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राजनयिक दल चयन अधिकार : तृणमूल ने ठुकराया केंद्र का फैसला

राजनयिक दल चयन अधिकार

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार राजनयिक दल चयन अधिकार एकतरफा नहीं तय कर सकती। उन्होंने साफ किया कि तृणमूल कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल में शामिल नहीं होगी, क्योंकि उनसे कोई परामर्श नहीं किया गया।

  • ममता बनर्जी ने साफ किया कि यह बहिष्कार नहीं है।
  • केंद्र सरकार से संपर्क होने पर वे निर्णय पर पुनर्विचार कर सकती हैं।
  • उन्होंने कहा कि पार्टी पूरी तरह सरकार के साथ खड़ी है।

दार्जिलिंग रवाना होने से पहले कोलकाता एयरपोर्ट पर उन्होंने कहा – “अगर हमें संपर्क किया जाता तो हम जरूर प्रतिनिधि भेजते।”

अभिषेक बनर्जी बोले: विपक्ष को नजरअंदाज करना गलत

तृणमूल कांग्रेस के सांसद और राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने केंद्र सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि प्रतिनिधिमंडल में कौन जाएगा, यह फैसला पार्टी खुद करेगी।

  • विपक्षी पार्टियों से चर्चा किए बिना केंद्र ने नाम तय किए।
  • भाजपा यह नहीं तय कर सकती कि तृणमूल किसे भेजेगी।
  • उन्होंने स्पष्ट किया कि पार्टी बैठक का बहिष्कार नहीं कर रही।

उन्होंने कहा – “हम राष्ट्रीय सुरक्षा पर राजनीति नहीं करते। आतंकवाद के खिलाफ हर कदम में केंद्र के साथ हैं।”

यूसुफ पठान का नामांकन बना विवाद की जड़

केंद्र सरकार ने तृणमूल सांसद और पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान को इंडोनेशिया, मलेशिया, जापान और सिंगापुर जैसे देशों में जाने वाले प्रतिनिधिमंडल के लिए चुना था। लेकिन उन्होंने मिशन में भाग नहीं लिया।

  • तृणमूल ने कहा कि पठान को बिना चर्चा नामित किया गया।
  • भाजपा ने इसे तृणमूल का पक्षपातपूर्ण रुख करार दिया।
  • अमित मालवीय ने आरोप लगाया कि तृणमूल पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ नहीं बोलना चाहती।

कांग्रेस ने भी जताई आपत्ति, फिर भी नेता भेजने को तैयार

कांग्रेस ने भी केंद्र की प्रक्रिया पर सवाल उठाए। पार्टी की सूची में जिन नेताओं के नाम भेजे गए थे, उनमें से तीन नामों को केंद्र ने नजरअंदाज कर दिया।

  • कांग्रेस की सूची: आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, नासिर हुसैन, राजा बरार।
  • केवल आनंद शर्मा को प्रतिनिधिमंडल में रखा गया।
  • केंद्र ने थरूर, अमर सिंह और मनीष तिवारी को चुना।

फिर भी कांग्रेस ने कहा – “हम राष्ट्रीय हित में नेताओं को जाने देंगे। राजनीतिकरण नहीं करेंगे।”

सर्जिकल स्ट्राइक के बाद वैश्विक कूटनीति

पहलगाम हमले के बाद भारतीय सेना द्वारा किए गए सर्जिकल स्ट्राइक ने केवल आतंकियों को ही नहीं, वैश्विक समुदाय को भी स्पष्ट संदेश दिया।

  • ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद, भारत ने कूटनीतिक मोर्चे पर भी आक्रामक रणनीति अपनाई है।
  • अमेरिका, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, कतर और यूएई जैसे देशों में भारत के प्रतिनिधिमंडल भेजे जा रहे हैं।
  • इन दौरों का मकसद आतंकवाद पर वैश्विक समर्थन जुटाना और पाकिस्तान को अलग-थलग करना है।
  • यह रणनीति सैन्य और राजनीतिक दोनों स्तरों पर भारत की सक्रियता को दर्शाती है।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद विदेशों में बड़ा कूटनीतिक अभियान

केंद्र सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ “भारत के सामूहिक संकल्प” को दुनिया के सामने रखने के लिए 7 बहुदलीय राजनयिक मिशनों की योजना बनाई है।

  • ये प्रतिनिधिमंडल 32 देशों और यूरोपीय संघ मुख्यालय ब्रसेल्स का दौरा करेंगे।
  • नेतृत्व करने वालों में रविशंकर प्रसाद, बैजयंत पांडा, सुप्रिया सुले, कनिमोझी, शशि थरूर शामिल हैं।
  • पहल का उद्देश्य वैश्विक समर्थन जुटाना और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को उजागर करना है।

प्रतिनिधिमंडल में शामिल प्रमुख नेताओं की सूची

  1. शशि थरूर – कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, वैश्विक मंचों पर भारत का पक्ष रखेंगे
  2. आनंद शर्मा व गौरव गोगोई – कांग्रेस की ओर से आतंकवाद के खिलाफ मजबूत आवाज़
  3. रविशंकर प्रसाद व बैजयंत पांडा – भाजपा के तेजतर्रार नेता, पाकिस्तान को घेरने की रणनीति
  4. कनिमोझी (डीएमके) व सुप्रिया सुले (एनसीपी) – क्षेत्रीय दलों का सहयोग, राष्ट्रीय एकता का संदेश
  5. संजय झा (जदयू) व श्रीकांत शिंदे (शिवसेना) – एनडीए गठबंधन का योगदान

केंद्र की प्रक्रिया पर उठे सवाल

तृणमूल और कांग्रेस दोनों ने कहा कि बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों के गठन में पारदर्शिता नहीं रही।

  • विपक्षी दलों को औपचारिक सूचना नहीं दी गई।
  • केवल संसदीय दलों से संपर्क किया गया, मुख्य संगठनों से नहीं।
  • विपक्ष का कहना है कि यह नीतिगत मामला है, केवल सांसद तय नहीं कर सकते।

टीएमसी का अलग रुख

जहाँ देश की अधिकांश प्रमुख पार्टियाँ इस राष्ट्रीय प्रयास में शामिल हुईं, वहीं तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने इससे दूरी बना ली।

  • पार्टी ने पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान को प्रतिनिधिमंडल में शामिल करने से इनकार कर दिया।
  • सूत्रों के अनुसार, टीएमसी का मानना है कि यह केंद्र सरकार की एकतरफा कूटनीतिक कवायद है।
  • इस इनकार को विपक्षी एकता में संभावित दरार के रूप में भी देखा जा रहा है।

राजनयिक दल चयन अधिकार पर ममता बनर्जी की तृणमूल ने केंद्र को घेरा, कहा- सरकार प्रतिनिधिमंडल एकतरफा तय नहीं कर सकती। “हम देश की संप्रभुता की रक्षा में केंद्र सरकार के साथ हैं। पर यह फैसला कि कौन जाएगा, हमारी पार्टी खुद करेगी।” – ममता बनर्जी

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