वक्फ बिल पारित: अमित शाह-रिजिजू का प्लान vs अल्पसंख्यकों की आशंकाएँ
लोकसभा ने 12 घंटे की तीखी बहस के बाद वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को मंजूरी दे दी। यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में डिजिटल सुधार, पारदर्शिता और निगरानी को मजबूत करने का दावा करता है, लेकिन विपक्ष इसे “अल्पसंख्यक विरोधी” बताते हुए आरोप लगा रहा है कि यह वक्फ संस्थाओं पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाने की कोशिश है।
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 की प्रमुख विशेषताएँ
डिजिटल वक्फ प्रबंधन: संपत्ति पंजीकरण, ऑडिट और कानूनी प्रक्रियाओं को ऑनलाइन करने पर जोर। इससे भ्रष्टाचार कम होने और आय के बेहतर उपयोग की उम्मीद।
कलेक्टर को नया अधिकार: जिला कलेक्टर को वक्फ भूमि के स्वामित्व की जाँच का अधिकार मिलेगा। सरकार का कहना है कि यह प्रावधान अन्य धार्मिक संस्थाओं के समान है।
गैर-मुस्लिमों की भागीदारी: वक्फ प्रशासन में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल किया जाएगा, लेकिन धार्मिक गतिविधियों में हस्तक्षेप नहीं।
महिला प्रतिनिधित्व: वक्फ बोर्डों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर फोकस।
राजनीतिक आग और बवाल: NDA vs विपक्ष
विधेयक पर किरेन रिजिजू और अमित शाह ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि यह 25 राज्यों के सुझावों और JPC रिपोर्ट पर आधारित है। विपक्षी नेता के.सी. वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि बिल को बिना पर्याप्त चर्चा के जल्दबाजी में पास किया गया। कांग्रेस का कहना है कि यह अल्पसंख्यकों को कमजोर करने की साजिश है।
शाह ने जवाब दिया: “मंदिर और गुरुद्वारे भी सरकारी नियमों का पालन करते हैं। वक्फ को अलग क्यों देखा जाए?”
विवाद की जड़: क्या है वक्फ संपत्ति?
भारत में 6 लाख से अधिक वक्फ संपत्तियाँ (जमीन, इमारतें) हैं, जिनका कुल मूल्य 1.2 लाख करोड़ रुपये से अधिक आँका गया है। ये संपत्तियाँ मुस्लिम समुदाय की धार्मिक-शैक्षणिक जरूरतों के लिए दान की जाती हैं। 1995 के बाद से वक्फ बोर्ड इन्हें मैनेज करते आए हैं, लेकिन भ्रष्टाचार और कानूनी विवाद आम रहे हैं।
विशेषज्ञों की राय: सुधार vs चिंताएँ
डिजिटलीकरण से पारदर्शिता आएगी, लेकिन कलेक्टर के अधिकार से सरकारी हस्तक्षेप बढ़ने का डर।
अशोक विश्वविद्यालय के प्रो. सलीम बेग कहते हैं: “वक्फ प्रबंधन में गैर-मुस्लिमों को शामिल करना सराहनीय है, लेकिन धार्मिक स्वायत्तता बरकरार रहनी चाहिए।”
AIMPLB (अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड) ने विधेयक को “संविधान विरोधी” बताया है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: 2013 vs 2024
2013 में वक्फ संपत्तियों को कानूनी संरक्षण देने के लिए संशोधन हुआ था। 2024 के बिल में तकनीकी अपडेट और प्रशासनिक सुधार पर फोकस है। हालाँकि, 2022 की संसदीय समिति ने चेतावनी दी थी कि “वक्फ बोर्डों की स्वतंत्रता कम न हो।”
निष्कर्ष: संतुलन की जरूरत
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 का उद्देश्य भले ही प्रबंधन को आधुनिक बनाना हो, लेकिन इस पर सामुदायिक विश्वास बनाने के लिए सरकार को हितधारकों के साथ खुली चर्चा करनी चाहिए। अगर डिजिटल पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो, तो यह बिल वक्फ संस्थाओं के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है।
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