“आधुनिक युद्ध का चेहरा ” ऑपरेशन सिंदूर से मिली भविष्य की सीख

ऑपरेशन सिंदूर ने स्पष्ट कर दिया है कि ‘आधुनिक युद्ध का चेहरा’ अब पूरी तरह से बदल चुका है।” चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने सिंगापुर के शांगरी-ला डायलॉग में ऑपरेशन सिंदूर को युद्ध नीति में निर्णायक बदलाव के रूप में प्रस्तुत किया। 7 मई को शुरू हुए इस ऑपरेशन के तहत भारत ने पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए। लेकिन यह सिर्फ एक पारंपरिक सैन्य ऑपरेशन नहीं था—बल्कि एक बहु-डोमेन युद्ध का प्रारूप था जिसमें तकनीक, सूचना और साइबर स्पेस की निर्णायक भूमिका रही।
- यह ऑपरेशन शारीरिक युद्ध से अधिक डिजिटल और सूचना संचालन पर केंद्रित था।
- पारंपरिक सैन्य कार्रवाई के बजाय एक बहु-क्षेत्रीय रणनीति अपनाई गई।
- साइबर क्षमताओं, खुफिया इनपुट और फेक न्यूज़ कंट्रोल को संगठित रूप से समन्वित किया गया।
- अब युद्ध स्थिर सैन्य मंचों पर नहीं, बल्कि लचीली रणनीतियों और त्वरित प्रतिक्रिया पर निर्भर करते हैं।
मुख्य बिंदु: ऑपरेशन सिंदूर
- बहु-डोमेन युद्ध: पारंपरिक और साइबर दोनों क्षेत्रों में कार्रवाई।
- गलत सूचना से लड़ाई: 15% संसाधन सूचना नियंत्रण में लगे।
- साइबर सुरक्षा: सैन्य प्रणालियाँ एयर-गैप्ड और सुरक्षित रहीं।
- रणनीति सुधार: दो दिन में सामरिक गलतियाँ सुधारीं।
- संयुक्त प्रशिक्षण: तीनों सेनाओं का एकीकृत स्टाफ कोर्स शुरू।
- तकनीक और नैरेटिव: युद्ध अब तकनीक और सूचना पर आधारित है।
सूचना नियंत्रण: जब नैरेटिव ही हथियार बना
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एक प्रमुख चुनौती था—गलत सूचना से निपटना। जनरल चौहान ने बताया कि ऑपरेशन के प्रयासों का 15% हिस्सा फेक न्यूज और भ्रामक नैरेटिव्स से निपटने में खर्च हुआ। भारत ने सूचना युद्ध को गंभीरता से लिया और संतुलित प्रतिक्रिया को प्राथमिकता दी।
- भारत की रणनीति तेज़ प्रतिक्रियाओं की बजाय सत्यापित तथ्यों और विश्वसनीय साक्ष्यों पर आधारित थी।
- पहले तीन दिनों तक दो महिला अधिकारी प्रवक्ता रहीं, जिससे सेना का नेतृत्व ऑपरेशन पर केंद्रित रह सका।
- इसके बाद 10 मई को डीजीएमओ मीडिया को जानकारी देने के लिए सामने आए।
- यह तय किया गया कि सार्वजनिक प्रतिक्रिया में संतुलन अधिक आवश्यक है, भले ही थोड़ी देरी हो।
इससे स्पष्ट होता है कि आधुनिक युद्ध में जीत अब केवल रणभूमि पर नहीं, सूचना के मैदान में भी हासिल की जाती है।
साइबर स्पेस में युद्ध: सुरक्षित सैन्य प्रणालियाँ और तकनीक की भूमिका
जनरल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान साइबर हमलों के प्रयासों की पुष्टि की, लेकिन बताया कि भारतीय सैन्य प्रणालियाँ इनसे अप्रभावित रहीं।
- सैन्य प्रणालियाँ एयर-गैप्ड हैं—यानि वे इंटरनेट से कटी हुई हैं और इसलिए साइबर हमलों से सुरक्षित हैं।
- स्कूल या सरकारी वेबसाइटों जैसे सार्वजनिक पोर्टल्स पर हमले संभव हैं, लेकिन इनसे सैन्य ऑपरेशन्स पर कोई असर नहीं पड़ा।
- भारत ने आकाश जैसी स्वदेशी प्रणालियों पर भरोसा करते हुए विदेशी और घरेलू रडार को एकीकृत किया।
जनरल चौहान ने कहा कि यदि आपके पास शानदार तकनीक है, लेकिन वह आपस में जुड़ी नहीं है, तो उसका प्रभाव शून्य हो जाता है। इसलिए नेटवर्किंग और रियल-टाइम इंटीग्रेशन युद्ध के इस नए युग की नींव हैं।
हवाई रणनीति से सीख: जब गलती बनी मार्गदर्शक
ऑपरेशन सिंदूर ने दर्शाया कि भारत ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष युद्ध का संयोजन करके नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया।
पाकिस्तान ने भले ही चीनी सैटेलाइट इमेजरी का इस्तेमाल किया हो, लेकिन लक्ष्य निर्धारण में कोई सक्रिय मदद नहीं मिली।
- जनरल चौहान ने पहली बार संकेत दिया कि भारत के कुछ लड़ाकू विमान इस मुठभेड़ में खोए।
- उन्होंने संख्या पर ध्यान न देने की सलाह दी और कहा:
“जेट गिरा यह मायने नहीं रखता, क्यों गिरा यह मायने रखता है।” - पाकिस्तान का दावा कि उसने छह भारतीय जेट मार गिराए, “बिल्कुल गलत” है।
भारत ने दो दिनों में अपनी गलतियों की पहचान कर, सुधार किया और फिर लंबी दूरी के सटीक हवाई हमले दोबारा शुरू किए। इससे साबित होता है कि आधुनिक युद्ध का चेहरा लचीलापन, सुधार और तेजी से सीखने की क्षमता पर निर्भर करता है।
रणनीतिक परिपक्वता: तकनीक, डेटा और लचीलापन का युग
जनरल चौहान ने ज़ोर देकर कहा कि आज के युद्ध रेखीय नहीं हैं—बल्कि हम वितरित नेटवर्क और गैर-रेखीय बल प्रयोग के युग में प्रवेश कर चुके हैं। इसमें धोखा अब आश्चर्य से अधिक प्रभावशाली रणनीति बन गया है।
- भारत अब एकीकृत और अधिक चुस्त सैन्य ढांचे की ओर बढ़ रहा है।
- नई तकनीकों जैसे ड्रोन, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर (EW), और यूटीएपी के लिए विशेष इकाइयाँ विकसित की जा रही हैं।
- पहली बार भारतीय सेना में एक संयुक्त स्टाफ कोर्स चल रहा है जिसमें तीनों सेनाओं के अधिकारी सालभर साथ प्रशिक्षण लेते हैं।
इसके साथ ही, पाकिस्तान के साथ खुले संचार चैनलों का उपयोग हुआ और परमाणु हमले की अटकलों को जनरल चौहान ने खारिज किया। उन्होंने कहा, “हमने अपनी स्पष्ट रेड लाइंस तय कर दी हैं।”
आधुनिक युद्ध का चेहरा कैसा है?
जनरल चौहान की संपूर्ण व्याख्या और ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति से यह स्पष्ट है कि आधुनिक युद्ध अब केवल हथियारों की ताकत नहीं, बल्कि:
- सूचना प्रबंधन,
- तकनीकी एकीकरण,
- संगठनात्मक लचीलापन,
- और रणनीतिक अनुकूलनशीलता का खेल बन चुका है।
पहलगाम आतंकी हमला और ऑपरेशन सिंदूर
- 22 अप्रैल : पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकियों ने हमला किया, 26 लोग मारे गए।
- 23 अप्रैल : NIA ने जांच शुरू की, पीएम मोदी और गृह मंत्री शाह ने उच्चस्तरीय बैठकें कीं।
- 24 अप्रैल : भारत ने सिंधु जल संधि निलंबित की, तनाव बढ़ा।
- 28 अप्रैल : संदिग्धों से पूछताछ और छापेमारी तेज हुई।
- 1 मई : आतंकियों ने श्रीनगर सहित अन्य जगहों की रेकी की।
- 3 मई : पर्यटक पहलगाम लौटने लगे, स्थानीय युवाओं ने आतंकवाद विरोधी रैली निकाली।
- 6-7 मई : ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमला किया।
- 10 मई : दोनों देशों ने डीजीएमओ के बीच सीधा संपर्क कर संघर्ष विराम की घोषणा की।
सीडीएस ने निष्कर्ष निकाला कि वर्तमान युद्धविराम कायम है, लेकिन इसका स्थायित्व भविष्य में पाकिस्तान की कार्रवाइयों पर निर्भर करता है। संक्षेप में, आधुनिक युद्ध का चेहरा अब केवल शारीरिक बल पर निर्भर नहीं करता, बल्कि व्यापक तकनीक, सूचना प्रबंधन, संगठनात्मक लचीलेपन और सामरिक अनुकूलन पर आधारित है।
Post Comment