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नेशनल हेराल्ड मनी घोटाला: गांधी परिवार पर ईडी का शिकंजा

नेशनल हेराल्ड मनी घोटाला

नई दिल्ली : नेशनल हेराल्ड मनी घोटाला गांधी परिवार के लिए मुसीबत का सबब बन सकता है। ED ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया, ईडी ने 9 अप्रैल को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की चार्जशीट में चौंकाने वाले खुलासे किये , मामले की सुनवाई अब 25 अप्रैल को होगी।

मुख्य बिंदु :

  • 988 करोड़ की संपत्ति ट्रांसफर का मामला।
  • गांधी परिवार ने यंग इंडियन कंपनी के जरिए एजेएल पर कब्जा किया।
  • कांग्रेस का 90 करोड़ कर्ज यंग इंडियन को ट्रांसफर हुआ।
  • PMLA के तहत 7 साल की सजा का प्रावधान।
  • ईडी ने 9 अप्रैल को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की।
  • मामला अब न्यायिक प्रक्रिया के अधीन है।

नेशनल हेराल्ड मनी घोटाला में ईडी की चार्जशीट :

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाल ही में दिल्ली की विशेष अदालत में नेशनल हेराल्ड मनी घोटाले में चार्जशीट दायर की।
चार्जशीट में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कई नेताओं को आरोपी बताया गया। ईडी का दावा है कि गांधी परिवार ने यंग इंडियन कंपनी के जरिए एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की संपत्ति पर अवैध कब्जा किया। इसमें 988 करोड़ रुपये की “अपराध से अर्जित संपत्ति” की पहचान की गई है। मामले की सुनवाई अब 25 अप्रैल को होगी।

यंग इंडियन के जरिए संपत्ति हड़पने का आरोप :

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी को आरोपी नंबर 1 और 2 बनाया है।एजेएल की संपत्ति को यंग इंडियन नाम की कंपनी के जरिए हड़पने का आरोप है। साल 2010 में गांधी परिवार ने ‘यंग इंडियन’ नामक गैर-लाभकारी कंपनी बनाई। इस कंपनी में सोनिया और राहुल की मिलाकर 76% हिस्सेदारी थी।
यह कंपनी गैर-लाभकारी संस्था के रूप में रजिस्टर्ड है लेकिन कोई जनकल्याण कार्य नहीं किया गया।
ईडी की जांच में मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत अपराध की पुष्टि हुई है।ईडी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी ने एजेएल को 90 करोड़ रुपये का ऋण दिया था, जो बाद में माफ कर दिया गया।
इस कर्ज के बदले यंग इंडियन ने एजेएल के 99% शेयर मात्र 50 लाख रुपये में खरीद लिए।इस प्रकार से नेशनल हेराल्ड की करोड़ों की संपत्ति यंग इंडियन को ट्रांसफर हो गई।

एजेएल क्या है?

एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की स्थापना 1937 में पंडित नेहरू ने की थी।
यह एक सार्वजनिक कंपनी थी, जिसका उद्देश्य स्वतंत्रता संग्राम की आवाज को प्रेस के माध्यम से मजबूत करना था।
नेशनल हेराल्ड, नवजीवन और कौमी आवाज जैसे अखबार इसी कंपनी से प्रकाशित होते थे।
समय के साथ एजेएल का अखबार प्रकाशन बंद हो गया, लेकिन इसके पास देशभर में करोड़ों की जमीनें और संपत्तियाँ थीं।
इन सार्वजनिक संपत्तियों को निजी नियंत्रण में लाने का आरोप गांधी परिवार पर लगाया गया है।

ऐतिहासिक संदर्भ :

  • 1937 : नेहरू ने एजेएल की स्थापना की।
  • 1950–60 के दशक : सरदार पटेल और चंद्रभानु गुप्ता जैसे नेताओं ने एजेएल के संचालन पर सवाल उठाए।
  • 2008 : एजेएल का प्रकाशन बंद, लेकिन संपत्ति बनी रही।
  • 2010 : यंग इंडियन का गठन, संपत्ति ट्रांसफर।
  • 2012 : सुब्रमण्यम स्वामी ने कोर्ट में मामला उठाया।

कानूनी जांच और सजा :

  • आरोपपत्र 9 अप्रैल को विशेष अदालत में दायर हुआ।
  • अदालत 25 अप्रैल को आरोपपत्र पर संज्ञान लेगी।
  • यदि दोष सिद्ध हुआ, तो PMLA की धारा 4 के तहत 7 साल की जेल हो सकती है।
  • एजेएल को पूर्व में सरकार ने जमीनें दी थीं जो अब निजी स्वामित्व में हैं।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं :

भाजपा :
“यह महज संपत्ति हड़पने का मामला नहीं, यह सार्वजनिक विश्वास की हत्या है।”
“गांधी परिवार ने स्वतंत्रता संग्राम की विरासत को अपनी निजी संपत्ति बना लिया।”

कांग्रेस :
“यह बदले की कार्रवाई है। मोदी सरकार विपक्ष को डराने के लिए ईडी का दुरुपयोग कर रही है।”
“हम कानून का सम्मान करते हैं लेकिन यह सियासी द्वेष है।”

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