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वक्फ अधिनियम, 2025 पर बवाल: ऐतिहासिक संपत्तियों का क्या होगा?

वक्फ अधिनियम, 2025 पर बवाल

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ अधिनियम, 2025 के तीन विवादास्पद प्रावधानों पर गंभीर चिंता जताई है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पीठ ने संकेत दिया कि “वक्फ-बाय-यूजर” की अवधारणा को खत्म करने, वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम प्रतिनिधित्व और कलेक्टर की शक्तियों पर रोक लगाने पर विचार किया जा सकता है।

क्या है ‘वक्फ-बाय-यूजर’ का मुद्दा?

वक्फ अधिनियम, 2025 के तहत, “वक्फ-बाय-यूजर” (उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ) की परिभाषा समाप्त हो गई है। यह प्रावधान उन संपत्तियों को प्रभावित करता है जो बिना पंजीकरण के दशकों से धार्मिक उपयोग में थीं। सीजेआई खन्ना ने चेतावनी दी: “इससे 4 लाख से अधिक वक्फ संपत्तियों का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।”

सुप्रीम कोर्ट की मुख्य चिंताएं:

  1. वक्फ-बाय-यूजर का दुरुपयोग: कोर्ट ने माना कि इस अवधारणा के गायब होने से ऐतिहासिक मस्जिदों और धर्मार्थ संपत्तियों का भविष्य अनिश्चित हो जाएगा।
  2. कलेक्टर की शक्तियाँ: नया कानून कलेक्टर को यह अधिकार देता है कि वह किसी संपत्ति को “सरकारी भूमि” घोषित करके उसके वक्फ होने का दर्जा रद्द कर सकता है।
  3. गैर-मुस्लिम प्रतिनिधित्व: वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की अनिवार्यता पर सवाल उठाए गए हैं।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और विवाद:

वक्फ कानून 1923 से ही पंजीकरण को अनिवार्य बनाता आया है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दावा किया कि “1923 के बाद से कोई अपंजीकृत वक्फ नहीं हो सकता।” हालाँकि, याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि 14वीं-17वीं शताब्दी में बनी मस्जिदों के पास पंजीकरण दस्तावेज नहीं हो सकते।

सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश क्या होगा?

17 अप्रैल को अगली सुनवाई में, कोर्ट यह तय करेगा कि क्या वक्फ अधिनियम, 2025 के प्रावधानों पर रोक लगाई जाए या मामला उच्च न्यायालय को भेजा जाए। न्यायमूर्ति खन्ना ने स्पष्ट किया: “हम आमतौर पर कानून पर रोक नहीं लगाते, लेकिन यह एक अपवाद हो सकता है।”

विशेषज्ञों की राय और भविष्य के प्रभाव:

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इस कानून को “200 मिलियन नागरिकों की आस्था पर हमला” बताया। वहीं, अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने “वक्फ-बाय-यूजर” को ऐतिहासिक मान्यता दी थी। विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला भारत के सांस्कृतिक विरासत और संपत्ति कानूनों को गहराई से प्रभावित करेगा।

निष्कर्ष:

वक्फ अधिनियम, 2025 का विवाद केवल कानूनी नहीं, बल्कि सामाजिक-ऐतिहासिक है। सुप्रीम कोर्ट का अगला कदम लाखों वक्फ संपत्तियों और भारत के धर्मनिरपेक्ष ढाँचे के लिए निर्णायक साबित होगा।

पाठकों से अपील: “इस मामले की नवीनतम अपडेट के लिए हमें फॉलो करते रहें!”

 

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