पनामा में भारत आवाज़ मंदिर से लेकर वैश्विक मंच तक, भारत की दहाड़

भारतीय सांसदों के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने पनामा में न सिर्फ कूटनीति की, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और सैन्य दृढ़ता की बुलंद आवाज़ भी पेश की। इस दौरान एक ऐसे क्षण ने सबका ध्यान खींचा, जब मुस्लिम सांसद सरफराज अहमद अपने हिंदू और सिख सहयोगियों के साथ मंदिर में प्रार्थना करते दिखे। कांग्रेस नेता शशि थरूर के लिए यह एक भावनात्मक दृश्य था, और यह तस्वीर अब भारत की “विविधता में एकता” की पहचान बन चुकी है।
मंदिर में गूंजी भारत की भावना
- सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने पनामा सिटी स्थित भारतीय सांस्कृतिक केंद्र में दर्शन और प्रार्थना की।
- झामुमो सांसद सरफराज अहमद मंदिर में आरती में शामिल हुए।
- शशि थरूर ने इसे “आंखें नम कर देने वाला क्षण” बताया।
थरूर ने एक्स पर साझा किया, “जब बुलाने वालों को कोई ऐतराज नहीं, तो जाने वालों को ऐतराज क्यों होगा?” यह संवाद अब सोशल मीडिया पर भाईचारे का प्रतीक बन गया है।
प्रमुख बिंदु (Bullet Recap)
- पनामा में भारतीय सांस्कृतिक केंद्र और मंदिर में सर्वदलीय प्रार्थना
- मुस्लिम सांसद सरफराज अहमद की मंदिर में भागीदारी
- ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख और आतंकवादियों को चेतावनी
- पाकिस्तान पर सीधा हमला और भारत की सीमाओं पर स्पष्टता
- थरूर के नेतृत्व में बहुधार्मिक भारतीय प्रतिनिधिमंडल की मौजूदगी
- भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया गया
पनामा में भारत आवाज़ की प्रतिध्वनि
“पनामा में भारत आवाज़” सिर्फ एक कूटनीतिक वाक्य नहीं, बल्कि भारत के वैश्विक आत्मविश्वास का प्रतीक बनकर उभरा है। थरूर ने पनामा में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए साफ कहा:
“भारत की अकेले रहने की इच्छा सीमा के उस पार मौजूद हमारे पड़ोसियों द्वारा स्वीकार नहीं की गई।”
उन्होंने पाकिस्तान पर तीखा हमला करते हुए कहा कि वह लगातार भारत पर हमले कर रहा है क्योंकि वह “उस भूमि पर अधिकार चाहता है जो उसका है ही नहीं।”
ऑपरेशन सिंदूर: आतंक के खिलाफ निर्णायक जवाब
- 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की जान गई।
- इसके जवाब में 7 मई को “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत भारत ने पाकिस्तान और PoK में आतंकी ढांचे तबाह किए।
- यह कार्रवाई जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के खिलाफ थी।
थरूर ने ऑपरेशन की पृष्ठभूमि साझा करते हुए कहा कि आतंकवादियों ने महिलाओं को विधवा बना दिया। “हमने उनकी चीखें सुनीं और सिंदूर का रंग हत्यारों के खून से मेल खा गया।”
राजनीतिक नेतृत्व और एकता का संदेश
इस प्रतिनिधिमंडल में राजनीतिक विविधता स्पष्ट थी। इसमें शामिल थे:
- लोक जनशक्ति पार्टी की शांभवी चौधरी
- झामुमो के सरफराज अहमद
- बीजेपी के तेजस्वी सूर्या, शशांक मणि त्रिपाठी
- टीडीपी के जीएम हरीश बालयागी
- शिवसेना से मल्लिकार्जुन देवड़ा और मिलिंद देवड़ा
- कांग्रेस के शशि थरूर
- पूर्व अमेरिकी राजदूत तरनजीत सिंह संधू
यह प्रतिनिधिमंडल पहले अमेरिका और गुयाना गया था, अब पनामा में है और आगे ब्राज़ील व कोलंबिया की यात्रा पर जाएगा।
पनामा मंदिर में दिखा भारत का आत्मविश्वास
इस मंदिर यात्रा का महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि राजनीतिक और कूटनीतिक भी था। जब मुस्लिम सांसद आरती में शामिल होते हैं और हिंदू सांसद उनके साथ खड़े रहते हैं, तो यह तस्वीर भारत के आत्मविश्वास और विविधता को दर्शाती है।
- यह धर्मनिरपेक्षता का जीवंत उदाहरण बना।
- प्रतिनिधिमंडल ने “वसुधैव कुटुंबकम” के भारतीय विचार को वैश्विक मंच पर रखा।
- आतंक के खिलाफ भारत की एकजुटता को दिखाया।
पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश
थरूर ने पनामा में स्पष्ट कहा कि भारत अपनी भूमि नहीं छोड़ेगा, चाहे कीमत कितनी भी चुकानी पड़े। यह वही बयान है जो कश्मीर पर भारत के पुराने रुख को दोहराता है। थरूर ने कहा:
“यह संयुक्त भारत की संप्रभु सीमाओं का हिस्सा है, और हम इसे उन्हें नहीं देने जा रहे हैं।”
यह बयान भारत की निर्णायक नीति और सैन्य तैयारी का संकेत है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भारत की छवि
पिछले कुछ वर्षों में भारत ने वैश्विक मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ एक सशक्त रुख अपनाया है। पनामा में की गई यह यात्रा भी उसी नीति का हिस्सा है।
- भारत अब रक्षात्मक नहीं, आक्रामक कूटनीति अपना रहा है।
- ऑपरेशन सिंदूर जैसे मिशन इसकी मिसाल हैं।
- संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका जैसे मंचों पर भारत की छवि सशक्त हुई है।
पनामा में भारत आवाज़: एक नई कूटनीति की शुरुआत
“पनामा में भारत आवाज़” केवल मंदिर की घंटियों और भाषणों की गूंज नहीं थी। यह उस नई भारत नीति की शुरुआत थी जो धर्मनिरपेक्षता, कूटनीति और सैन्य दृढ़ता — तीनों को एक साथ लेकर चलती है।
भारत की गूंज से
जो तस्वीरें और संदेश पनामा सेआए, वे यह बताने के लिए काफी हैं कि भारत अब केवल अंदरूनी मजबूती नहीं, वैश्विक सशक्तता का भी प्रतीक है। मंदिर की प्रार्थना, ऑपरेशन सिंदूर और थरूर के भावुक शब्द मिलकर एक गूंज बन गए — पनामा में भारत आवाज़।
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