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तुर्क विरोधी जनभावना तेज़ विक्रम मिस्री ने तुर्की के रुख को बताया ‘अपेक्षित’

तुर्क विरोधी जनभावना तेज़

संसदीय समिति में हुआ खुलासा, तुर्क विरोधी जनभावना तेज़ जल्द सुधरने की उम्मीद नहीं

भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने संसदीय समिति को बताया कि हालिया संघर्ष के दौरान तुर्की का पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा होना कोई नई बात नहीं है।

  • मिस्री ने कहा, तुर्की का रुख भारत के लिए आश्चर्यजनक नहीं
  • भारत-तुर्की संबंधों में सामान्यता की कोई निकट संभावना नहीं
  • तुर्की का ऐतिहासिक रूप से भारत के प्रति झुकाव नहीं

मिस्री की यह ब्रीफिंग उस समय आई जब पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत नौ आतंकी शिविरों को निशाना बनाया।

भारत की सख्त कार्रवाई और तुर्की की आलोचना

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने तुर्की पर साधा निशाना

भारत ने 7 मई को पाकिस्तान और पीओके में आतंकियों के खिलाफ बड़ा सैन्य ऑपरेशन किया। इस दौरान तुर्की ने भारत की आलोचना की और पाकिस्तान का खुला समर्थन किया।

  • भारत ने पाकिस्तान के एयरबेस पर किए सटीक हमले
  • तुर्की ने पाकिस्तान के पक्ष में बयान दिए
  • भारत के कई सेक्टरों में तुर्की के खिलाफ आक्रोश

इस पूरे घटनाक्रम ने तुर्क विरोधी जनभावना तेज़ कर दी है, जिससे व्यापार, पर्यटन और कूटनीतिक रिश्तों पर असर पड़ा है।

पर्यटन और व्यापार पर दिखा जनभावना का असर

फ्लाइट बुकिंग्स में भारी गिरावट, तुर्की की छवि को नुकसान

भारत में आम लोगों और निजी कंपनियों ने तुर्की और अज़रबैजान के खिलाफ विरोध जताया है।

  • मेकमाईट्रिप के अनुसार तुर्की-अज़रबैजान के लिए बुकिंग में 60% गिरावट
  • रद्दीकरण दर 250% तक पहुंची
  • कॉक्स एंड किंग्स ने अस्थायी रूप से बुकिंग रोकी

पर्यटन उद्योग में यह बदलाव तुर्क विरोधी जनभावना तेज़ होने का सीधा परिणाम माना जा रहा है।

अमेरिका की भूमिका पर भारत का जवाब

ट्रंप के दावों को विदेश सचिव ने किया खारिज

विदेश सचिव ने साफ किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को हुआ संघर्ष विराम पूरी तरह से द्विपक्षीय समझौता था।

  • अमेरिका ने मध्यस्थता नहीं की
  • ट्रंप के दावे भारत की अनुमति के बिना
  • जयशंकर के बयान को गलत तरीके से न पढ़ें

यह बयान तब आया जब विपक्ष ने पूछा कि ट्रंप बार-बार कश्मीर और संघर्षविराम को लेकर बयान क्यों देते हैं।

पाकिस्तान की परमाणु नीति पर स्थिति स्पष्ट

मिस्री ने कहा, परमाणु हमले का कोई संकेत नहीं

मिस्री ने बताया कि भारत-पाक संघर्ष हमेशा पारंपरिक स्तर पर रहा है।

  • इस्लामाबाद की ओर से परमाणु हमले का कोई इशारा नहीं
  • भारतीय वायुसेना ने जवाबी कार्रवाई में एयरबेस को निशाना बनाया
  • सैन्य कार्रवाई 10 मई को डीजीएमओ स्तर पर रोकी गई

सांसदों ने पूछा कि क्या पाकिस्तान ने चीन की तकनीक का इस्तेमाल किया? मिस्री ने जवाब दिया कि इससे फर्क नहीं पड़ता, भारत ने ठोस कार्रवाई की।

विक्रम मिस्री पर ट्रोलिंग और समर्थन

संसदीय समिति ने की सराहना, ट्रोलिंग की निंदा

संसद की स्थायी समिति में सभी दलों के नेताओं ने मिस्री के बयान और निष्पक्षता की सराहना की।

  • शशि थरूर की अध्यक्षता में हुई बैठक
  • बीजेपी, कांग्रेस, टीएमसी और AIMIM के सांसद शामिल
  • ट्रोलिंग की सर्वसम्मति से निंदा, मिस्री के कार्यों की प्रशंसा

तुर्की की दोहरी नीति : दोस्ती की आड़ में दुश्मनी

2023 में जब तुर्की में भीषण भूकंप आया था, तब भारत ने ऑपरेशन दोस्त के तहत राहत सामग्री और मेडिकल टीम भेजी थी। लेकिन इसके बावजूद तुर्की ने संयुक्त राष्ट्र और ओआईसी (OIC) जैसे मंचों पर पाकिस्तान के पक्ष में बयान दिया।

  • संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर मुद्दे पर तुर्की ने भारत विरोधी प्रस्ताव का समर्थन किया।
  • ओआईसी में भारत को “मुस्लिम विरोधी” बताने के तुर्की प्रयासों को भारत ने सिरे से खारिज किया।

संसदीय समिति की बैठक के प्रमुख बिंदु

विदेश सचिव ने समिति के समक्ष कई अहम बिंदु स्पष्ट किए:

  • संघर्ष केवल पारंपरिक सीमाओं में रहा, परमाणु संकेत नहीं मिले।
  • पाकिस्तान ने पहले युद्धविराम की पहल की जब भारत ने उनके एयरबेस को निशाना बनाया।
  • अमेरिका की कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं रही – ट्रंप के दावे खारिज।
  • HQ-9 मिसाइल प्रणाली और पाकिस्तानी कमांड सेंटर्स भारत की कार्रवाई का निशाना बने।

भारत की राजनयिक प्रतिक्रिया: व्यापक वैश्विक संपर्क

भारत अब पाकिस्तान को वैश्विक मंचों पर अलग-थलग करने की रणनीति पर काम कर रहा है:

  • 33 देशों में कूटनीतिक प्रतिनिधिमंडल भेजे जाएंगे
  • आतंकवाद के समर्थन में तुर्की और पाकिस्तान की साझेदारी को उजागर किया जाएगा।
  • अफगानिस्तान से संबंध मजबूत कर भारत पश्चिम एशिया में सामरिक बढ़त बनाएगा।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: स्पष्टता और सहमति

समिति के वरिष्ठ सदस्य शशि थरूर ने कहा कि विक्रम मिस्री की ब्रीफिंग “संक्षिप्त लेकिन अत्यंत प्रभावशाली” थी।

  • थरूर बोले: “सरकार ने जिस स्पष्टता से स्थिति को प्रस्तुत किया, वह स्वागत योग्य है।”
  • पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा: “भारत किसी भी परमाणु ब्लैकमेल से नहीं डरेगा। आतंक के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी।”
  • विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने भी कहा कि तुर्की की यह स्थिति उसके इस्लामी गठजोड़ की रणनीति का हिस्सा है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: भारत-तुर्की संबंधों में दरार के कारण

भारत और तुर्की के संबंध दशकों से तनावपूर्ण रहे हैं। मुख्य वजहें:

  • कश्मीर मुद्दे पर तुर्की का लगातार हस्तक्षेप
  • ओआईसी में भारत के खिलाफ प्रस्तावों का समर्थन।
  • पाकिस्तान को ड्रोन और सैन्य उपकरण की आपूर्ति।
  • भारत में CAA और NRC जैसे आंतरिक मामलों में टिप्पणी।

वैश्विक मंचों पर भारत की बढ़ती साख

तुर्की के विरुद्ध भारत की रणनीति सिर्फ सैन्य नहीं, कूटनीतिक भी है। भारत ने:

  • संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में तुर्की की बयानबाज़ी पर कड़ा विरोध दर्ज किया।
  • यूरोपीय संघ के देशों को तुर्की-पाक गठबंधन के खतरे से अवगत कराया।
  • IORA, SCO, और G20 जैसे मंचों पर दक्षिण एशियाई सुरक्षा पर नई बहस छेड़ी।

जनता का आक्रोश: सोशल मीडिया और जन अभियान

भारत में सोशल मीडिया पर #BoycottTurkey ट्रेंड कर रहा है। कई स्वयंसेवी संगठनों और नागरिक समूहों ने तुर्की के प्रति विरोध जताया है:

  • ट्विटर पर लाखों लोग तुर्की के बहिष्कार की मांग कर चुके हैं।
  • बॉलीवुड हस्तियों से अपील की जा रही है कि वे तुर्की में शूटिंग बंद करें।
  • शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों को सलाह दी है कि तुर्की में उच्च शिक्षा विकल्पों पर पुनर्विचार करें।

भारत की रणनीतिक दृढ़ता

“तुर्क विरोधी जनभावना तेज़” आज केवल एक जन प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा, कूटनीति और वैश्विक छवि की रक्षा का प्रतीक है। विक्रम मिस्री का बयान यही दर्शाता है कि भारत अब किसी भ्रम में नहीं है।

  • तुर्की का पाकिस्तान प्रेम स्पष्ट है।
  • भारत अपनी कूटनीति और सैन्य शक्ति से जवाब दे रहा है।
  • संबंधों की सामान्य स्थिति अब केवल एक कल्पना है।
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