थिति अक्सर असहज हो जाती है।

  • यह घटना कांग्रेस में थरूर की अनूठी स्थिति को दर्शाती है।
  • उन्होंने केंद्र सरकार के निमंत्रण को स्वीकार करके पार्टी की नाराजगी मोल ली।
  • थरूर अक्सर पार्टी लाइन से हटकर बयान देते रहे हैं, जिससे दूरियां बढ़ी हैं।

राष्ट्रीय सुरक्षा पर राजनीति का क्या असर?

यह थरूर और कांग्रेस विवाद सिर्फ एक सांसद और उनकी पार्टी के बीच का झगड़ा भर नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दे पर राजनीतिक दलों की खींचतान को भी उजागर करता है। कांग्रेस का तर्क है कि सैन्य उपलब्धियों का राजनीतिकरण करना और उन्हें चुनावी लाभ के लिए भुनाना गलत है, जबकि भाजपा का मानना है कि सर्जिकल स्ट्राइक एक निर्णायक कदम था जिसका श्रेय सरकार को मिलना चाहिए।

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